जब औरत पहली बार माँ बनने वाली होती है, उससे पहले उसके मन में कई तरह की आशंकाएं और सवाल उठ रहे होते हैं। साथ ही वह यह सुनिश्चित करके लिए भी उत्सुक होती है की वो माँ बनने वाली है या नहीं। आमतौर पर पीरियड्स का मिस होना या उल्टी होने पर प्रेग्नेंसी होने की पुष्टि की जाती है। लेकिन ये जरूरी नहीं कि प्रेग्नेंसी होने पर हमेशा ही इस तरह के लक्षण दिखाई दें। इसलिए आज के इस ब्लॉग में मैं आपको Pregnancy Ke Lakshan | प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण के बारे में बताने वाली हूँ जिनके जरिये आप यह सुनिश्चित कर पाएंगी की आप गर्भवती हैं या नहीं।
पीरियड्स मिस होने पर महिलाएं अक्सर सोचने लगती है की महीने मुझे अब तक पीरियड नहीं हुआ तो कहीं मैं प्रेग्नेंट तो नहीं? क्या डॉक्टर के पास अभी जाना ठीक होगा? क्या करूं? किससे पूछूं? क्या मैं सच में प्रेग्नेंट हूं? अक्सर हम औरतें इस मौके पर सवालों के चक्रव्यूह में फंसी नजर आती हैं। इन तमाम सवालों के जवाब ढूंढने में कोई और नहीं बल्कि आपका शरीर ही आपकी मदद कर सकता है।
कई बार महिलाएं पीरियड्स मिस होने पर भी इसे लाइट लेती हैं और प्रेग्नेंसी टेस्ट करने में लापरवाही बरतती है जिसके फलस्वरुप कई तरह की जटिलताएं (Complications) उत्त्पन्न हो जाती हैं। इसलिए गर्भवती होने पर आपके शरीर में कौन कौन से बदलाव होते हैं? किन लक्षणों से आप जान सकती है की आप गर्भवती है, उसके बारे में आपको पता होना चाहिए, तो चलिए जानते हैं।
अगर आप प्रेग्नेंट होने के लक्षण को नहीं पहचान पा रही हैं तो आपकी इस समस्या में मदद करेंगे गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले वो तमाम लक्षण जो आपके अंदर नज़र आएंगे। बस जरुरत है तो उन लक्षणों को जानने और महसूस करने की। मासिक धर्म ना होना निश्चित रूप से गर्भावस्था का सबसे स्पष्ट संकेत है, लेकिन केवल यही एक संकेत नहीं है।
पीरियड्स मिस होने पर सामान्यतः यही संदेह किया जाता है कि प्रेग्नेंसी हो सकती है। जिसकी पुष्टि घर पर या डॉक्टर से जांच करवा कर की जाती है। कई बार किसी और वजह से भी पीरियड्स मिस हो सकते हैं जैसे किसी तरह की कोई बीमारी या हॉर्मोन्स का असंतुलन। कुछ मामलों में पीरियड्स 15 दिन बाद आ जाते हैं जिसे लोग गलतफहमी से प्रेग्नेंसी समझ लेते हैं। कई बार तो महिलाओं को दो तीन महीने बाद प्रेग्नेंसी का पता चलता हैं। वह शुरूआती समय में होने वाले बदलाव जैसे की मूड़ स्विंग, कब्ज-डायरिया जैसे संकेतों से भी नहीं समझ पाती कि वह प्रेग्नेंट हैं।
प्रेग्नेंसी को पहचानना जरूरी है। कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिनका प्रेग्नेंसी का प्लान भविष्य के लिए होता हैं। इसलिए वे बर्थ कंट्रोल करने वाली चीजों का इस्तेमाल करती हैं। लेकिन कई बार बर्थ कंट्रोल की चीजें अपना असर दिखाने में नाकामयाब हो जाती हैं। जिसके कारण महिलाओं को कुछ समय बाद प्रेग्नेंसी का पता चलता हैं। जिसकी वजह से गर्भपात कराने में परेशानी आती हैं और एक समय के बाद गर्भपात कराने के बुरे साइड इफेक्ट भी नजर आते हैं।
तो चलिए अब जानते हैं की आप किन संकेतों (Pregnancy Ke Lakshan) से पता लगा सकती हैं की आपने गर्भधारण कर लिया है।
Pregnancy Ke Lakshan | प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण (Symptoms Of Pregnancy In Hindi)
1. मासिक धर्म का रुकना (Periods Miss होना) – मासिक धर्म का रुकना ही गर्भधारण की पहली निसानी है। जैसे ही आप गर्भधारण करती हैं आपके पीरियड्स रुक जाते हैं। लेकिन कई बार तनाव, थकान या दूसरे कारणों से भी पीरियड्स रुक सकते हैं। ऐसे में आपको स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
2. कब्ज़ – कब्ज की शिकायत होना गर्भावस्था के सामान्य लक्षणों में एक है। मासिक धर्म न होने के एक सप्ताह बाद अगर कब्ज़ महसूस होता है, तो आपको प्रेग्नेंसी टेस्ट करने पर विचार करना चाहिए। प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन आंतों में कसाव पैदा करता है और इस दौरान यदि आपको शौच में तकलीफ होती है, हॉर्मोन के अचानक बढ़ने के कारण मलोत्सर्ग कड़ा हो जाता है और पाचन तंत्र से पार होने वाले भोजन की गति कम हो जाती है।
3. बार-बार पेशाब लगना – बार-बार पेशाब करने की ज़रूरत महसूस होना एक और प्रमुख संकेत है। प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय यूरिनरी ब्लैडर पर प्रेशर डालता है जिसके कारण आपको बार-बार पेशाब लग सकता है।
यह प्रवृत्ति गर्भावस्था के दौरान बढ़ती है जब बढ़ता गर्भाशय, मूत्राशय पर दबाव डालना शुरू करता है तो आपको बार बार पेशाब जाना पड़ता है। हॉर्मोन में परिवर्तन और रक्त के अतिरिक्त उत्पादन के साथ, बार-बार पेशाब आना एक सामान्य लक्षण है जो पूरी गर्भावस्था के दौरान रहता है।
4. सिरदर्द – गर्भाधान होने पर, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन बच्चे के लिए गर्भाशय को तैयार करने के लिए अतिरिक्त काम करते हैं। हॉर्मोन के कारण रक्त शर्करा के स्तर में गिरावट आती है जिससे सिरदर्द होता है क्योंकि मस्तिष्क की कोशिकाएं शर्करा के निम्न स्तर के साथ तालमेल रखने के लिए संघर्ष करती हैं। हार्मोन में असंतुलन होने के कारण आपको पुरे शरीर में भी दर्द की शिकायत हो सकती है।
5. मुँह में अजीब स्वाद – हार्मोन में अजीब गतिविधियों के कारण आपको अपने मुँह में एक अजीब स्वाद महसूस हो सकता है। आपको ऐसा लगेगा जैसे कि आपने कुछ बेस्वाद धातु खाया है। यह धातु जैसा स्वाद आपको यह बताने का एक प्रारंभिक संकेत हो सकता है कि आपने मातृत्व की यात्रा शुरू कर दी है। लक्षण आमतौर पर पहली तिमाही के बाद खत्म हो जाते हैं लेकिन कुछ महिलाओं में अधिक समय तक जारी रह सकते हैं।
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6. स्तनों के आकार में बदलाव – गर्भधारण करने के तुरंत बाद ही आपके स्तनों में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। स्तनों का आकार बदलना, स्तनों में सूजन होना और उनमें भारीपन आना आदि ये सब गर्भधारण करने के लक्षण हैं। गर्भाधान के बाद एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ने के साथ, महिलाएं अत्यधिक पीड़ित व भरा–भरा महसूस करती हैं, और स्तन में तेज़ दर्द होता है। निप्पल गहरे रंग के दिखने शुरू हो जाते हैं और इनमें खुजली, तनाव या चुभन भी महसूस होती है।
7. जी मिचलाना – प्रेगनेंट होने के बाद आप सुबह के समय जी मिचलाना और शरीर में भारीपन जैसे लक्षण को अनुभव कर सकती हैं। मतली या उल्टी, एक मामूली लक्षण है, जिसे अक्सर “मॉर्निंग सिकनेस” कहा जाता है। यह लक्षण प्रमुख है और यह संकेत दे सकता है कि आप गर्भवती हैं। गर्भाधान के कुछ दिनों के भीतर, आप बेचैन महसूस करना और मतली का अनुभव करना शुरू कर सकती हैं।
8. थकावट – गर्भधारण के बाद थकान महसूस करना सामान्य है। हॉर्मोन में परिवर्तन के कारण आप हर समय थकान महसूस करती हैं। थकावट और नींद आना गर्भवती होने के शुरुआती लक्षण हैं, मामूली काम करने के बाद थकान महसूस होना बेहद सामान्य है।
पुरे दिन थकान महसूस करना, पर्याप्त मात्रा में सोने के बाद भी नींद पूरी नहीं होना, कमजोरी और नींद सोने की इच्छा गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है और यह पहली तिमाही की पूरी अवधि के दौरान जारी रहता है। बढ़ते भ्रूण का समर्थन करने के लिए शरीर अधिक रक्त का उत्पादन करना शुरू कर देता है जिसके परिणामस्वरूप थकावट बढ़ जाती है।
9. पेट में सूजन और कसाव का एहसास – मासिक धर्म ना होने से पहले, गर्भावस्था के सबसे आम लक्षणों में से एक है पेट में सूजन या मरोड़ और खिचाव, यह प्रोजेस्टेरोन के बढ़ने का परिणाम हो सकता है। हॉर्मोन का बढ़ता स्तर पाचन में बाधा डालता है और इसी कारण से आंतों में गैस फंस जाती है जिससे पेट फूलने लगता है जिससे गैस और डकार की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
10. अत्यधिक प्यास या बार–बार खाने की इक्छा – यदि आप अचानक ढेर सारा पानी पीने लगती हैं तो आश्चर्यचकित न हों, रक्त की मात्रा में वृद्धि से आप मासिक धर्म ना होने की तारीख से पहले ही अत्यधिक प्यास महसूस कर सकती हैं। हॉर्मोन में वृद्धि होने के कारण आपको हर समय भूख लगती रहेगी और आपको बार–बार खाना खाने की इच्छा होगी ।
11. लार टपकना या अत्यधिक थूक बनना – हालांकि यह आम लक्षण नहीं है, कुछ महिलाओं में मासिक धर्म ना होने से पहले अत्यधिक लार का उत्पादन होता है। यह स्थिति आमतौर पर टाइलिस ग्रेडिडारम के नाम से जानी जाती है जो मॉर्निंग सिकनेस और छाती में जलन से संबंधित है। मतली की अनुभूति के कारण मुँह में अतिरिक्त लार का निर्माण होता है।
12. अत्यधिक गर्मी महसूस होना – यह मासिक धर्म होने के निर्धारित समय पर या मासिक धर्म बंद होने के बाद आमतौर पर अनुभव किया जाता है लेकिन अचानक ज्यादा गर्मी लगना गर्भावस्था का शुरुआती संकेत भी हो सकता है। यदि आपको महसूस होता है कि गर्मी की लहर आपके शारीरिक अंगों को जकड़ रही है, तो यह आपके गर्भवती होने का संकेत हो सकता है।
13. धब्बे, मुंहासे और फुंसी – मासिक धर्म के निर्धारित समय से पहले मुंहासे और फुंसी का कभी–कभी होना आम है। गर्भाधान के बाद हॉर्मोन के स्तर में वृद्धि होने के परिणामस्वरूप अचानक से यह बहुत ज्यादा बढ़ सकते हैं। खैर, इसका उल्टा भी हो सकता है, मासिक धर्म के निर्धारित समय से पहले मुंहासे बिलकुल साफ भी हो सकते हैं और यह संकेत हो सकता है कि गर्भावस्था शुरू हो गई है।
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14. अजीब सपने – गर्भावस्था के शुरुआती (Early Pregnancy Symptoms in Hindi) हफ्तों में अजीब सपने आना आम बात है। यह एक अजीब गर्भावस्था का लक्षण है जहाँ कई महिलाओं को गर्भाधान के एक या दो सप्ताह बाद अजीब भावनाओं की अनुभूति होती है। गर्भावस्था के हॉर्मोन विचित्र तरीके से काम करते हैं, जिससे एक गर्भवती महिला को बेवजह सपने और भ्रम पैदा होते हैं। ऐसे सपने आपको पुरे गर्भावस्था के दौरान या आखिरी के महीनो में भी आ सकते है।
15. रक्तस्राव और ऐंठन – अंडों के फर्टिलाइज होने के बाद जब आप गर्भवती होती हैं तो आपको हल्का रक्तस्राव होता है। साथ ही, शरीर में ऐंठन भी होता है। गर्भधारण करने के बाद इन दोनों लक्षणों को अनुभव किया जा सकता है।
16. सिर चकराना तथा मिजाज़ में अचानक परिवर्तन – चक्कर आना और बेहोशी का एहसास गर्भावस्था का एक प्रारंभिक लक्षण है जो कई गर्भवती महिलाओं में होता है। रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, जिससे रक्तचाप में कमी होती है और चक्कर व असंतुलन महसूस होता है।यह लक्षण पहली तिमाही के दौरान दिखाई देता है और धीरे–धीरे बाद के महीनों में कम हो जाता है।
इसी के साथ आपक अपने मिज़ाज़ में काफी परिवर्तन देखने को मिलेगा जैसे कभी उदास, कभी खुश, कभी गुस्सा तो कभी कुछ। हॉर्मोन में असंतुलन मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करता है, जिससे क्रोध से लेकर अचानक भावनात्मक आवेग के दौर बढ़ जाते हैं। यदि आप सामान्य महसूस नहीं करती हैं तो आराम करने के लिए थोड़ा समय निकालें।
प्रेग्नेंसी के लक्षणों को देखते हुए प्रेगनेंसी को कैसे कंफर्म करें
अगर आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं और ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करती हैं तो इसका आमतौर पर यही मतलब हुआ की अपने गर्भधारण कर लिया है। जहां तक इन लक्षणों के आधार पर प्रेगनेंसी को कंफर्म करने की बात है तो बाजार पर में बहुत तरह के प्रेगनेंसी टेस्ट कीट मौजूद हैं जिनकी मदद से आप घर पर अपना प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकती हैं।
हालांकि, कई बार प्रेगनेंसी टेस्ट कीट के परिणाम गलत भी आ जाते हैं। ऐसे में क्लिनिक जाकर डॉक्टर से जांच कराने की सलाह दी जाती है। प्रेगनेंसी की पुष्टि करने के लिए आमतौर पर डॉक्टर ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट करते हैं। लेकिन जब डॉक्टर इन दोनों टेस्ट के रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होते हैं तो अल्ट्रासाउंड करते हैं। अल्ट्रासाउंड से प्रेगनेंसी की पुष्टि सही प्रकार से की जा सकती है।
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अगर गर्भपात की योजना बना रहे हैं
- अगर प्रेग्नेंसी के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर आप गर्भपात (abortion) की योजना बना रही हैं तो इसके बारे में पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें। खुद से किसी तरह की दवाई न लें, डॉक्टर से जांच करवाएं, जिससे कि डॉक्टर आपकी शारीरिक स्थिति के अनुसार गर्भपात की संभावनाएं बता सके।
- ज्यादातर डॉक्टर महिला के शारीरिक तौर पर स्वस्थ होने पर ही गर्भपात की बात पर सहमत होते हैं। गर्भपात किसी दवाई या सर्जरी के माध्यम से किया जाता हैं। दोनों ही सूरतों में महिला को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है जिससे कमजोरी आ सकती है।
- डॉक्टर गर्भपात के बाद जिन चीजों को खाने और एक्टिविटी करने से मना करें, उसे न करें। ऐसा करने से यूटेरस में परमानेंट दिक्कत भी हो सकती है और इनफर्टिलिटी की संभावना बढ़ जाती है।
- कई ऐसी परिस्थितियां भी हैं जिसमें महिला की शारीरिक स्थिति के अनुसार डॉक्टर गर्भपात करने की सहमति नहीं देते हैं।
- अगर प्रेग्नेंसी के शुरूआती लक्षण को न पहचाना जाए और समय बीतता जाए तो डॉक्टर गर्भपात करने से मना कर देते हैं। क्योंकि समय बीतने पर गर्भ में बच्चे का विकास एक स्टेज के पार हो जाता है जिससे गर्भपात (abortion) असंभव हो जाता है।
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अगर आप उपरोक्त में से कुछ या सभी लक्षणों को महसूस करती है तो आप गर्भवती हो सकती है। आज मैंने आपको Pregnancy Ke Lakshan | प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण (pregnancy ke shuruati lakshan) बताएं है जिससे आप जान पाए की गर्भधारण के बाद के शुरूआती लक्षण क्या होते हैं (what are the pregnancy symptoms)। अगर आप भी यह सब गर्भधारण के लक्षण महसूस कर रही हैं तो देर ना करें तुरंत अपने डॉक्टर से मिले और सारे टेस्ट्स करवाएं।
आज की पोस्ट Pregnancy Ke Lakshan | प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण (What are the Early Pregnancy Symptoms) आपको कैसी लगी जरूर बताएं। आज का पोस्ट Pregnancy Conceive ke Lakshan आपको पसंद आया हो इसे अपने दोस्तों और जिसे इसकी जरुरत है उसके साथ जरूर शेयर करें। अपने सुझाव या किसी सवाल के लिए आप मुझे कमेंट कर सकते हैं।
प्रेग्नेंट होने के कितने दिन बाद लक्षण दिखाई देते हैं?
आमतौर पर प्रेग्नेंसी के शुरुवाती लक्षण 6 से 14 दिनों में दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणो शरीर का तापमान बढ़ना, ब्रेस्ट में सूजन, ज्यादा थकावट महसूस होना, ज्यादा नींद आना, ऐंठन और पेट संबंधी दिक्कते इत्यादि शामिल है। इस दौरान दिखाई देने वाले लक्षणों को प्रेगनेंसी का शुरुआती लक्षण कहते हैं।
ओवुलेशन के बाद प्रेग्नेंसी के क्या लक्षण होते हैं?
ओवुलेशन के बाद प्रेगनेंसी के लक्षणों में पेशाब के रंग में बदलाव आना, चक्कर आना, कब्ज और गैस की शिकायत होना शमिल हैं। इसके अलावा, दूसरे भी अन्य लक्षण हो सकते हैं।
गर्भ ठहर गया है कैसे पता चलता है?
थकान और कब्ज़ : प्रेग्नेंसी की शुरुआत में शरीर के भीतर कई हार्मोनल और शारीरिक बदलाव होते हैं। फीटस यानी भ्रूण का विकास हो सके इसलिए दिल की धड़कन तेज हो जाती है और रक्त का प्रवाह भी बढ़ जाता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में महिलाओं को थकान महसूस होती है। इस समय प्रोजेस्टेरॉन का उत्पादन बढ़ जाता है। इसके अलावा प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन आंतों में कसाव पैदा करता है और इस दौरान यदि आपको शौच में तकलीफ होती है, हॉर्मोन के अचानक बढ़ने के कारण मलोत्सर्ग कड़ा हो जाता है और पाचन तंत्र से पार होने वाले भोजन की गति कम हो जाती है।
प्रेगनेंसी के पहले हफ्ते में क्या होता है?
डॉक्टर के मुताबिक, प्रेगनेंसी का पहला सप्ताह महिला के आखिरी पीरियड्स के सात दिनों के बाद शुरू होता है। प्रेगनेंसी के पहले सप्ताह में एक महिला खुद में कुछ मिचलाना, उल्टी होना, बार-बार पेशाब लगना, थकान होना, सिर में दर्द, पैरों में सूजन, ब्लीडिंग, ऐंठन, कमर दर्द, कब्ज, स्तनों में बदलाव आदि लक्षणों को अनुभव कर सकती है।
पीरियड आने से पहले कैसे पता करें कि प्रेग्नेंट हूं?
पीरियड्स आने से पहले प्रेगनेंसी के लक्षणों में स्तनों में सूजन आना और उनका संवेदनशील होना, एरिओला का रंग गहरा होना, बार-बार पेशाब लगना, हल्की ब्लीडिंग होना, कब्ज़ होना, पेट में गैस बनना इत्यादि शामिल होते हैं।
सफेद पानी आना क्या प्रेगनेंसी के लक्षण है?
गर्भावस्था के दौरान शरीर को कई तरह के बदलावों से गुजरना पड़ता है। इन नौ महीनों में आने वाले बदलावों में योनि से सफेद पानी आना भी शामिल है। कई महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि प्रेगनेंसी में वैजाइनल डिस्चार्ज होता है और ऐसा होने पर उन्हें चिंता होने लगती है जबकि गर्भावस्था में सफेद पानी आना नॉर्मल बात है।