Pregnancy ka Pehla Mahina : लक्षण, शारीरिक बदलाव, भ्रूण का विकास, आहार तथा सावधानियाँ

जैसे ही एक महिला को पता लगता है की वो गर्भवती है उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता। गर्भवती होते ही हर महिला में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते है साथ ही उसे कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज के लेख में हम जानेंगे Pregnancy ka Pehla Mahina (First Month of Pregnancy in Hindi) लक्षण, भ्रूण का विकास, सावधानियां आहार और तथा सावधानियाँ, चलिए शुरू करते हैं। 

गर्भवस्था (pregnancy in hindi) : प्रेगनेंसी में पेट कब निकलता है, प्रेगनेंसी कब से काउंट होती है, गर्भ ठहरने के लक्षण क्या है, प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दीखते है, प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या खाना चाहिए, प्रेगनेंसी कब से मानी जाती है और गर्भावस्था के पहले सप्ताह में कौनसे लक्षण दीखते हैं – गर्भावस्था लक्षण 1 सप्ताह (pregnency ke lakshan in first week in hindi) और प्रेग्नेंसी के पहले महीने में कौन से टेस्ट करवाने चाहिए।

अगर आप गर्भावस्था के पहले महीने में दिखने वाले लक्षणों (4 week pregnancy symptoms in hindi ) के बारे में जानना छाती है और अगर आप भी इन सब सवालों के जवाब जे लिए यहां पर आये हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर हैं। आज के लेख में आपको इन सब सवालों से जुड़े जवाब मिलेंगे इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

गर्भावस्था के पहले महीने में, खासकर उन महिलाओं को जो पहली बार माँ बनने वाली होती है उनके पास गर्भावस्था से जुड़ी जानकारियों का आभाव होता है। कई मामलों में तो महिलाओं आभास भी नहीं होता की वो गर्भवती है।

अगर गर्भावस्था के पहले महीने से ही गर्भवती महिला सभी जरुरी तैयारियाँ शुरू कर ले तो उन्हें गर्भावस्था से जुड़ी तमाम परेशानियों को कम करने में काफी हद तक मदद मिलेगी। गर्भावस्था महिला के जीवन में एक अलग तरह की खुशी का एहसास कराता है। गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद एक महिला की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है।

तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं की गर्भावस्था के पहले महीने के लक्षण क्या होते हैं, गर्भवती को किन – किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, गर्भावस्था के पहले महीने में क्या शारीरिक बदलाव होते है, गर्भावस्था के पहले महीने में भ्रूण का विकास कैसे होता है, गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भवती महिला का आहार कैसा होना चाहिए तथा पहले महीने में क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

 

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Table of Contents

Pregnancy ka Pehla Mahina | गर्भावस्था का पहला महीना 

प्रेगनेंसी कब से काउंट होती है – When does pregnancy count

गर्भावस्था के नौ महीनों की गिनती आखिरी मासिक धर्म यानि पीरियड्स के पहले दिन से की जाती है। इन 9 महीनों को तीन ट्राइमेस्टर में बांटा जाता है। डॉक्टरों की मानें तो गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीने हर महिला के लिए बेहद खास होते हैं।

इस समय अगर गर्भवती ने सभी जरुरी सावधानियां बरती है और हर चीज का ध्यान रखा है तो इससे बच्चा ना तो प्रीमैच्योर होता है और ना ही शारीरिक रूप से विकलांग। इसलिए पूरी गर्भवस्था सही से गुज़ारे इसमें पहला ट्राइमेस्टर बहुत अहम् होता हैं।

प्रेगनेंसी टेस्ट कब करना चाहिए – When to do Pregnancy Test

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गर्भ ठहरने के लक्षण क्या है – what are the symptoms of pregnancy

गर्भावस्था के पहले महीने के लक्षणों (4 सप्ताह गर्भावस्था लक्षण) को जानने के लिए निम्नलिखित लक्षणों को पढ़िए और अगर कोई महिला इन लक्षणों का अनुभव करती है तो हो सकता की वो गर्भवती हों।

  • मासिक धर्म का रुक जाना
  • उलटी या मतली आना
  • कब्ज होना तथा अनियमित मल त्याग
  • स्तनों में कठोरता
  • सिर में भारीपन तथा चक्कर आना
  • स्पॉटिंग (खून के धब्बे) होना
  • मनोदशा में बार-बार बदलाव होना
  • अत्यधिक शारीरिक थकान होना
  • बार बार पेशाब आना
  • खाने की आदतों में बदलाव
  • गंध की भावना में वृद्धि
  • घबराहट महसूस होना
  • कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता
  • पीठ में तेज दर्द का अनुभव होना
  • भूख में वृद्धि

गर्भावस्था के पहले महीने में इनमे से सभी कुछ लक्षण दिखे तो हो सकता है की आप गर्भवती हो। ये लक्षण हर महिला में अलग अलग हो सकते हैं, हर महिला में इन लक्षणों में से एक या अधिक लक्षण दिखना आम बात है।

 

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गर्भावस्था के पहले महीने में शारीरिक बदलाव – Physical changes in the First Month of Pregnancy in Hindi

आमतौर पर गर्भावस्था के पहले महीने में महिला के शरीर में कोई स्पष्ट बदलाव नहीं दिखता लेकिन कुछ शारीरिक परिवर्तन जरूर महसूस होंगे। जैसी की:-

1. सुस्ती और थकावट महसूस करना

2. घबराहट और चक्कर आना

3. स्तनों के आकार में भी वृद्धि यानि स्तनों का बढ़ना

4. हल्फा फुल्का वज़न में वृद्धि

5. निप्पल व उसके चारों ओर का क्षेत्र बड़ा और गहरे रंग का हो जाना

6. योनि स्राव में वृद्धि हो सकती है, कभी-कभी खून के धब्बे भी दिखाई दे सकते हैं लेकिन ये सभी महिलाओं में नहीं होता

7. वजन बढ़ना

ये कुछ बदलाव हैं जो एक महिला अपने गर्भावस्था के पहले महीने में महसूस कर सकती हैं। बेबी बंप को दिखने में कुछ और महीने लग सकते हैं क्योंकि गर्भावस्था के पहले महीने में पेट दिखाई नहीं देता है। कुछ महिलाओं में ये बदलाव देरी से भी महसूस हो सकते हैं पर ज्यादातर ये बदलाव पहले महीने के शुरुवात में ही दिखाई देने शुरू हो जाते है।

 

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Pregnancy ka Pehla Mahina : लक्षण, शारीरिक बदलाव, भ्रूण का विकास, आहार तथा सावधानियाँ

गर्भावस्था के पहले महीने में भ्रूण का विकास – Fetal development in the first month of pregnancy in Hindi

गर्भावस्था का पहला महीना | First Month of Pregnancy in Hindi के अलगे चरण में हम गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भस्थ शिशु के विकास की शुरूआत के तीन चरणों के बारे में बात करेंगे, ये तीन चरण है:-

1. निषेचन की प्रक्रिया: निषेचन की प्रक्रिया संभोग के बाद 48 से 70 घंटों के भीतर कभी भी हो सकती है। शुक्राणुओं और अंडाणुओं का मिलन निषेचन कहलाता है। जैसे ही डिंब और शुक्राणु, एक दूसरे के संपर्क में आते हैं वैसे ही आपका शिशु अस्तित्व में आने लगता है।

इस चरण में शुक्राणुओं और अंडाणुओं के मिलन से एक युग्मनज बनता है। इस युग्म को अंग्रेज़ी में ‘जाइगोट’ कहते हैं। युग्मनज बहुत तेजी से बढ़ता है जहां यह भ्रूण और नाल का आकार लेती है और यहीं से आपके अजन्मे बच्चे के विकास की शुरुआत होती है।

2. प्रत्यारोपण की प्रक्रिया: निषेचन के बाद प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया में जाइगोट फैलोपियन ट्यूब से होकर गर्भाशय में पहुंचता है। 4-6 दिन के बीच यह जाइगोट कई कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है।

इसके बाद ये कोशिकाएं इकट्ठा होकर गेंद जैसा आकार ले लेती हैं। इसे ‘ब्लास्टोसिस्ट’ कहते हैं। अगर यह ‘ब्लास्टोसिस्ट’ दो से तीन दिन में गर्भाशय की दीवार से चिपक जाए, तो प्रत्यारोपण की प्रक्रिया सफलता के साथ पूरी हो जाती है।

3. विकास प्रक्रिया: निषेचित अंडे विकसित होने पर एमनियॉटिक सैक का निर्माण होता है। इस दौरान प्लेसेंटा भी विकसित होने लगता है।तीसरे से चौथे सप्ताह में, भ्रूण के हृदय ही धड़कन सुनाई देने लगती है। इस दौरान शिशु का चेहरा बनना शुरू होगा, आंखों की जगह काले घेरे जैसे दिखाई देंगे, शिशु का निचला जबड़ा और गला बनना शुरू होगा और रक्त कोशिकाएं बनकर रक्त संचार भी शुरू हो जाएगा।

चौथे सप्ताह के अंत तक शिशु के दिल की धड़कन सुनाई देने लगेगी जो एक मिनट में लगभग 65 बार धड़केगा। हालंकि इस दौरान भ्रूण सिर्फ एक मटर के आकार का होता है, उसके हाथ, पैर और फेफड़े बनने शुरू हो जाते हैं।

 

गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भवती महिला का आहार – Diet of pregnant woman in first month of pregnancy In Hindi 

1. गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में कब्ज़ की शिकायत रहती है इसलिए शुरूआती दिनों में गर्भवती महिला को फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे रेशे वाली सब्जियां, मौसम्मी, ब्रोकली, ओटमील, संतरा इत्यादि का सेवन करना चाहिए।

2. गर्भवती को गर्भधारण करते ही विटामिन-बी6 से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे- केला, साबूत अनाज व सूखे मेवे खाने शुरू कर देना चाहिए।

3. दूध से बने उत्पादों या सिर्फ दूध को भी अपने आहार में शामिल करना भी गर्भावस्था के पहले महीने में फायदेमंद माना जाता है।

4. यदि गर्भवती महिला मांसाहारी हैं, तो उसे मांस का सेवन जारी रखना चाहिए। उसे कम पारे वाले समुद्री भोजन के अलावा ठीक से पका हुआ मांस खाने की सलाह दी जाती है।

5. गर्भावस्था के शुरुआत में आयरन से भरपूर आहार, जैसे- पालक व चुकंदर को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।

6. गर्भावस्था की शुरुआत होने पर गर्भवती के शरीर को अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट की जरूरत पड़ती है। इसके लिए उन्हें शर्करा वाली चीजों को अपने खान-पान में शामिल करना चाहिए।

 

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गर्भावस्था के पहले महीने में एक गर्भवती महिला को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

1. अपने आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ अधिक शामिल करना चाहिए

2. गर्भावस्था में अधिक मात्रा में तरल पदार्थ व पानी पीना चाहिए

3. गर्भावस्था के दौरान थोड़ा चलना फिरना चाहिए साथ ही हल्के व्यायाम भी कर सकते है

4. गर्भावस्था में पर्याप्त मात्रा में नींद लेनी चाहिए

5. गर्भावस्था के समय अपनी योनि में संक्रमण से बचाव करने के लिए योनि की स्वच्छता रखनी चाहिए

 

Precautions to be taken in the first month of pregnancy in Hindi

 

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गर्भवस्था के पहले महीने में बरती जाने वाली सावधानियां – Precautions to be taken in the first month of pregnancy in Hindi

गर्भावस्था का पहला महीना गर्भवती महिला और कोख में पल रहे भ्रूण, दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता हैं। इस महीने गर्भवती महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव हो रहे होते हैं जो उसकी पूरी दिनचर्या को प्रभावित करते हैं।

गर्भावस्था की पहली तिमाही यानि पहले तीन महीने जोखिम भरे कहे जाते हैं क्यूंकि पहली तिमाही में भ्रूण का विकास शुरूआती दौर में होता है और अगर इस दौरान जरा सी भी लापरवाही हुई तो इससे गर्भवती महिला और उसके भ्रूण, दोनों को नुकसान हो सकता है।

इसलिए पहली तिमाही में काफी सावधानियां बरतने की जरुरत होती है। गर्भावस्था में गर्भवती को तनाव से दूर रहने, नशीले पदार्थों से दुरी बनाये रखने, तला भुना ना खाने, लंबी दूरी की यात्रा ना करने, भारी चीजें को उठाने और अन्नानास, पपीता, सहजन की फलियां, कलेजी, कच्‍चे अंडे, कच्‍ची सब्जियां, ऐलोवेरा वगैरह ना खाने की सलाह दी जाती है क्यूंकि इन सबसे गर्भपात हो सकता हैं।

ज्यादातर गर्भपात पहली तिमाही में ही हुआ करते हैं इसलिए पहली तिमाही बहुत ही ज्यादा अहम् होती है जिसमे गर्भवती को खास ख्याल रखने की जरुरत होती है।

 

प्रेग्नेंसी के पहले महीने में कौन से टेस्ट करवाने चाहिए – What tests should be done in the First Month of Pregnancy in Hindi

अगर किसी महिला को लगे की वो गर्भवती हैं या उन्हें थोड़ा सा भी गर्भधारण का संदेह है तो वह जांच के लिए डॉक्टर से संपर्क कर सकती है। इससे पहले महिला अपना प्रेग्नेंसी टेस्ट प्रेग्नेंसी किट की मदद से घर पर भी कर सकती है उसके बाद डॉक्टर के पास जाकर बाकि टेस्ट्स करवा सकती हैं। डॉक्टर आपके स्वास्थ्य का आकलन करेगा जिसमें महिला की ऊंचाई, वजन, रक्तचाप इत्यादि शामिल है।

अगर आपकी कोई भी पूर्व-मौजूदा चिकित्सा स्थिति या कोई भी दवा जो आप ले रही हैं, उसके बारे में डॉक्टर को सूचित जरूर कर दें। गर्भावस्था की पुष्टि करने और गर्भावस्था में किसी भी संभावित समस्या का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षणों की सलाह देंगे:

  • एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन हार्मोन जो प्लेसेंटा द्वारा निर्मित होता है) हार्मोन की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए मूत्र का नमूना लेकर गर्भावस्था परीक्षण किया जाता है। ताकि गर्भधारण की पुष्टि हो सके।
  • गर्भावस्था का पता लगाने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड स्कैन कर सकते हैं। इससे महिला में मधुमेह जैसी अन्य बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है।
  • पैप स्मीयर टेस्ट (आमतौर पर सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए किया जाता है) गर्भावस्था में समस्या पैदा करने वाले कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • नियमित रक्त परीक्षण और मूत्र परीक्षण भी किए जा सकते हैं
  • गर्भावस्था की पुष्टि के लिए डॉक्टर सीरम प्रोजेस्टेरोन का परीक्षण कर सकते हैं
  • कुछ जरुरी ब्लड टेस्ट कीजिये जाते हैं जिसमे आपका शुगर, HIV, विटामिन बी, हीमोग्‍लोबिन काउंट, आरएच फैक्‍टर, रूबैला, वैरीसेला, टीबी, थायराइड और टोक्‍सोप्‍लासमोसिस इत्यादि।

 

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उम्मीद करती हूँ आज के पोस्ट Pregnancy ka Pehla Mahina | गर्भावस्था का पहला महीना (First Month of Pregnancy in Hindi) लक्षण, शारीरिक बदलाव, भ्रूण का विकास, आहार तथा सावधानियाँ में लिखी सारी बातें आपको समझ आई होंगी और आज का यह लेख आपको गर्भधारण और पहले महीने की गर्भवस्था के लक्षणों, बदलाव और सावधानियों के बारे में पता लगाने में मददगार साबुत हुआ होगा।

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My self Namrata Maurya. I’m an Author and Founder of Youthinfohindi.com. I’m from Pune and If I talk about my Education then I’m B.com Graduate and complete my MBA (Finance & Accounts). I love to share my experience and knowledge to others, that’s why I’m here.

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