व्रत और उपवास तो सभी करते हैं पर क्या आपको इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण पता है? तो चलिए आज जानते हैं व्रत और उपवास क्यों रखे जाते हैं | इसका वैज्ञानिक कारण क्या है | Why people dose FASTING | What are the scientific reasons behind this. दुनिया की अलग अलग परम्पराओं और लगभग हर धर्म को मानने वाले लोग व्रत और उपवास रखते ही है। हम सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी व्रत या उपवास रखा ही है।
उपवास और प्रार्थना आपस में संबंधित हैं। दुनिया की हर परंपरा और धर्म में उपवास और प्रार्थना को एक साथ जोड़ा गया है। उपवास चाहे धार्मिक कारणों से किया जाये या जीवन शैली के विकल्प के रूप में, दोनों ही स्थिति में इसका सीधा असर मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ता है। उपवास से पाचनतंत्र दुरूस्त रहता है जिससे शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थों का निष्कासन आसानी से हो जाता है।
उपवास यानि व्रत को आज कल लोगों ने अंध श्रद्धा का नाम दे दिया है। भारतीय संस्कृति में उपवास, स्वस्थ रहने की एक अनूठी प्रक्रिया है। आपको भूखा रख कर भगवान को कोई ख़ुशी नहीं मिलती बल्कि इससे आपका स्वास्थ्य बेहतर होता है।
आपके उपवास करने से कोई भगवान प्रसन्न नहीं होते बल्कि व्रत और उपवास से आप अपने शरीर को विषाक्त तत्वों से मुक्त कर रहे है। जब शरीर विषाक्त पदार्थों से मुक्त होकर शुद्ध हो जाता है, तो मनुष्य के विचार सकारात्मक हो जाते हैं। जब शरीर में बहुत सारे विषाक्त पदार्थ होते हैं, और पैनक्रिया, यकृत और आंत सभी भरे होते हैं, तो आपके विचार भी नकारात्मक और अस्पष्ट होते हैं।
व्रत और उपवास क्यों रखे जाते हैं | इसका वैज्ञानिक कारण क्या है | Why people dose FASTING | What are the scientific reasons behind this
उपवास (व्रत) को धार्मिक रूप से विशेष महत्व दिया गया है। माना जाता है कि व्रत रखने से व्यक्ति की प्रवत्ति सात्विक होती है। मनुष्य के मन-मस्तिष्क को शांति मिलती है, लेकिन आयुर्वेद में व्रत के वैज्ञानिक महत्व के बारे में बताया गया है।
शरीर को स्वस्थ और शुद्ध करने के लिए उपवास किये जाते है, ना की भगवान को प्रसन्न करने के लिए। आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ “चरक संहिता” से लेकर आज के विभिन्न चिकित्सीय शोधों ने भी उपवास के अनेक लाभ बताए हैं।
हम सब अपने शरीर के कई अंगों जैसे यकृत, पेट और पैनक्रिया से बहुत अधिक काम कराते हैं, उन्हें बिलकुल भी आराम नहीं करने देते। दिन-रात कुछ ना कुछ खाते ही रहते हैं, अपनी पाचन प्रणाली से बस काम ही कराते रहते है, उन्हें भी आराम की जरूरत है और इसके लिए आपको व्रत तथा उपवास करने की आवश्यकता है।
उपवास शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने, वजन कम करने, चयापचय और पुरानी बीमारियों के विकास के जोखिम को कम करने में मदद करता है। उपवास आपके ह्रदय के स्वास्थ्य और रक्तचाप को संतुलित रखता है। हम सभी को हफ्ते में कम से कम एक दिन का उपवास जरूर रखना चाहिए। अब जानते हैं व्रत का मतलब क्या होता है।
उपवास (व्रत) का अर्थ – Fasting Meaning in Hindi
देखा जाये तो उपवास का सही मतलब होता है, अपने पास रहना, इसका और कोई मतलब ही नहीं होता। आत्मा के पास निवास करना उपवास है। जैसे उपनिषद का अर्थ है गुरु के पास बैठना।
लेकिन आजकल हमारी भारतीय संस्कृति अपनी संस्कृति और परम्पराओं को छोड़ कर विदेशों की भाषा और संस्कृति को ज्यादा महत्व दे रही है। उपवास को इंग्लिश में फास्टिंग (Fasting) कहते है, इसलिए आजकल हम सब भी उपवास को फास्टिंग समझने लगे है। और फास्टिंग का मतलब है एक निश्चित अवधि के लिए खाना पीना ना खाना या फिर अपनी इक्छानुसार थोड़े समय के लिए अन्न – जल त्याग देना।
उपवास (व्रत) के कारण तथा महत्व – Reasons and importance of Fasting
ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी धार्मिक मौके पर ही आप व्रत करें। शरीर की अंदरूनी गंदगी को साफ करने और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के लिए आप कभी भी अपनी इक्छा और सुविधानुसार उपवास (व्रत) कर सकते हैं। उपवास करने से हमारा दिमाग स्वस्थ रहता है। उपवास से हमारे शरीर की संरचना और स्वास्थ में सुधार आता है। इससे डिप्रेशन और मस्तष्कि से जुड़ी कई समस्याओं में भी फायदा होता है।
यही कारण है कि हमारे शास्त्रों में उपवास को धर्म से जोड़ा गया है। ऐसा कहा जाता है कि जब आप उपवास कर रहे होते हैं, तो अपनी प्रार्थनाएं प्रभावकारी ढंग से बोल सकते हैं क्योंकि तब आपका शरीर शुद्ध होता है और आपके मस्तिष्क को पर्याप्त विश्राम मिल रहा होता है। जब शरीर शुद्ध होता है, तो उस समय आपकी प्रार्थना प्रमाणिक और गहरी हो जाती है। आपका पेट खाली होने पर आपका ध्यान सबसे अच्छे से काम करता है।
उपवास (व्रत) के लाभ | उपवास के फायदे -Benefits of fasting | Advantages of Fasting
वज़न नियंत्रण – जब आप कुछ समय के लिए खाना-पीना बंद कर देते हैं तो इससे शरीर के कई हिस्सों के साथ साथ पाचन तंत्र को थोड़ा आराम मिलता है। शरीर में मौजूद ऊर्जा बिमारियों का इलाज करती है, साथ ही कैलोरी को भी नष्ट करती है। इससे आपके शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा मिलता है।
उपवास करने से शरीर की संरचना कई तरह से बेहतर होती है। व्रत रखने से वजन भी नियंत्रित रहता है। व्रत वाले दिन लोग नियंत्रित होकर सीमित चीज़ों का सेवन करते हैं, जिसकी वजह से मोटापा नियंत्रण करने में मदद मिलती है। वजन नियंत्रित करने के लिए सप्ताह में एक दिन का व्रत जरूर रखें।
स्वस्थ ह्रदय – उपवास (व्रत) करने से ह्रदय का स्वास्थ, रक्त संरचना, और रक्तचाप में सुधार होता है। वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो व्रत अगर सही तरीके से किया जाए तो इससे हमारा शरीर संतुलित रहता है। जिसकी वजह से हमारी सेहत को कई तरह के फायदे होते हैं और हमारा शरीर कई तरह के रोगों से बचा रहता है।
कम कोलेस्ट्रॉल – नियमित रूप से उपवास (व्रत) करने से अच्छा कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल बढ़ता है और खराब कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल को कम करने में मदद मिलती है। यदि सप्ताह में एक दिन के व्रत के साथ रोजाना एक्सरसाइज की आदत डाल ली जाए तो इससे कोलेस्ट्रॉल को बहुत तेजी से कम किया जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल कम होने से रक्तचाप (BP) और ह्रदय संबन्धी समस्याओं से राहत मिलती है।
दिमाग रहे शांत – नियमित रूप से उपवास (व्रत) करने वाले मनुष्य के मन में बुरे विचार नहीं आते, वो पूरे दिन को ईश्वर का ध्यान करने में लगा देते है। ऐसे में उस इंसान को तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी परेशानियों से मुक्ति मिलती है तथा उसका दिमाग शांत होता है। इंसान सिर्फ सकारात्मक चीजे सोचता है।
त्वचा में स्वस्थ कोलाजेन – उपवास खून में मौजूद शर्करा को कम करने में मदद करता है जिससे त्वचा के लिए जरुरी प्रोटीन (Collagen), त्वचा को मिल पाता है। उपवास आपकी त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है। शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलने से त्वचा की तमाम समस्याओं से राहत मिलती है।
शरीर के विषैले तत्व बाहर – आजकल की जीवनशैली ने हमारे खानपान को काफी प्रभावित किया है। हम में से ज्यादातर लोग अक्सर बाहरी खानपान या चिकनाईयुक्त भोजन दिनभर में खाते हैं, लेकिन उसे पचाने के लिए कोई श्रम नहीं करते। ऐसे में शरीर में फैट और विषैले तत्व जमा हो जाते हैं, जिन्हे शरीर से निकालना बहुत जरूरी होता है। हफ्ते में एक दिन का व्रत आपके शरीर से विषैले पदार्थ को निकालने का काम करता है।
उपवास (व्रत)करने का सही तरीका – Right way to Fasting
उपवास (व्रत) हमेशा वैज्ञानिक रूप से होना चाहिए। जूस और पानी के साथ कुछ फल लेने चाहिए ताकि शरीर में एंजाइम उत्पन्न हो जाएं और उससे अपचा भोजन पच जाता है। लोग व्रत वाले दिन तरह-तरह की सामग्री बनाकर खाते है, जिसमें ढेर सारी शुगर, नमक और चिकनाई होती है। इस तरह से अगर आप व्रत करते हैं तो इसका कोई लाभ आपको नहीं मिलेगा।
व्रत के दौरान इंद्रियों पर नियंत्रण किया जाता है, मन को सात्विक रखा जाता है और शरीर को आराम दिया जाता है। इसलिए अगर संभव हो तो एक दिन का व्रत निराहार रहें, लेकिन पानी पीते रहें ताकि शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल सकें। अगर निराहार रहना मुश्किल लगे तो दिन में फल, ताजा जूस, छाछ, दही, दूध, सलाद आदि का सेवन कर सकते हैं।
इससे आपके शरीर को ऊर्जा मिलती रहेगी और शरीर से विषैले पदार्थ भी निकलते रहेंगे। कोशिश करें कि व्रत वाले दिन चाय या कॉफी ना लें क्योंकि खाली पेट इन चीजों के सेवन से आपको पेट में गैस (acidity) की समस्या को सकती है।
लोग अवैज्ञानिक तरीके से उपवास करते हैं। शास्त्रों में उपवास के आयुर्वेदिक तरीके का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। थोड़े से फल, रस, पानी और नींबू के सेवन के साथ उपवास करना उपयुक्त है। यदि शरीर की क्षमता हो तो केवल पानी पर भी एक या दो दिन उपवास किया जा सकता है।
निर्जला एकादशी का व्रत नींबू पानी से ही खत्म किया जाना चाहिए। पूरे दिन के व्रत के बाद, शाम को जब कुछ खाएं, तो हमेशा सलाद, फल और कुछ हल्का खाना ही खाना चाहिए, जिससे पाचन प्रणाली को आराम मिले।
ऐसे ना करें उपवास – Don’t do Fasting Like this
उपवास के कुछ नियम भी हैं, लेकिन लोग इन नियमों का भी पालन नहीं करते हैं। लोग सोचते हैं कि उपवास का मतलब है कि वो कुछ चीजें खा सकते हैं और कुछ चीजें नहीं खा सकते। आप बहुत सारे मेवे और फल खा सकते हैं, लेकिन पका हुआ भोजन, यानी चावल-रोटी नहीं खाते हैं। यह उपवास नहीं है।
कुछ लोग उबले हुए आलू और मिठाई खा लेते हैं और कहते हैं कि वे उपवास कर रहे हैं। इन सब से वो लोग खुद को बेवकूफ बना रहे हैं। कभी-कभी, कुछ लोग जो पूरे दिन उपवास करना चाहते हैं, वो लोग सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाते हैं और ढेर सारा भोजन खा लेते हैं।
पूरे दिन खाली पेट रहते हैं और जैसे ही सूर्यास्त होता है, फिर से वो खुद को खाने से भर लेते हैं। यह उपवास का बिल्कुल अच्छा तरीका नहीं है, इसे उपवास नहीं कहते।
कब करें उपवास – When to Do Fasting
उपवास (व्रत) करने के लिए जरूरी नहीं है कि कोई धार्मिक मौका हो तो ही आप व्रत करें। शरीर की अंदरूनी गंदगी को साफ करने और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के लिए आप कभी भी अपनी इक्छा और सुविधानुसार व्रत कर सकते हैं। व्रत करने से हमारा दिमाग स्वस्थ रहता है और इससे डिप्रेशन और मस्तष्कि से जुड़ी कई समस्याओं में भी फायदा होता है।
यही कारण है कि हमारे शास्त्रों में उपवास को धर्म से जोड़ा गया है। ऐसा कहा जाता है कि जब आप उपवास कर रहे होते हैं, तो अपनी प्रार्थनाएं प्रभावकारी ढंग से बोल सकते हैं क्योंकि तब आपका शरीर शुद्ध होता है और आपके मस्तिष्क को पर्याप्त विश्राम मिला होता है। जब शरीर शुद्ध होता है, तो उस समय आपकी प्रार्थना प्रमाणिक और गहरी हो जाती है। आपका पेट खाली होने पर आपका ध्यान सबसे अच्छे से होता है।
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किन लोगों को नहीं करना चाहिए उपवास (व्रत) – Who should not do Fasting
1. बच्चों और किशोरों को व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्हें भरपूर पोषण की आवश्यकता होती है।
2. टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों को व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे लोगों के शरीर में शर्करा की मात्रा व्रत के दौरान बिगड़ सकता है, जिससे उन्हें व्रत के दौरान कमजोरी और चक्कर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
3. गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्भावस्था में गर्भ में पल रहे शिशु को पूरी तरह से पोषण की आवश्यकता होती है और व्रत के दौरान सिर्फ फलों का सेवन ही किया जाता है जो कि अनाज में मौजूद पोषक तत्वों की कमी को पूरा नहीं कर सकता। इसके अलावा व्रत के दौरान शरीर में पानी की कमी की भी समस्या हो सकती है।
4. यदि आपको कोई पुरानी बीमारी है तब भी व्रत करना आपके लिए अच्छा नहीं है। यदि आप ऐसी बीमारी की अवस्था में व्रत करते हैं तो शारीरिक कमजोरी का सामना करना पड़ सकता है। इस तरह व्रत करना स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से निजात तो दिलाता ही है, साथ ही बीमारियों से भी बचाता है।
कुछ बातों का ध्यान रखकर हफ्ते में एक दिन का व्रत करें और स्वस्थ रहें। आशा है आपको मेरे आज के लेख से यह बात समझ आ गयी होगी की व्रत उपवास का अर्थ क्या है, व्रत उपवास क्यों रखते हैं, व्रत उपवास के फायदे और नुकसान क्या होते हैं, व्रत उपवास के नियम कौनसे हैं, उपवास के लाभ एवं प्रकार क्या हैं, उपवास के बाद क्या खाना चाहिए, व्रत उपवास का वैज्ञानिक कारण क्या है और व्रत उपवास का महत्व क्या है।
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