Pregnancy का तीसरा महीना : लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, भ्रूण का विकास, आहार तथा सावधानियाँ

वैसे तो गर्भधारण करते ही महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव शुरू हो जाते हैं, लेकिन सबसे बुनियादी बदलाव pregnancy के तीसरे महीने में होता है। इस महीने के अंत तक भ्रूण की वृद्धि होने के कारण गर्भपात और अन्य समस्याओं का खतरा कम हो जाता है। आज का हमारा विषय है गर्भावस्था का तीसरा महीना | Third Month of Pregnancy in Hindi | लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, भ्रूण का विकास, आहार तथा सावधानियाँ, तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं गर्भावस्था के तीसरे महीने में आने वाले लक्षणों के बारे में (3 month pregnancy symptoms in hindi)। 

गर्भावस्था के तीसरे महीने तक गर्भ में पनप रहा डिंब परिपक्व भ्रूण में परिवर्तित हो जाता है और आपको अपने पेट में उसकी उपस्थिति का एहसास होने लगता है। गर्भावस्था के इस महीने में शिशु के जननांगों सहित उसके शरीर के कई अंग विकसित होने लगते हैं। गर्भावस्था की यात्रा का तीसरा महीना बहुत ही महत्वपूर्ण व रोमांचक होता है।

आप अपने अंदर पल रहे नन्ही सी जान को अनुभव करने लगती हैं। आपका शरीर धीरे धीरे फैलने लगता है, आपके कपड़े तंग होने लगेंगे, वजन बढ़ने लगेगा। गर्भावस्था के तीसरे महीने में आपको काफी सतर्क होने की जरुरत होती है। आपको अपने शरीर में हो रहे बदलाव, शिशु का विकास, अपने खान पान और इन सब से सम्बंधित सभी चीजों का विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

गर्भावस्था ऐसा चरण है जिसमें विशेष देखभाल की जरूरत होती है, ताकि गर्भवती महिला खुद भी स्वस्थ रहे और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके। गर्भावस्था का तीसरा महीना गर्भवती महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव लेकर आता है। इस दौरान बच्चे का विकास भी तेजी से होने लगता है, जिसे आसानी से महसूस किया जा सकता है।

 

गर्भावस्था का तीसरा महीना | Third Month of Pregnancy in Hindi | लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, भ्रूण का विकास, आहार तथा सावधानियाँ

गर्भावस्था के तीसरे महीने के लक्षण और बदलाव | 3 Mahine Ki Pregnancy | Symptoms and changes in the third month of pregnancy

 

गर्भावस्था के तीसरे महीने में आपके शरीर में निम्नलिखित लक्षण और बदलाव दिखेंगे :-

1. मॉर्निंग सिकनेस, थकान और कमज़ोरी तीसरे महीने में आपके गर्भस्थ शिशु को बहुत से पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति के लिए शरीर ज्यादा खून के निर्माण में लग जाती है जिसके कारण खून में शर्करा और रक्तचाप प्रभावित होते है। जिसकी वजह से आपको थकान तथा कमज़ोरी महसूस होती है। गर्भावस्था के इस महीने में मतली की समस्या चरम पर हो सकती है और पहली तिमाही के अंत तक अधिकांश गर्भवती महिलाओं में ये लक्षण समाप्त हो जाते हैं।

2. कब्ज़ तथा पेट दर्द गर्भावस्था में प्रोजेस्टोरेन हार्मोन में वृद्धि हो जाती है जिसकी वजह से पाचन क्रिया प्रभावित होती है और ये धीमी गति से काम करने लगता है। इसके कारण आपको कब्ज़ की शिकायत होती है। हार्मोन्स में परिवर्तन तथा गर्भाशय के बढ़ने के कारण स्यानुबन्ध (ligaments) यानि भ्रूणीय अवस्था की अवशेष नलिकाकार संरचनाओं पर दबाब पड़ता है। स्यानुबन्ध में खिचाव एवं तनाव के कारण आपके पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। ये सामान्यतः गर्भवस्था के तीसरे महीने में ही होती है इससे आपको घबराने की जरुरत नहीं है। कुछ समय पश्चात ये ठीक हो जागेगा। अगर दर्द आराम ना हो तो आप अपने चिकित्सक का परामर्श लें।

 

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3. योनि स्राव गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने और गर्भाशय ग्रीवा व योनि की दीवार फैलने के कारण योनि से सफ़ेद गाढ़े द्रव का स्राव होता है, जो किसी भी संक्रमण को गर्भाशय में जाने से रोकता है। ये सामान्य है ज्यादा परेशानी होने पर चिकित्सक से मिलें।

4. बार बार पेशाब लगना गर्भावस्था में शरीर में एच.सी.जी. (hCG) हार्मोन का उत्पादन होता है जो गर्भावस्‍था के दौरान भ्रूण के विकास के लिए बहुत जरुरी है। इससे रक्त की मात्रा में वृद्धि होती है जो मूत्राशय पर दबाव डालती है जिसके फलस्वरूप आपको बार बार पेशाब जाना पड़ता है। इसके अलावा, बढ़ता गर्भाशय मूत्राशय पर दबाव डालता है, इस कारण भी आपको बार-बार पेशाब जाने की समस्या हो सकती है ।

5. मसूड़ों से खून आना हार्मोन्स के स्तर में बदलाव होने से मसूड़ों में सूजन और खून आने की समस्या हो सकती है।

6. पैरों में ऐंठन गर्भाशय के बढ़ने के कारण रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती है जिससे रक्त संचार धीमा हो जाता है जिसकी वजह से पैरो में सूजन की समस्या होती है। गर्भावस्था के तीसरे महीने में अक्सर रात को पैरों में ऐंठन और दर्द परेशान कर सकता है। इसके लिए आप अपने आहार में पोटेशियम और लौह तत्व शामिल करें और कुछ हल्के व्यायाम भी इस दर्द को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं।

7. सीने में जलन तीसरे महीने में आपके गर्भ में पल रहे शिशु का आकर धीरे धीरे बढ़ने लगता है और आपका गर्भाशय भी बढ़ने लगता है जिसकी वजह से आपके आपके पेट पर दबाब बढ़ने लगता है जिसके फलस्वरूप पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। पाचन क्रिया के धीमे होने के कारण आपके शरीर के अम्ल का स्तर ऊपर की तरफ जाने लगता है जिसके कारण सीने में जलन की समस्या उत्पन्न होती है।

8. मनोदशा में बार बार बदलाव हॉर्मोन्स के उतार-चढ़ाव के कारण आपके शरीर में भावनात्मक परिवर्तन होते हैं जिसके कारण आप इस दौरान कभी दुःखी व निराश, कभी ख़ुशी और आनंद का अनुभव कर सकती हैं।

9. भूख और गंध गर्भवती महिलाओं को किसी विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ को खाने की इच्छा होना या किसी अन्य पदार्थ की गंध या स्वाद के प्रति रूचि या अरुचि विकसित होना बहुत आम बात है। इन लक्षणों के बारे में ज्यादा चिंता ना करें क्योंकि यह सभी लक्षण प्राकृतिक है जो हर माँ बनने वाली महीना अनुभव करती है।

10. बंद नाक शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ने से नाक के अंदर सूजन आ जाती है जिसके कारण आपको आपकी नाक हमेशा भरी हुई और बंद प्रतीत होती है।

 

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गर्भावस्था के तीसरे महीने में गर्भवती महिला का आहार |Diet of pregnant woman in third month of pregnancy (Pregnancy Ke Tisre Mahine Me Kya Khaye)

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1. तीसरे महीने में मॉर्निंग सिकनेस, थकान और कमज़ोरी बहुत ज्यादा होती है इससे बचने के लिए आप विटामिन बी-६ युक्त भोजन लें जैसे अंडे, हरी पत्तेदार सब्जियां, रसीले फल, सोयाबीन, मेवे इत्यादि।

2. गर्भावस्था में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन अति आवश्यक है। इसके लिए आप साबुत अनाज, ब्रेड, चावल, विभिन्न फलियां, आलू, दालें, आलू और चिकन जैसे खाद्य पदार्थ अपने खान-पान में शामिल करें। इससे आपके शरीर की ऊर्जा बानी रहती है।

3. ब्रोकोली, मटर, दालें, शतावरी एवं हरी पत्तेदार सब्जियों में फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो आपके शिशु के मस्तिष्क व मेरुदंड के विकास में सहायक होती है। इसके अलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ शिशु की आँखों के लिए लाभदायक होते, इनकी पूर्ति के लिए चिया सीड्स, अलसी के बीज, अखरोट,अंडा, सोयाबीन इत्यादि का सेवन करें।

4. माँ और शिशु दोनों को कैल्शियम की जरुरत होती है, इसके लिए आप अपने खान-पान में डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर व घी इत्यादि का सेवन करें।

5. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं इससे आप हमेशा हाइड्रेटिड रहेंगी और साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले अधिक मोटापे से बचेंगी। आपके शरीर में कभी पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।

6. आयरन, फोलिक एसिड और फाइबर से भरपूर भोजन करें इससे आपका पेट साफ रहेगा, कब्ज़ में थोड़ी राहत मिलेगी और आप थकावट काम महसूस करेंगी। पालक, सलाद पत्ता और ब्रोकली, बीन्स और मूंगफली, सूरजमुखी के बीज, साबुत अनाज, सी फूड, अंडा, मटर व सिट्रस फलों में फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में होता है तथा चुकंदर, पिस्ता, अनार, सेब, पालक, संतरा, रेशे वाली सब्‍जियां, मौसमी, ओटमील इत्यादि आयरन और फाइबर के अच्छे स्रोत है।

 

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गर्भावस्था के तीसरे महीने में शिशु का विकास |Baby development in the third month of pregnancy

गर्भवस्था के तीसरे महीने में बच्चे की हलचल को महसूस नहीं किया जा सकता, आप सिर्फ अपने अंदर और बहार होने वाले बदलावों को महसूस कर सकती है। कई महिलाएं सोचती है मेरे पेट में कोई हलचल नहीं हो रही, पर आप घबराइए मत ये हलचल आपको पांचवे से सातवें महीने में पता चलेगी।

तीसरे महीने तक, आपके शिशु का आकार लगभग एक बेर या फिर नींबू जितना होता है तीसरे महीने के अंत तक शिशु लगभग 2.5 इंच लंबा
होता है और उसका वजन लगभग 28 ग्राम आसपास हो सकता है। इस दौरान बच्चे का दिल काम करना शुरू कर देता है। किडनी, आंखों व
जननांग का विकास इसी महीने होता है।

शिशु की जीभ और स्वरयंत्र विकसित होने लगते हैं; जबड़ा और ऊपरी होंठ भी बनने शुरू हो जाते हैं। नाखूनों के साथ हाथ और पैर की उंगलियां बनने लगती। शिशु अंगूठा चूसना शुरू कर देता है और उसे हिचकी भी आने लगती है।

पलकें बन जाती हैं और पूरी तरह से आँखों को ढक कर उनकी रक्षा करती हैं। मस्तिष्क के विकास के कारण, सिर शरीर से थोड़ा बड़ा होता है। त्वचा पारदर्शी होती है और इसके आर-पार नसें दिखाई देती हैं।

 

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गर्भावस्था के तीसरे महीने में रखे जाने वाली सावधानियाँ | Precautions to be taken in third month of pregnancy

जैसा की मैं पहले ही बता चुकी हूँ गर्भावस्था का तीसरा महीना बहुत महत्वपूर्ण है। इस महीने आपमें और आपके शिशु में कई बदलाव आते है इसलिए आपको कई तरह की सावधानियाँ बरतनी बहुत जरुरी है।

जैसे आप व्रत – उपवास से बचें, कपड़े ढीले पहने, लम्बे समय तक झुकने से बचें, फ्लैट चप्पल पहने, रोज़ कमसे काम 8-10 घंटे की नींद लें, जंक फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स, शराब, सिगरेट जैसी चीजों से बचें, एक ही जगह काफी समय तक बैठने या खड़े होने से बचे, पेट पर दवाब ना पड़ने दें, ज्यादा से ज्यादा पानी पिए, प्रेगनेंसी में झुकना नहीं चाहिए, अच्छा और साफ खाना खाएं और दवाइयों का सेवन जरुरत से ज्यादा ना करें।

 

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उम्मीद करती हूँ आज की पोस्ट गर्भावस्था का तीसरा महीना | Third Month of Pregnancy in Hindi | लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, भ्रूण का विकास, आहार तथा सावधानियाँ आपको पसंद आई होगी। आज की पोस्ट से जुड़े सुझावों तथा सवालों के लिए आप मुझे कमेंट कर सकते हैं। आज की पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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