गर्भावस्था के दौरान शरीर में क्या-क्या होता है – What happens in the body During pregnancy

गर्भावस्था किसी महिला के लिए एक सुखद एहसास है। गर्भधारण (conceive) करने से ले कर प्रसव तक का पूरा सफर काफी सुखद, परेशानी और दर्द भरे हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में बहुत कुछ होता है और काफी बदलाव भी आते हैं। तो आज के ब्लॉग में हम जानेंगे की गर्भावस्था के दौरान शरीर में क्या-क्या होता है – What happens in the body During pregnancy और गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को क्या क्या नसीहतें मिलती है।

महिलाओं को गर्भावस्था में अक्सर कई बिन मांगी नसीहतें मिलती ही रहती है। जैसे की गर्भावस्था में सीढिया नहीं चढ़नी चाहिए, गर्भावस्था में तैराकी (Swimming) नहीं करना चाहिए और सम्भोग (Sex), वो तो बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए। तो चलिए आज बात करेंगे गर्भावस्था में मिलने वाली इन बिना सिर पैर की नसीहतों के बारे में और साथ ही यह भी जानेंगे की गर्भावस्था के दौरान शरीर में क्या सब होता है।

हमारा शरीर अरबों छोटी छोटी कोशिकाओं (Cells) से मिलकर बना है। ये कोशिकाएं आपस में मिलकर ऊतक (tissues) बनाती है, ये उत्तक आपस में मिलकर शरीर के अंगों (organs) का निर्माण करते हैं, और ये सारे अंग मिलकर अंग प्रणाली (organ system) बनाते है।

जैसे की पाचन प्रणाली(digestive system), अवशोषण प्रणाली (absorption system), प्रजनन प्राणी (reproductive system) इत्यादि। तो पहले बात करते है कोशिकाओं के बारे मे, की ये कोशिका क्या होती हैं। 

 

कोशिकाएं क्या होती हैं

कोशिकाएं (Cell) हमारे जीवन की संरचनात्मक, आधारभूत एवं क्रियात्मक इकाई है और यह प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। पृथ्वी पर रहने वाले हर छोटे से बड़े जीव तक सभी कोशिकाओं से मिलकर बने है। कोशिकाओं के भीतर ही वह सारी क्रियाएं होती है जो एक जीव को जीवन प्रदान करने के लिए आवश्यक होते हैं।

क्या आप जानते है की इंसानी शरीर में सबसे छोटी और सबसे बड़ी कोशिका कौनसी होती है?

दोस्तों इंसानी शरीर में सबसे छोटी कोशिका होते है शुक्राणु (Sperm), और सबसे बड़ी कोशिका होता है डिंब/अंडा (ovum)। शुक्राणु भले ही आकर में इतने छोटे है लेकिन इसके बाद भी वो अपने आकर से कई सौ गुना ज्यादा का सफर तय कर सकते है।

वीर्य के स्खलन / स्त्राव के दौरान एक अरब से भी ज्यादा शुक्राणु निकलते है लेकिन इनमे से जो सबसे पहले अंडे तक पहुँचता है वही अंडे को निषेचित कर पाता है यानि वही शुक्राणु गर्भधारण के लिए उत्तरदायी होता है।

निषेचन के कुछ 30 घंटे बाद अंडा एक से दो कोशिकाओं में विभाजित जाता है, फिर दो से चार, चार से आठ, आठ से सोलह कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है। इन सब में तीन दिन लगते है और ये सिलसिला तब एक चलता रहता है जबतक की ये निषेचित अंडा, गर्भाशय की दिवार से जाकर चिपक ना जाये।

एक बार जब ये निषेचित अंडा गर्भाशय की दिवार से जाकर चिपक जाता है तब मासिक धर्म रुक जाता है। इसके पीछे क्या वजह होती है, इन सबकी जानकरी मैंने अपने पिछले ब्लॉग में दे दी है। फ़िलहाल ये समझते है की प्रेग्नेंसी के दौरान हमारे शरीर में क्या सब होता है।

 

गर्भावस्था के दौरान शरीर में क्या-क्या होता है – What happens in the body During pregnancy

सम्भोग के बाद महिला के शरीर में क्या क्या होता है (What Happens After Having Sex In Female Body)

औरत के शरीर में गर्भावस्था के नौ महीनो में जो सब होता है वो किसी चमत्कार से कम नहीं है। कोख में बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता है वैसे वैसे गर्भाशय का आकर भी बढ़ता चला जाता है। गर्भावस्था से पहले गर्भाशय लगभग एक सेब के आकर से भी छोटा यानि वज़न में लगभग 60 ग्राम तक होता है।

शुक्राणु अंडे के साथ ठीक तरह से निषेचित हो सके इसके लिए गर्भाशय का निचला हिस्सा यानि गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) बड़ी भूमिका निभाता है। यह ग्रीवा श्लेम (cervical mucus) छोड़ता है जो शुक्राणु को हिफाज़त से अंडे तक पंहुचा (sperm meets egg) देता है।

इसी दौरान शरीर से प्रोजेस्ट्रोन (progesterone) और एस्ट्रोजन (estrogen) हार्मोन निकलते है जो गर्भाशय की दिवार को मोटा बना देते है ताकि निषेचित अंडा (fertilized egg) वहां आराम से टिक सके।

निषेचन (fertilization) के बाद अगले बारह हफ़्तों में नाल (Placenta) का निर्माण होता है जो गर्भाशय के अंदर शिशु की जरूरतों का ख्याल रखती है। नाल (Placenta) ये सुनिश्चित करती है की गर्भाशय में शिशु को, गर्भनाल (umbilical cord) के ज़रिये जरुरी पोषण मिलते है। शिशु के जन्म के समय नाल का वज़न करीब 700 ग्राम होता है।

निषेचित अंडा जैसे ही गर्भाशय की दिवार से जुड़ता है वैसे ही गर्भाशय का आकर बढ़ने लगता है। एस्ट्रोजन हार्मोन इस बात को सुनिश्चित करता है है की गर्भाशय बढ़ता रहे ताकि शिशु को जगह की कोई कमी ना हो।

जो गर्भाशय पहले सिर्फ एक सेब के आकर से भी छोटा था, नौ महीने बाद उसका आकर लगभग दो फुटबाल के बराबर हो जाता है, यानि पहले से 20 गुना ज्यादा बड़ा। 

ये अंत तक अपना काम जारी रखता है। जब गर्भाशय की मांशपेशियां सिकुड़ने लगती है तो उसी से प्रसव पीड़ा (labour pain) शुरू होता है। इसे संकुचन (contraction) कहा जाता है, और इस संकुचन के कारण ही बच्चा आराम से बाहर आ पाता है।

शिशु के जन्म के बाद गर्भाशय को अपने असली आकर तक पहुंचने में छह हफ्ते तक का वक़्त लग जाता है। ये हर दिन एक सेंटीमीटर तक सिकुड़ती है और इन छह हफ़्तों के दौरान लगातार योनि से खून (bleeding) निकलता रहता है। यानि आपका शरीर गर्भावस्था के अंत के बाद भी लगातार काम पर लगा रहता है।

इसलिए जरुरी होता है की गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के बाद भी अपना पूरा ध्यान रखा जाये। लेकिन ध्यान रखने का ये मतलब बिलकुल नहीं है की आप चलना फिरना ही बंद कर दें।

गर्भावस्था के पहले 12 हफ्ते सबसे अहम् होते है। इस दौरान कोशिकाएं खुद को गुना (multiply) कर रही होती है। अभी इन कोशिकाओं से भ्रूण का आकर नहीं लिया होता है।

80 प्रतिशत गर्भपात (miscarriage) पहली तिमाही में ही होते है। इसलिए कहते है की इस दौरान संभल कर चलो, ज्यादा दौड़ भाग मत करो, कुछ लोगो का तो यहां तक मानना है की अपने गर्भधारण की सुचना आपको अपनी पहली तिमाही के बाद ही बतानी चाहिए। वैसे यह सिर्फ एक मिथ है।

शायद उन लोगों को इसका वैज्ञानिक कारण नहीं पता, पर यह मिथ एक तरह से सच भी है। अगर आप ठीक से रहते है और आपके शरीर के अंदर सारे हार्मोन्स संतुलित है तो आपकी पहली तिमाही में कोई दिक्कत नहीं आएगी और सबकुछ ठीक रहेगा। वही आपने ज़रा सी चूक की तो अंजाम आप जानते ही है।

पहली तिमाही (pregnancy ka pahela mahina से tisra mahina) में हार्मोन्स के ऊपर निचे होने के कारण कई महिलाओं को बहुत थकान महसूस होता है, बहुत नींद आती है।

अगर किसी के साथ ऐसा हो रहा है तो बेशक आप आराम कीजिये आप सोइये, अपने शरीर की सुनिए। लेकिन अगर आप स्वस्थ महसूस करती है और सिर्फ दूसरों के कहने पर चलना फिरना बंद कर देती है, सिर्फ आराम करने लगती है, तो ये गलत है, ऐसा मत कीजिये।

दूसरी तिमाही यानि चौथे से छठा महीना सबसे आसान माना जाता है। इस दौरान आप व्यायाम, योग या तैराकी शुरू कर सकती है। लेकिन हां कीजिये वही जिसकी आपके शरीर को आदत है, कुछ नया मत कीजिये। अगर पहले टहलने की आदत रही है तो टहलिए, कुछ महिलाएं तो बिना किसी परेशानी के जॉगिंग तक कर लेती है।

वैसे गर्भावस्था में तैराकी करने की सलाह बहुत दी जाती है, क्यूंकि पानी के अंदर शरीर पर गुरुत्वाकर्षण (gravity) का असर कम होता है। इसलिए थकान भी कम होती है। तैराकी को आप 40वें हफ्ते तक भी जारी रख सकती है। माँ तंदरुस्त रहेगी तभी तो बच्चा भी तंदरुस्त रहेगा।

pregnancy ka pahela mahina

 

गर्भावस्था में नसीहतें (pregnancy tips and pregnancy advices)

(गर्भावस्था के बारे में मिथकों का भंडाफोड़-myths about pregnancy busted) 

गर्भावस्था में हर कोई गर्भवती को कोई ना कोई नसीहत देता ही रहता है। जहाँ तक खाने पिने की बात है तो इस दौरान आपको पौष्टिक आहार पर पूरा ध्यान देना होता है, लेकिन हाँ आपको दो लोगो का खाना बिलकुल नहीं खाना होता है।

शिशु के जन्म के बाद उसका पेट मात्र एक मटर के दाने जितना बड़ा होता है, तो सोचिये जब वो आपके पेट में होता है तब उसका पेट कितना बड़ा होता होगा और इतने छोटे से पेट में क्या एक इंसान का खाना जा सकता है?

तो अगर आप दो लोगों का खाना खा रही है तो वो सारा का सारा खाना आपके शरीर को ही लगेगा, इससे आपका वज़न भी बढ़ता रहेगा। दूध को सम्पूर्ण आहार माना जाता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान दूध आपके लिए बहुत अच्छा है। कुछ महिलाओं को दूध से गैस और अपच की समस्या होती है, तो वो अपने साथ जबरदस्ती ना करें, दूध ना पिए।

इस बात का ध्यान जरूर रखें की दूध कोई वाइट वाश नहीं है जो आपके अंदर जाकर आपके शिशु को गोरा कर देगा और ना ही नारियल पानी ऐसा करता है। नारियल पानी गैस और अपच की समस्या से बचाता है, इसलिए गर्भावस्था में इसे पीना फायदेमंद है। लेकिन अगर आप गोरे बच्चे की चाह में ऐसा कर रही है तो ये सोच गलत है।

अब बात करते है केशर की तो केशर में प्रतिउपचायक (Antioxidants) होते है इसलिए इसे दूध में डालकर पिने को कहा जाता है लेकिन इसका भी शिशु के रंग से कोई लेना देना नहीं है। सोचिये अगर शिशु को केशर का रंग लगता तो शिशु गोरा नहीं पीला पैदा होता।

एक और बड़ी ग़लतफ़हमी लोगों को ये है की गर्भावस्था के दौरान आपको सम्भोग (sex) नहीं करना चाहिए इससे बच्चे को चोट लग सकती है, जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है।

सम्भोग के समय लिंग योनि में प्रवेश होता है जबकि शिशु गर्भाशय में रहता है। और दोनों के बिच में गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) की परत होती है। तो लिंग का बच्चे तक पहुंचने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।

लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था में दिक्कतें (complications) है और डॉक्टर्स ने आपको ऐसा करने से माना किया है तब आपको बिलकुल भी ऐसा नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था में दो लोगो की बात जरूर सुने एक अपने शरीर की और दूसरी अपने डॉक्टर्स की, बाकि जितने मुँह उतनी नसीहतें और हर नसीहत को सुनना या मानना जरुरी नहीं है।

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उम्मीद करती हूँ आपको आज की पोस्ट गर्भावस्था के दौरान शरीर में क्या-क्या होता है – What happens in the body During pregnancy, अच्छी लगी होगी।

आज के लेख से आप समझ गए होंगे की शुक्राणु कैसे काम करते हैं (how sperm works), शुक्राणु अंडे से कैसे मिलते हैं (how sperm meets egg), शुक्राणु अंडे तक कैसे जाते हैं (Sperm Traveling To The Egg), शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब तक कैसे पहुंचते हैं (sperm traveling to fallopian tubes) और शुक्राणु अंडे के साथ कैसे निषेचित होते हैं (Sperm And Egg Fertilization)।

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