6 month pregnancy in hindi | प्रेगनेंसी का छठा महीना: लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, शिशु का विकास, आहार तथा सावधानियाँ

आज बात करेंगे Pregnancy का छठा महीना (6 month pregnancy in hindi) गर्भावस्था का छठा महीना : लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, भ्रूण का विकास, आहार तथा सावधानियाँ क्या होते हैं। 

प्रेगनेंसी का छठा महीना यानि दूसरी तिमाही का आखिरी महीना (Six month of Pregnency in Hindi)। पिछले हर महीने की तरह इस महीने भी आपको नए अनुभव मिलेंगे जो कुछ अच्छे तो कुछ परेशानी भरे हो सकते हैं। इस महीने आपका बेबी बंप पूरी तरह से दिखाई देने लगता है। आपकी नाभि बाहर की ओर निकली हुई दिखने लगती है। जैसे जैसे आपका शिशु बढ़ता है उसको बहुत से पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता होती है।

आपका शरीर ज्यादा मात्रा में खून का निर्माण करने लगता है जिस वजह से रक्त संचार तेज़ हो जाता है और आपको गर्मी महसूस हो सकती है। इस बीच आपको अपने शरीर में दिखाई दे रहे लक्षणों में अधिकता दिखाई देगी खासकर हाथों और पैरों में सूजन, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, गैस और कब्ज़ की समस्या, योनि स्राव और यहाँ तक कि मसूड़ों से रक्तस्राव इत्यादि।

ऐसी स्थिति में आपको अपने स्वास्थ्य और खान पान का विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक है। तो चलिए बात करते है इस महीने में नज़र आने वाले लक्षणों, बदलावों, आहार और बच्चे के विकास के बारे में। साथ ही इस महीने रखे जाने वाले सावधानियों के बारे में भी बात करेंगे।

 

6 month pregnancy in hindi | Pregnancy का छठा महीना 

गर्भावस्था के छठे महीने में लक्षण और बदलाव (गर्भावस्था के 6 महीने)

1. गर्भावस्था के छठे महीने में (6th month of Pregnency in Hindi) आपको पैरों, टखनों और हाथों पर सूजन दिखाई दे सकती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि शरीर में टिश्यू के भीतर तरल पदार्थ बनना शुरू हो जाता है, जिससे आपको और आपके बच्चे को पोषण मिलता रहे। हल्की सी सूजन सामान्य है और यह गर्भावस्था से जुड़ा एक आम लक्षण है

2. इस महीने आपकी भूख में सामान्य से अधिक वृद्धि हो सकती है क्यूंकि बच्चे के विकास में पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है जो उसे आपके द्वारा खाये गए खाने से ही मिलेगा। यही कारण है कि आपको सामान्य से अधिक भूख लगती है। हो सकता है आपको जंक फ़ूड खाने का दिल करे लेकिन आपको खुद को नियंत्रित रखना होगा। आपको सिर्फ ऐसा भोजन करना चाहिए जो आपके और आपके शिशु के लिए फ़ायदेमंद हो

3. आपका वज़न बढ़ने के साथ साथ आपको खर्राटों की समस्या भी हो सकती है। यह गर्भावस्था के आम लक्षणों में से एक है। वजन बढ़ना भी खर्राटों का कारण हो सकता है, क्योंकि सिर और गर्दन के चारों ओर टिश्यू सूख जाते हैं, जिससे खर्राटों की समस्या शुरू होती है। गर्भावस्था के दौरान, कुछ मामलों में खर्राटे मधुमेह का संकेत हो सकते हैं, जिसके बारे में चिकित्सक मासिक रक्त और मूत्र परीक्षण से पता लगा सकते हैं

4. गर्भावस्था के छठे महीने में पेट में बिना दर्द के मरोड़ उठना भी एक सामान्य लक्षण है। ऐसा माना जाता है की इस दौरान महीना का शरीर प्रसव के लिए तैयार हो रहा होता है। साथ ही नींद ना आने की समस्या भी इस महीने आम है। बढ़ते वज़न, कमर व पीठ में दर्द तथा गर्भाशय के बढ़ते भार की वजह से गर्भवती महिला को नींद ना आने की समस्या से जूझना पड़ता है।

5. कब्ज़ और अपच की समस्या इस महीने और अधिक हो सकती है क्यूंकि हार्मोनल बदलाव, गर्भाशय के आकार के बढ़ने और कुछ तो दवाइयों के सेवन की अधिकता के कारण पाचन तंत्र कमज़ोर हो जाता है तथा मलाशय पे भार बढ़ जाता है। इसलिए आपको जरुरत है खुद को हाइड्रेटेड रखने की। लगातार पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन जारी रखें।

6. नाक से खून, मसूढ़ों से खून तथा योनि स्राव इस महीने भी जारी रहेगा। इसके अलावा साँस लेने में तकलीफ, शरीर में दर्द, थकान, कमजोरी, स्तनों के आकर में वृद्धि तथा निप्पल से पिले रंग के द्रव्य का स्राव की समस्या भी रहेगी। गर्भाशय के आकर में वृद्धि से पेट पे खिचाव होगा जिससे पेट में खुजली महसूस होगी। इसके लिए पेट पे स्ट्रेच मार्क्स क्रीम, तेल, मॉस्चराइज़र या एलोवेरा जेल का उपयोग कर सकती है।

 

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गर्भावस्था के छठे महीने में गर्भवती महिला का आहार

गर्भावस्था के छठे महीने (6 month of Pregnency in Hindi) में आपका शिशु लगभग पूर्ण रूप से विकसित हो चूका होता है। उसे बहुत से पोषक तत्वों की जरुरत होती है जो उसे आपसे ही मिलती है। एक स्वस्थ गर्भावस्था के लिए स्वस्थ खानपान बहुत जरूरी हैं। आप जो कुछ भी खाती-पीती हैं उसका सीधा असर आपके गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है।

इसलिए आप जो भी खाएं पौष्टिक खाएं। हो सकता है कि इस महीने आपकी खाने की पसंद में कुछ बदलाव हो। कभी कभी ऐसा भी होता है की जो चीज आपको नहीं पसंद वो भी खाने का दिल करता है। तो बात करते है की गर्भावस्था के छठे महीने में क्या आहार ले जिससे आप और आपका शिशु स्वस्थ रहे, जो निम्नलिखित है:

1. फोलिक एसिड, आयोडीन और फोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थ अपने खान पान में शामिल करें इससे आपके शिशु और उसके मस्तिष्क का विकास सही से होता रहेगा। फोलेट एक तरह का विटामिन B है। आप दूध, मुनक्‍का, दही , ब्राउन राइस, साबुत अनाज, दलिया, चिकन, मीट, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक , ब्रोकोली, गोभी, टमाटर अखरोट, अलसी के बीज, सूरजमुखी के बीज, कद्दू, तिल, मूंगफली और बादाम आदि का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें

2. आयरन और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन का सेवन करें। गर्भावस्था के पांचवे – छठे महीने में गर्भवती में आयरन की कमी होने की आशंका ज्यादा रहती है और साथ ही छठे महीने में गर्भवती को अपने वज़न पर भी ध्यान देने की जरुरत होती है इसलिए आपको ज्यादा से ज्यादा आयरन और कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेना चाहिए।

आपको दाल, पालक व सेब में पर्याप्त मात्रा में आयरन मिलेगा और कार्बोहाइड्रेट के लिए आप आलू, पास्ता, स्वीट कॉर्न, बीज, नट्स और जई आदि का सेवन कर सकती है

3. शिशु की हड्डियों और दांतों के विकास और मजबूती के लिए कैल्शियम युक्त आहार लें, इसके लिए दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे दही, पनीर के साथ-साथ कीवी, खजूर आदि का सेवन करें

4. पर्याप्त मात्रा में पानी लें और जल्दी पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी पिएं साथ ही जूस और अन्य कई तरल पदार्थों का सेवन करते रहे।

5. गर्भावस्था में फलों का सेवन बहुत जरूरी है, इनसे काफी मात्रा में विटामिन, खनिज और फाइबर होता है, जो गर्भवती महिला के लिए जरूरी है इसलिए आप संतरा, सेब, केला, कीवी, अवोकाडो और आड़ू जैसे फलों को अपने खानपान में शामिल करें

 

गर्भावस्था के छठे महीने में शिशु का विकास

 

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गर्भावस्था के छठे महीने में शिशु का विकास | 6 month Pregnancy Baby Weight

गर्भावस्था के छठे महीने के अंत तक आपका शिशु लगभग 9-12 इंच तक हो सकता है और उसका वज़न लगभग 500 -700 ग्राम तक हो सकता है।
इस महीने तक शिशु के लगभग सारे अंग बन चुके होते है। शिशु के वास्तविक बाल और नाख़ून उगने शुरू हो जाते है। शिशु के फेफड़े अभी तक खुद से काम करने के लिए विकसित नहीं होते।

शिशु का सिर लगभग उसके शरीर जितना होता है और उसका चेहरा पूरी तरह विकसित हो जाता है। वैसे तो शिशु की आँखें बंद होती है लेकिन वो बाहरी प्रकाश और अँधेरे को महसूस कर सकता है।

उसका शरीर सफ़ेद रक्त कोशिकाएं बना रहा होता है जो उसे रोगों से लड़ने में मदद करता है। इस महीने शिशु के पेट में मिकोनियम नाम का काला पदार्थ जमा होना शुरू हो जाता है जिससे शिशु का पहला मल बनता है।

इस दौरान शिशु अपने आप साँस नहीं ले पाता यही कारण है की अगर प्री-मैच्योर डिलीवरी हो जाये तो शिशु को इन्क्यूबेटर में रखा जाता है। आपको पता है इस दौरान शिशु हिचकी लेने लगता है, जब वो हिचकी लेता है तो आपको लगेगा की आपके पेट से कुछ आवाजें आ रही है।

अगर आप पहली बार माँ बन रही है तो आपको समझ नहीं आएगा की ये किस चीज की आवाज है। इस महीने शिशु की त्वचा पारदर्शी नहीं रहती क्यूंकि उसको गर्म रखने के लिए उसका शरीर वसा का उत्पादन करना शुरू कर देता है।

त्वचा के नीचे की रक्त वाहिकाओं की वजह से शिशु की त्वचा गुलाबी हो जाती है। आप अल्ट्रासाउंड में अपने बच्चे को देख सकती है वो आपको अपना अंगूठा चूसता हुआ दिखाई देगा।

 

गर्भावस्था के छठे महीने में बरतें कुछ सावधानियाँ

आपको अपने खान पान और दैनिक जीवनशैली के साथ साथ कुछ अन्य सावधानियों को भी ध्यान में रखना चाहिए। आप संतुलित आहार लें। थोड़ा सा भी तनाव आपके साथ साथ आपके शिशु के स्वास्थ्य पे भी बुरा असर डाल सकता है। अपने पेट पर दबाब न पड़ने दे। लम्बे समय तक झुकने, खड़े होने या बैठने से बचे। सुबह – शाम सैर करें पर आराम से।

कीगल, चेयर पोज़ यानि उत्कष्टासन, बटरफ्लाई जैसे योग व हल्का फुल्का व्यायाम करे। अलकोहल, सिगरेट शराब, फ़ास्ट फ़ूड, कैफीन, सोया, कोल्ड ड्रिंक्स, तेल व मसालेदार खाने से दूर रहे। छोटी छोटी परेशानियां होने पर दवाइयों का सेवन ना करें, जब भी दवा लें चिकित्सक के परामर्श के बिना ना लें।

 

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उम्मीद करती हूँ आपको मेरा आज का यह पोस्ट 6 month pregnancy in hindi – Pregnancy का छठा महीना | गर्भावस्था का छठा महीना : लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, भ्रूण का विकास, आहार तथा सावधानियाँ पसंद आया होगा। अपने सुझाव मुझे कमेंट करके जरूर बताये और पोस्ट पसंद आई हो तो शेयर करना ना भूले।

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