8 Month Pregnancy in Hindi: प्रेगनेंसी का आठवां महीना- लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, शिशु का विकास, आहार तथा सावधानियाँ

प्रेगनेंसी का आठवां महीना बहुत ही खास होता है। एक गर्भवती महिला के लिए वैसे तो पूरी गर्भावस्था महत्वपूर्ण हैं लेकिन शुरुआत तथा आखिरी महीनों में बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है। गर्भावस्था का आठवां महीना (Pregnancy Tips Eight Month in Hindi) बहुत नाजुक होता है इसलिए इस समय आपको बहुत सावधानियां बरतनी चाहिए। आज के ब्लॉग में हम जानेंगे 8 Month Pregnancy in Hindi – लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, शिशु का विकास, आहार तथा सावधानियों के बारे में।

गर्भावस्था के इस पड़ाव पर आपको अपने खान पान का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है क्यूंकि आपके गर्भ में पल रहे शिशु को इस दुनिया में आने में बस कुछ ही समय ही बचा है। आपका खान पान आपके शिशु की सेहत को प्रभावित करता है। गर्भावस्था का आठवां महीना यानि की गर्भावस्था का अंतिम चरण, आप प्रसव से केवल कुछ ही दूरी पर हैं।

प्रेगनेंसी का यह 29 से 32वां सप्ताह आपके लिए बहुत स्पेशल होता है। इस समय आप पूर्ण रूप से गर्भवती होती हैं। आप लगभग प्रेगनेंसी की संपूर्ण प्रक्रिया को पूरा करने वाली होती हैं। अपनी प्रेग्‍नेंसी के आठवें महीने (pregnancy ka 8 va mahina) में आप अपनी गर्भावस्‍था के अंतिम पड़ाव में हैं। इस पड़ाव तक पहुँचने पर मन में प्रसव को लेकर कई सवाल और भय होना स्वभाविक है, ज्यादातर उन महिलाओं को जो पहली बार माँ बन रही है।

अब आपके बच्चे का आकर ऐसा होगा की वो गर्भाशय में घूम नहीं सकता बस अपने हाथ-पैरों हिला डुला सकता है और करवट ले सकता है। आपको अपने शिशु की गतिविधियों पे ध्यान देना होगा, उसकी गतिविधियों में कमी या बढ़ोत्तरी होने पर अपने चिकित्सक से सलाह लें।

आज के इस ब्लॉग में हम गर्भावस्था के दौरान आठवें महीने (8 Month Pregnancy in Hindi) में आपके शरीर में होने वाले बदलाव तथा लक्षण, आहार, दैनिक गतिविधियों, शिशु का विकास तथा इस महीने बरती जाने वाली सावधानियों जैसी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे।

8 Month Pregnancy in Hindi – प्रेगनेंसी का आठवां महीना

अगर आप चाहती हैं कि आपकी Normal Delivery हो तो आप किसी ऐसे डॉक्टर या गायनेकोलोजिस्ट को ढूंढें जो इस काम में माहिर हो। नॉर्मल डिलीवरी में एक्सपर्ट डॉक्टर आपको प्रेगनेंसी के टाइम पर ही सारी चीजों के बारे में सही से गाइड करके नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं।

लेबर पेन के दौरान भी ये सलाह आपके काम आ सकती है। Experts की सलाह से आप Natural Birth में मदद करने वाले विकल्पों और तरीकों के बारे में जान सकती हैं। अब जानते हैं गर्भावस्था के आठवें महीने में गर्भवती महिला में कौनसे लक्षण और बदलाव देखने को मिलते हैं।

गर्भावस्था के आठवें महीने में लक्षण और बदलाव | Symptoms and changes in the eighth month of pregnancy

1. गर्भावस्था के आठवें महीने तक शिशु लगभग पूरी तरह विकसित हो चुका होता है। बढे हुए गर्भाशय के कारण जब मूत्राशय पर दबाव पड़ता है, तो ऐसे में आपको बार-बार पेशाब जाने की जरुरत महसूस होती है। रात में भी बार-बार पेशाब लगने के कारण आपकी नींद भी ख़राब होती है।

2. गर्भाशय बढ़ने के कारण पेट के निचले हिस्से पर निशान यानि स्ट्रेच मार्क्स नज़र आ सकते हैं। साथ ही जननांगों की हड्डी से लेकर आपकी नाभि तक एक भूरे रंग की धारी दिखाई देने लगेगी जो सीधी या टेढ़ी मेढ़ी भी हो सकती है। ये लाइन पांचवे महीने से ही उभरने लगती है इससे घबराएं नहीं डिलीवरी के बाद धीरे धीरे ये हटने लगेगा।

3. जैसे-जैसे गर्भाशय बढ़ता है, फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं। इस वजह से गर्भवती को सांस फूलने और साँस लेने में दिक्कत की समस्या हो सकती है, लेकिन इससे आपके शिशु की सेहत पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्यूंकि नाल के जरिये शिशु को गर्भ में पर्याप्त रूप से ऑक्सीजन मिलती रहती है, जिससे वह ठीक से सांस ले पाता है।

4. ब्रेक्सटन हिक्स इस महीने भी आपको महसूस होंगे। यह प्रक्रिया गर्भावस्था के सातवें महीने से शुरू होती है और आठवें महीने में भी जारी रहती है। इसमें आपको गर्भाशय की मांसपेशियों में कसाव महसूस होगा। यह हल्के-हल्के संकुचन होते हैं जो 30 सेकंड से एक मिनट तक रह सकते हैं। ब्रेक्सटन हिक्स को “फाल्स लेबर” भी कहा जाता है। जितना बड़ा आपका गर्भाशय होता जाता है, उतना अधिक आप कसाव होने पर इसकी अनुभूति कर सकती हैं।

5. कब्ज़ और अपच की समस्या इस महीने भी हो सकती है, कई गर्भवती महिलाओं को आठवें महीने में कब्ज के कारण बवासीर हो जाती है। इसके अलावा, बढ़ते गर्भाशय के कारण नीचे की नसों में सूजन आ जाती है, जिससे बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है।

6. स्तनों से गाढ़े पिले रंग के द्रव (कोलोस्ट्रम) का रिसाव हो सकता है, योनि से रिसाव होता रहता है, आपको पीठ दर्द की शिकायत, चलने फिरने तथा झुकने में परेशानी जैसी समस्या बनी रहती है।

 

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गर्भावस्था के आठवें महीने में गर्भवती महिला का आहार | Diet of pregnant woman in eighth month of pregnancy

गर्भावस्था के हर महीने की तरह आठवें महीने (garbhavastha ka aathva mahina) में भी आप अपना खान पान संतुलित और स्वस्थ रखें। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और खुद को हमेशा हाइड्रेटिड रखें। फाइबर और विटामिन सी से भरपूर भोजन आपको कब्ज़ और गैस को दूर करने तथा आयरन को ठीक से अवशोषित करने में मदद करता है।

साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, पिस्ता, अनार, सेब, पालक, संतरा, रेशे वाली सब्जियां, मौसमी, ओटमील इत्यादि इसमें काफी फायदेमंद है। दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ जैसे दही, पनीर आदि विटामिन, मिनरल, कैल्शियम, पोटाशियम, प्रोटीन आदि पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है इसलिए गर्भावस्था के अंतिम दिनों में दुग्ध उत्पादों का सेवन करें इससे शिशु का विकास सही से होता है।

गर्भावस्था के अंतिम चरण में कम मात्रा में वसा युक्त आहार खाना अति आवश्यक है। इसके लिए आप मेवे खा सकती हैं इससे आपको ओमेगा-3 फैटी एसिड प्राप्त होगा जो शिशु के दिमाग के लिए आवश्यक है। विटामिन्स, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर तथा अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए उस मौसम में मिलने वाले फलों का सेवन करें।

 

Baby development in the eighth month of pregnancy

 

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गर्भावस्था के आठवें महीने में शिशु का विकास । Baby development in the eighth month of pregnancy

8 महीने में बच्चे का वजन कितना होना चाहिए (8 months Pregnency baby weight and development) : हर माँ को बड़ी उत्सुकता होती है की उसके गर्भ में पल रहा शिशु कितना और कैसे विकास कर रहा है, साथ ही साथ ये चिंता भी सताती है की क्या होने वाला है डिलीवरी ठीक से होगी या नहीं, सब कुछ ठीक होगा ना?

मुझे भी ऐसा महसूस होता था जब मैं माँ बनने वाली थी और मैं बहुत उत्साहित थी की कब वो नन्ही सी जान मेरी गोद में आये पर थोड़ी डरी हुई भी थी की डिलीवरी नार्मल होगी या नहीं क्या होगा कैसे होगा।

मैं नार्मल डिलीवरी चाहती थी और वही हुआ क्यूंकि मेरी सोच सकारात्मक थी। इलसिए आप भी अच्छा सोचे, हमेशा सकारात्मक रहे, खुश रहे, पौष्टिक आहार लेते रहे। काम कम करें और ज्यादा से ज्यादा आराम करें और सुबह शाम वाकिंग करें।

अब बात करते है शिशु के विकास के बारे में। तो इस महीने आपका शिशु लगभग 14 -17 इंच लम्बा हो जाता है तथा वज़न में 2 किलो (8 month pregnancy baby weight in kg) या इससे ज्यादा भी हो सकता है। इस महीने में शिशु का वजन और लंबाई काफी बढ़ती है। शिशु का विकास, स्वास्थ्य और वजन आपके खान – पान और जीवन शैली पर निर्भर करता है।

अब आपके गर्भ में जगह काम बचती है इसलिए वो पहले की तरह घूम नहीं पाता पर हलचल जरूर होती रहेगी। अब उसका सिर निचे की तरफ आ जाता है (बच्चे का सिर निचे मुड़ने के लक्षण | बच्चे सिर नीचे मोड़ के लक्षण) यानि शिशु घूमते हुए श्रोणि की हड्डियों के बीच बनी गुहा (कैविटी) के अंदर अपना सिर स्थापित कर लेता है। यह योनि प्रसव के लिए शिशु द्वारा तैयारी की दिशा में एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है।

एक बार जब शिशु का सिर निचे की ओर हो जाता है, तो वह एम्नियोटिक द्रव में घूमना बंद कर देता है और प्रसव होने तक ऐसी स्थिति में ही रहता है। शिशु के सिर के बल उग जाते है। शिशु की आँखें और पलकें पूरी तरह विकसित हो जाती है। वो अपनी आखें खोल-बंद कर सकता है।

इस महीने न्यूरॉन्स तेज़ी से बढ़ते है इसलिए शिशु के मस्तिष्क का विकास बहुत तेज़ी से होता है और शिशु के फेफड़ों के विकास का अंतिम चरण चल रहा होता है। अगर गर्भ में लड़का है तो जननांग का बाहर की ओर विकास शुरू हो जाएगा और अगर लड़की है तो योनि का विकास इस महीने तक हो जाता है।

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गर्भावस्था के आठवें महीने में बरतें कुछ सावधानियाँ । Take some precautions in the eighth month of pregnancy

अब आपको अस्पताल जाने के लिए अपना बैग पैक और होने वाले बच्चे के लिए जरुरी सामान रख लेना चाहिए। क्यूंकि अगले महीने आपकी डिलीवरी निश्चित है और अगर Preterm Delivery हुई तो कभी भी आपको हास्पिटल जाना पड़ सकता है। इसलिए आप अभी से अपना हॉस्पिटल बैग तैयार करें। अपने बैग में सैनिटरी पैड, गाउन, ब्रेस्‍ट पैड, ब्रा और कुछ पर्सनल चीजें रख लें।

अगर आप जॉइंट फॅमिली में नहीं है तो अपने परिवार से किसी महिला रिश्तेदार को अपने पास भुला लें क्यूंकि बच्चे के होने से पहले और बाद में भी आपको उनकी जरुरत पड़ेगी। आप खुद कोई भी यात्रा करने से भी बचें। आठवें महीने में आप जंक फूड या प्रोसेस्‍ड फूड ना खाएं क्यूंकि इसकी वजह से आपको अपच और सीने में जलन जैसी समस्याएं हो सकती है।

गर्भावस्था का आखिरी समय काफी नाज़ुक होता है, इसलिए इस दौरान गर्भवती की खास देखभाल (8 months pregnany me pet dard) होना जरूरी है। गर्भवती महिला की जीवनशैली कैसी है, उसका खान-पान कैसा है, ये सब गर्भवती और होने वाले शिशु पर सीधा असर डालता है।

जैसे-जैसे प्रेग्‍नेंसी आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे सतर्क रहने की जरूरत भी बढ़ जाती है क्‍योंकि इस दौरान हुई एक छोटी सीभी गलती से माँ और बच्‍चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है। गर्भावस्‍था के आठवें महीने में कुछ जटिलताएं (Complications) आने का भी जो‍खिम बना रहता है।

ऐसे में सही देखभाल बहुत जरूरी है। इस महीने आप खुद को थका हुआ महसूस करेंगी, आपको सोने में भी परेशानी होगी। फिर भी जैसे आपको सुविधा हो वैसे, लेकिन पूरी नींद लें। ज्यादा देर तक खड़े होने से बचे। तनाव से दूर रहे। एक ही बार बहुत सारा खाने से अच्छा है थोड़ी थोड़ी देर पर कुछ ना कुछ कहते रहे। सुबह-शाम आधे घंटे घूमने से शरीर में रक्‍त संचार ठीक रहेगा। इसके अलावा मनोदशा भी सुखद रहेगी और आप तनाव से दूर रहेंगी।

कैफीनयुक्त चीजों जैसे चाय,कॉफी,कोल्ड ड्रिंक्स आदि से दूर रहे इससे आपके बच्चे और आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा पपीता, अन्नानास, कच्चा अंडा, कच्चा मांस, सीफूड, बहुत अधिक नमक, हर्बल टी आदि के सेवन से बचना चाहिए।

 

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