Pet ki Charbi kam karne ke upay | पेट कम करने के लिए प्राणायाम

क्या आपकी तोंद निकल आई है, क्या आपको पेट के बल झुकने में तकलीफ होती है, क्या आप pet ke liye yoga और पेट कम करने के लिए प्राणायाम के बारे में जानना चाहते हैं। क्या आपको Motapa kam karne ke liye yoga, Pet ki Charbi kam karne ke upay | पेट कम करने के लिए प्राणायाम (Pet kam karne ke Yogasan) के बारे में जानना है, क्या चलते हुए या सीढ़ियां चढ़ते हुए आपकी सांस फूल जाती है। 

यदि हाँ तो आप मोटापे और अधिक वजन के शिकार हो चुके हैं। मोटापा अकेले नहीं आता बल्कि कई तरीके की बिमारियों को साथ लाता है। मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति Cancer, Diabetes, Arthritis, Heart Disease, High Blood Pressure जैसी कई सारी बिमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए मोटापे को नियंत्रित रखना और पेट को सपाट रखना बहुत जरुरी है।

Belly Fat यानि की पेट की चर्बी, आपके पूरे look को खराब कर देती है और साथ ही यह आपकी सेहत के लिए भी काफी नुकसानदायक होती है। लोग पेट की चर्बी कम करने के लिए तरह तरह के उपाय करते हैं। डाइटिंग से लेकर जिम तक में पसीना बहाते हैं लेकिन अगर एक बार पेट पर चर्बी जम गयी तो इसे हटाना इतना आसान नहीं होता।

ऐसे में लोग कई अन्य तरह के उपाय तलाशते हैं जिससे बिना अधिक मेहनत किये pet ki charbi यानि Belly Fat को कम कर सकें जैसे की पेट कम करने की एक्सरसाइज (pet kam karne ki exercise), पेट कम करने का योग, pet ki charbi kam karne ka yoga, पेट कम करने के लिए प्राणायाम, motapa kam karne ke liye yoga इत्यादि, जिससे सेहत पर भी कोई बुरा प्रभाव ना पड़े।

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पेट कम करने के लिए योग | Yoga to Reduce Belly Fat in Hindi (Pet kam karne ke Yogasan)

अगर आप पेट कम करने के उपाय ढूढ़ रहे तो इसके लिए योगासन एक बेहतर विकल्प है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कुछ आसान और खास योगासन के नियमित अभ्यास से बेली फैट की समस्या से निजात पाया जा सकता है। इन योगासन को करने से पेट की चर्बी तो कम होती ही है, साथ ही कब्ज, सूजन, अपच जैसी पेट संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं।

रोजाना योग करने से ना सिर्फ हमारा शरीर बीमारियों से दूर रहकर स्वस्थ होता है बल्कि इससे हमारे दिमाग और आत्मा का भी शुद्धिकरण होता है। योग हमारे शरीर,आत्मा और दिमाग तीनों के लिए बहुत लाभकारी है। योग आज से नहीं बल्कि हजारों वर्षों से हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं तो आप योग से भी वजन घटा सकते हैं।

लेकिन अगर आपका वजन असामान्य रूप से बढ़ रहा है तो आपको ये जान लेना जरुरी है की आपका वजन बढ़ने का कारण क्या है, आपकी डाइट सही है या नहीं, या किसी बीमारी की वजह से आपका वजन बढ़ रहा है इत्यादि।

जब भी आप वजन घटाना चाहे, उसस पहले यह सोचना जरूरी है कि वजन बढ़ने का कारण क्या है? क्या आपकी डाइट सही नहीं है? या किसी बीमारी की वजह से आपका वजन बढ़ रहा है? योग में सांसों से जुड़ी ऐसी कई सारी एक्सरसाइज और आसन हैं, जो मेटाबोलिज्म बढ़ाते हैं। योग से ना केवल आपका शरीर Flexible होता है बल्कि इससे Muscles भी Strong होती हैं।

तो चलिए आगे जानते हैं कुछ yoga poses, उनको करने का तरीका, उनके benefits और इन योगाभ्यास को करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में, जिनको करने से आप संभवतः अपना belly fat कम कर पाएंगे। मैं आपको pet kam karne ke liye yoga image के साथ आपको बताउंगी और इसके साथ आप pet kam karne ke liye yoga video को भी online देख कर सही से इन योगाभ्यास को करना सिख सकते हैं।

 

1. सूर्य नमस्कार – SURYANAMASKAR

पेट कम करने के लिए योग में सबसे पहला नाम सूर्य नमस्कार का आता है। सूर्य नमस्कार एक ऐसा योगासन है जिसे करते समय शरीर के सभी अंग एक साथ काम करते हैं। शरीर को चुस्त व तंदुरुस्त रखने के लिए इससे बेहतर और कोई योग हो ही नहीं सकता।

पेट कम करने के योगासन में सूर्य नमस्कार को शामिल किया जा सकता है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से मोटापा कम हो सकता है और जिन्हें मोटापा नहीं है अगर वो लोग सूर्य नमस्कार करते हैं तो इससे उनका वजन संतुलित रहता है। सूर्य नमस्कार में कुल 12 अभ्यास होते हैं। 

SURYANAMASKAR

सूर्य नमस्कार करने का तरीका  | How to do Surya Namaskar in Hindi : 

• प्रणाम आसन : सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को छाती के पास, नमस्कार की मुद्रा में रखें

• हस्तउत्तानासन : अब सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाकर कान के पास सटाएं और पीछे झुकने का प्रयास करें

• पादहस्तासन : इसके बाद सांस छोड़ते हुए पेट के बल झुकें और हथेलियों को जमीन पर सटाने की कोशिश करें। साथ ही घुटनों को बिना मोड़े माथे को घुटने से स्पर्श करने का प्रयास करें

• अश्व संचालनासन : सांस लेते हुए दाएं पैर पर बैठ जाएं और बाएं पैर को पीछे ले जाएं। इस मुद्रा में बायां घुटना जमीन पर लगाएं।

• पर्वतासन : सांस छोड़ते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं और शरीर को बीच से उठाएं। इस मुद्रा में अपनी एड़ियों को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करें और बाजुओं को सीधा रखें

• अष्टांगासन : सांस लेते हुए जमीन पर लेट जाएं, इस अवस्था में सिर्फ ठुड्डी, छाती और घुटने ही जमीन से स्पर्श करेंगे। पेट और कूल्हों को उठाकर रखें

• भुजंगासन : अब बिना सांस लिए या छोड़े ही कमर से ऊपर के हिस्से को नाभी तक उठाएं। इस दौरान हथेलियां जमीन से सटी रहेंगी

• पर्वतासन : सांस छोड़ते हुए फिर से शरीर को बीच से उठाएंगे और एड़ियों को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करें। साथ ही बाजुओं को सीधा रखें

• अश्व संचालनासन : सांस लेते हुए बाएं पैर को आगे लाकर उसके बल बैठ जाएं और दाएं पैर को सीधा रखें। दाएं घुटने को जमीन से सटाएं

• पादहस्तासन : अब सांस छोड़ते हुए दाएं पैर को भी आगे ले आएं और हथेलियों को जमीन से व माथे को घुटनों से सटाकर रखें

• हस्तउत्तानासन : सांस लेते हुए हाथों व शरीर को ऊपर उठाएं और पीछे झुकने का प्रयास करें

• प्रणाम आसन : अंत में सीधे होते हुए नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं

इस प्रकार सूर्य नमस्कार का एक चक्र पूरा हो जाएगा। सूर्य नमस्कार में कुल 12 अभ्यास होते हैं, आप चाहे या कर सके तो एक बार में 20-25 चक्र कर सकते हैं।

सूर्य नमस्कार करने के लाभ | Benefits of Surya Namaskar in Hindi : 

surya namaskar ke fayde : सूर्य नमस्कार से ना केवल पेट की चर्बी कम की जा सकती है, बल्कि इससे पाचन तंत्र में सुधार होता है, इसको रोज़ाना करने से शारीरिक व मानसिक तनाव कम हो सकता है, यह योगासन पूरे शरीर को सक्रिय करता है, सूर्य नमस्कार शरीर के दर्द को कम करने में मदद करता है। अगर समय की कमी है तो आपके इस अकेले योगासन को करने से एक बार में ही सभी अंगों की कसरत हो जाती है।

सावधानियां : इसे करते समय अपनी सांसों पर पूरा ध्यान दें। गलत तरीके से सांस लेने पर फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान इसे ना करें। अगर स्लिप डिस्क या फिर घुटनों में किसी प्रकार का दर्द या परेशानी है, तो इस योगासन को ना करें। बच्चे उच्च रक्तचाप व ह्रदय रोग से पीड़ित मरीजों को विशेषज्ञों की देखरेख में ही सूर्य नमस्कार करना चाहिए।

 

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2. चक्की चलनासना – CHAKKI CHALANASANA (The Churning Mill Pose)

पुराने समय में आटा पीसने के लिए चक्की को हाथों की मदद से चलाया जाता था, यह आसन भी उसी तरह किया जाता है। इस आसन को करना मुश्किल नहीं है और इसे कोई भी कर सकता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम किया जा सकता है।

Chakkichalanasana

चक्की चलनसाना करने का तरीका | How to do Chakki Chalanasana in Hindi : 

• सबसे पहले तो बैठ जाएं, इसके बाद पैरों को आगे की तरफ फैलाएं और सीधा रखें

• अब दोनों बाजुओं को कंधे की सीधाई में आगे की तरफ फैलाएं और दोनों हाथों की उंगलियों को एक-दूसरे में फंसाकर मुट्ठी बना लें

• फिर लंबी गहरी सांस भरते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे लेकर आएं और दाएं से बाएं की ओर घूमते हुए हाथों को सीधा रखते हुए एक गोला बनाएं

• जब आप ऐसा करेंगे तो आपके हाथों के साथ-साथ कमर से ऊपर का शरीर भी दाएं-बाएं और आगे-पीछे होता रहेगा जो होना ही चाहिए

• पहले यह प्रक्रिया 5-10 बार Clock wise और फिर 5-10 बार Anti Clock wise करें, कोशिश करें कि इस दौरान पैरों को स्थिर रखें और कमर से निचले हिस्से में खिंचाव महसूस करें

चक्की चलनसाना करने के लाभ | Benefits of Chakki Chalanasana in Hindi : 

chakki chalanasana ke fayde : इस आसन के नियमित अभ्यास से महिलाओं को मासिक धर्म में होने वाली कठिनाई व दर्द से राहत मिलती है। इस योगासन से महिलाओं के गर्भाशय की मांसपेशियां ठीक तरह से काम करती हैं। अगर आदमी भी इसे करे तो उनका पेट अंदर ही रहता है बाहर नहीं निकलता।

सावधानियां : इस आसन को गर्भावस्था के दौरान नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को कम रक्तचाप की समस्या या फिर स्लिप डिस्क है, उनको भी इसे नहीं करना चाहिए। सिर में दर्द या फिर माइग्रेन होने पर इससे परहेज करें और अगर हर्निया का ऑपरेशन हुआ है तो भी यह आसन न करें।

 

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3. उत्तानपादासन – UTTANPADASANA (The Raised Leg Pose)

उत्तान का अर्थ होता है ऊपर उठा हुआ और पाद का अर्थ होता है पैर। उत्तानपादासन लेटकर किया जाने वाला महत्वपूर्ण आसन है। इस आसन में पैरों को थोड़ा सा ऊपर उठाया जाता है, इसलिए यह आसन उत्तानपादासन कहलाता है। पेट की चर्बी को कम करने में यह आसन बहुत ही जायदा लाभप्रद है।

How to do Uttanpadasana in Hindi

उत्तानपादासन करने का तरीका | How to do Uttanpadasana in Hindi : 

• सबसे पहले कमर के बल सीधा लेट जाएं और हाथों को शरीर से सटा कर रखें और आपकी हथेलियों की दिशा जमीन की ओर होनी चाहिए

• अब लंबी गहरी सांस भरते हुए पैरों को करीब 30 डिग्री के कोण तक ऊपर उठाएं, ध्यान रहे कि आपको अपने सिर को नहीं हिलाना है

• करीब 30 seconds तक इसी अवस्था में रहें और धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते रहें

• इसके बाद लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे ले आएं और विश्राम करें

• इस आसन को आप 3-4 बार करें

उत्तानपादासन करने के लाभ | Benefits of Uttanpadasana in Hindi : 

uttanpadasana ke fayde : इस आसन को करने से पाचन तंत्र अच्छी तरह से काम करता है। इस योगासन को करते समय पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है, जिससे वह मजबूत होती है। इस योगासन की मदद से आप बिना Gym गए पेट के एब्स बना सकते हैं। जिन लोगों को गैस, एसिडिटी, कब्ज व अपच की शिकायत रहती है, को लोग इस योगासन को जरूर करें, बहुत फायदा होगा। इस योग से कमर की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।

सावधानियां : इस योग को गर्भावस्था के दौरान नहीं करना चाहिए और जिनके पेट का ऑपरेशन हुआ है, वो भी इससे परहेज करें।

 

4. अर्ध चक्रासन – Ardha Chakrasana (Half Wheel Pose)

अर्ध का मतलब होता है आधा और चक्र का मतलब होता है पहिया। इस आसन को अर्धचक्रासन इसलिए कहा जाता क्यूंकि इस आसन को करते हुए शरीर की मुद्रा आधे पहिये जैसी नजर आती है। पेट की चर्बी कम करने के लिए ये योगासन काफी मददगार क्यूंकि इससे पेट पर दवाब बनता है और इससे पेट की चर्बी धीरे-धीरे कम होने लगती है।

How to do Ardha Chakrasana in Hindi

अर्ध चक्रासन करने का तरीका । How to do Ardha Chakrasana in Hindi :

• पैरों को आपस में सटाकर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को भी सीधा रखें

• अब कोहनियों को मोड़ते हुए हथेलियों को कमर के निचले हिस्से पर रखें

• फिर सांस लेते हुए जितना हो सके पीछे की तरफ झुकने की कोशिश करें

• जब तक हो सके इसी अवस्था में रहें और सांस लेते व छोड़ते रहें

• इसके बाद सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में वापस आ जाएं

• इस आसन को एक समय में 3-4 बार किया जा सकता है

अर्ध चक्रासन करने के लाभ | Benefits of Ardha Chakrasana in Hindi : 

ardha chakrasana ke fayde : इस आसन को करने से पेट की चर्बी तो कम होती ही है साथ ही इसके और भी कई अन्य लाभ हैं, जैसे की जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है वो इस आसन को करें तो इससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा संतुलित होती है। इस आसन से गर्दन के दर्द को दूर करने में मदद मिलती है और पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव होता है जिससे वो लचीले बनते हैं।

अगर कोई कमर दर्द से परेशान हैं और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाना चाहता है, तो इस आसन को करने से उन्हें बहुत फायदा पहुंचेगा। जो लोग अत्यधिक समय तक बैठकर काम करते हैं, उन्हें यह आसन करना चाहिए, ताकि इससे कमर दर्द से आराम मिल सके।

सावधानियां : इस आसन में पीछे झुकते समय सिर और गर्दन को झटका ना दें। जिन्हे स्लिप डिस्क या फिर साइटिका की समस्या है, वो किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही इसे करें या तो ना करें। यह योगासन करने के बाद आगे झुकने वाली कोई और मुद्रा ना ही करें, तो बेहतर होगा।

 

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5. नौकासन – NAUKASANA (The Boat Pose)

नौकासन या नवासन जिसे अंग्रेजी में Boat Pose भी कहते हैं। यह योग पेट कम करने के साथ साथ ताकत और एकाग्रता प्रदान करने वाले योगासनों में से एक है। यह आसन उन लोगो के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है जो की अपने पेट की चर्बी को दूर करने से साथ-साथ एब्स को टोन करना चाहते है। शुरवात में इसे करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन जैसे जैसे आप इसका अभ्यास करते रहेंगे, आप इसमें बेहतर होते जाएंगे।

naukasana

नौकासन करने का तरीका | How to do Naukasana in Hindi

• इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाये

• अब गहरी साँस भरते हुए दोनों पैरो को जीताना ऊपर उठा सकते है उतना उठाइये

• अब दोनों हाथो को पैरो के समान्तर रखते हुए उठाइये, जैसा ऊपर image में दिखाया गया है

• अपने शरीर को 45 degree के कोण पर बिना कोहनी और घुटनो को मोड़े रखे

• अब साँस छोड़ते हुए नीचे की ओर आराम से सामान्य अवस्था में आ जाये

• इस अभ्यास को एक बार में 3-4 बार कर सकते हैं

नौकासन करने के लाभ | Benefits of Naukasana in Hindi : 

Naukasana Ke Fayde : इस योगासन से पेट की मांसपेशिया, कूल्हे, और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। यह योग बाहों, जांघों और कंधों की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है। यह योग गुर्दे, थायरॉयड और प्रोस्टेट ग्रंथियों और आंतों को उत्तेजित करता है और आपके दिमाग को शांति और तनाव दूर करने में मदद करता है। इस योग से पाचन में सुधार होता है जिससे गैस और कब्ज़ जैसी समस्याएं नहीं होती और इसके नियमित अभ्यास से पेट की चर्बी को घटाने में काफी मदद मिलती है। 

सावधानियां : जो लोग अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित हैं उन लोगों को नौकासन नहीं करना चाहिए। अगर आपको निम्न रक्तचाप, तेज सिरदर्द और माइग्रेन है तो भी आपको इसे नहीं करना चाहिए। कोई पुराण रोग या रीढ़ की बीमारियों से पीड़ित लोगों को इस योग मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान भी भी इसे ना करने की सलाह दी जाती है।

 

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6. उष्ट्रासन – USTRASANA (Camel Pose)

उष्ट्रासन यानि Camel Pose इसमें शरीर ऊंट की आकृति बनाता है। अगर इस आसन का अभ्यास नियमित तौर पर किया जाए तो ये शरीर से हर शारीरिक और मानसिक परेशानी को दूर करके स्वस्थ जीवन देने में मदद करता है। इसके नियमित अभ्यास से ना केवल पेट की चर्बी घटती है बल्कि इससे कमर दर्द में भी रहत मिलती है और इससे पीठ मजबूत बनते हैं। इस आसन को सुबह खाली पेट यानि शौंच के पश्चात किया जाते तो इसके बेहतर परिणाम मिलते हैं।

ustrasana

उष्ट्रासन करने का तरीका | How to do Ustrasana in Hindi

• इस आसन को शुरू करने के लिए पहले घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने हाथ अपने हिप्स पर रखें

• यह सुनिश्चित कर लें की आपके घुटने और कंधे एक ही लाइन में हों और पैरों के तलवे ऊपर की तरफ रहें

• अब सांस भीतर लें और अपनी कमर को पीछे की तरफ मोड़ें, फिर धीरे धीरे अपनी हथेलियों से पैरों को पकड़ें और मजबूत पकड़ बनाएं

• अब अपनी गर्दन को ढीला छोड़ दें, गर्दन पर बिल्कुल भी तनाव ना दें, उदाहरण के लिए चित्र देखें

• इस आसन को 30 से 60 सेकेंड तक बनाए रखें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आएं, इसे दोहराना नहीं है एक ही बार काफी है 

उष्ट्रासन करने के लाभ | Benefits of Ustrasana in Hindi : 

Ustrasana ke fayde : उष्ट्रासन पैरों, जांघों, सीने और पेट के नीचे की मांसपेशियों को टोन करता है। इस आसन से पाचन सुधरता है क्योंकि इस आसन से पेट के भीतर मौजूद सभी अंगों की हल्की मालिश हो जाती है। उष्ट्रासन के अभ्यास से सीने और पेट के निचले हिस्से से अतिरिक्त चर्बी कम होती है।

ये आसन कमर और कंधों को मजबूत बनाता है। इस आसन से कमर के निचले हिस्से में दर्द कम करने में मदद मिलती है। इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है और शरीर का पोश्चर सुधारने में भी ये आसन काफी मदद करता है।

सावधानियां : अगर आपके पीठ के निचले हिस्से में दर्द या चोट हो तो उष्ट्रासन ना करें। बढ़े हुए थायरॉयड से पीड़ित लोगों को भी इसे ना करने की सलाह दी जाती है।

 

7. सेतुबंधासन  – SETUBANDHASANA (Bridge Pose)

सेतुबंधासन दो शब्दों से मिलकर बना है – “सेतु” और “बँध”। सेतु का मतलब होता है पुल और बँध का मतलब बाँधना। इस आसन में आप अपने शरीर को एक सेतु की मुद्रा में बाँध कर या रोक कर रखते हैं, इस लिए नाम सेतुबंधासन रखा गया है।

कुछ लोग इसे सेतु बंध सर्वांगासन के नाम से भी जानते हैं, जबकि अंग्रेजी में इसे ब्रिज पोज (Bridge Pose) भी कहा जाता हैं। इसके नियमित अभ्यास से रक्त संचार में सुधार होता हैं, कमर में लचीलापन आता हैं, पेट की अतिरिक्त चर्बी घटती हैं और पाचन क्रिया में सुधार होता हैं।

How to do Setubandhasana in Hindi

सेतुबंधासन करने का तरीका | How to do Setubandhasana in Hindi

• सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और अपनी सांसो की गति को सामान्य करें

• अब अपने घुटनों को मोड़कर जितना करीब हो सके कूल्हों के पास ले आएं और अपने हाथों को बगल में रखें

• साँस अंदर लें और हाथों पर वज़न डाल कर धीरे धीरे कूल्हों को उपर उठायें

• पैरों को मज़बूती से टिका कर रखें और कमर को जितना ऊपर उठा सके उतना ही उठाये, ज्यादा ऊपर उठाने की कोशिश करें, आप बाद में अभ्यास के साथ साथ धीरे धीरे ज्यादा ऊपर उठाने की कोशिश कर सकते है

आप अपने दोनों हाथों को आपस में जोड़ सकते हैं या फिर हाथों से कमर को थोड़ा सहारा भी दे सकते हैं

• कमसे कम 20-30 seconds इस मुद्रा में रहे और इस बिच आप साँस लेते और छोड़ते रहे

इसके बाद पहले कूल्हों को धीरे धीरे वापस ज़मीन पर टिकाएं ऐसा करते समय साँस छोड़े

इस आसन को आप 2-3 बार दोहरा सकते हैं

सेतुबंधासन करने के लाभ | Benefits of Setubandhasana in Hindi : 

setubandhasan ke fayde : सेतुबंधासन से पेट की चरनी कम होती है और रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है। ये आसन छाती, गर्दन, और रीढ़ की हड्डी में खिचाव लाता है। हमारे मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है। ये आसन पाचन में सुधार लाता है, ये आसन पेट के अंगों, फेफड़ों और थायराइड को उत्तेजित करता है। महिलाओं को मासिक धर्म में होने वाली परेशानी से राहत दिलाता है।

इस आसन को अस्थमा (दमा), हाई बीपी, ऑस्टियोपोरोसिस और साइनसाइटिस में काफी कारगर माना जाता है। इस आसन को करने से चिंता, थकान, पीठ दर्द, सिरदर्द, और अनिद्रा में राहत मिलती है। इसके नियमित अभ्यास से फेफड़ों को मजबूती मिलती हैं और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। प्रजनन अंगों के लिए भी सेतुबंधासन के फायदे अच्छे हैं।

सावधानियां :  सेतुबंधासन करते समय शरीर के साथ किसी प्रकार की कोई जोर जबरदस्ती ना करें। अगर आपकी पीठ या गर्दन में चोट या पीठ दर्द, कमर दर्द या घुटनों का दर्द हो तो सेतुबंधासन ना करें। पेट दर्द, अल्सर व पेट से जुडी किसी प्रकार की गंभीर समस्या में इस आसन का अभ्यास ना करें। गर्भवती महिलाओं को इसे नहीं करना चाहिये या फिर किसी योग विशेषज्ञ की देख-रेख सेतु बंधासन का अभ्यास किया जा सकता है।

 

8. भुजंगासन – BHUJANGASANA (Cobra Pose)

भुजंगासन का नाम “भुजंग” शब्द पर रखा गया है। भुजंग का मतलब होता है साँप। अंग्रेजी में भुजंगासन को कोबरा पोज कहा जाता है, क्योंकि इसे करते समय शरीर की आकृति कुछ सांप जैसी हो जाती है, इसलिए इस आसन को भुजंगासन का नाम दिया है।

इस योगासन को सूर्य नमस्कार में भी शामिल किया गया है। इस आसन को पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करने और रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करने के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही यह रक्त संचार को सुधारने में भी सहायक हो सकता है। 

How to do Bhujangasana in Hindi

भुजंगासन करने का तरीका | How to do Bhujangasana in Hindi

• सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं, हाथों को सिर के दोनों तरफ रखें और माथे को जमीन से टिकाएं

इस दौरान अपने पैरों को तना हुआ और इनके बीच थोड़ी दूरी बनाये रखें

अब अपनी हथेलियों को अपने कंधों के बराबर में लाएं, फिर लंबी गहरी सांस भरते हुए हाथों से जमीन पर दबाव डालते हुए, नाभि तक शरीर को ऊपर उठाये (सबसे पहले मस्तक, फिर छाती और आखिर में नाभि वाले हिस्से को ऊपर उठाये)

इसी अवस्था में रहकर ऊपर की ओर देखें और 30 से 60 seconds तक इसे अवस्था में रहे

इस दौरान आपके शरीर का भार दोनों हाथों पर बराबर बनाएं रखें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें, आपकी हथेली को छोड़कर पूरा बाजु एक दम सीधा होना चाहिए, उदहारण के लिए ऊपर दिया गया चित्र देखें

अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी पहली अवस्था में आ जाएं

इस आसन को आप अपनी क्षमतानुसार 3-4 बार दोहरा सकते हैं

भुजंगासन करने के लाभ | Benefits of Bhujangasana in Hindi : 

bhujangasan ke fayde: भुजंगासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और यह पेट के अंगों को उत्तेजित करता है तथा बढे हुए पेट को कम करने में मदद करता है। इससे छाती, फेफड़ों, कंधों और पेट में खिचाव होता है और ये नितंबों को मज़बूत बनाता है। इससे कंधे और गर्दन का तनाव दूर होता है। भुजंगासन लिवर और किडनी के स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है। भुजंगासन साइटिका और अस्थमा (दमा) के लिए काफी फायदेमंद है।

सावधानियां : गर्भावस्था और माहवारी के दौरान इस आसन को नहीं करना चाहिए। अगर आपको सिरदर्द, पीठ में दर्द या चोट हो तो इस आसन को ना करें।
कार्पल टनल सिंड्रोम के दौरान (इसमें हाथ-बांह में दर्द, इनका सुन्न पड़ना या इनमें झुनझुनी होती है), जोड़ों के दर्द और कलाइयों या पसलियों में फ्रैक्चर की स्थिति में इस आसन को करने से बचें। 

 

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9. अर्ध हलासन – ARDHA HALASANA 

अर्ध हलासन, उत्‍तानपादासन के जैसा ही है। उत्‍तानपादासन में पैर जमीन से करीब एक से डेढ़ फुट ऊपर होते हैं मगर अर्धहलासना में पैर 90 डिग्री तक सीधे होते हैं। यह आसन औरों के मुकाबले आसान है और यह आपको अन्‍य कठिन आसन करने की दिशा की ओर ले जाता है। इसका अभ्‍यास करने से आपको हलासन और उत्‍तानपादासन करने में मदद मिलेगी।

How to do Ardha Halasana in Hindi

अर्ध हलासन करने का तरीका | How to do Ardhahalasana in Hindi

• पीठ के बल लेट जाएं, अपनी हथेलियों को जमीन की ओर और जांधों के बगल में रखें, ध्‍यान रखें उन्‍हें पैरों के नीचे ना दबाएं

• अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लें और धीरे धीरे उठाते हुए 90 डिग्री तक ले जाएं

जिन लोगों का पेट बाहर है उन्‍हें 80 डिग्री के बाद थोड़ी मशक्‍कत करनी पड़ सकती है। या आसन बेशक यह देखने में आसान लगता है मगर शुरुआत में 90 डिग्री तक पैर को टिकाए रखना एक चैलेंज से कम नहीं है

इस दौरान साँस की गति सामान्‍य रखें और इसी अवस्था में 3 मिनट तक ठहरने का प्रयास करें

• अगर आप इस अवस्था में 3 मिनट तक टिक गए तो अच्‍छी बात है लेकिन अगर नहीं टिक पाएं तो भी कोई बात नहीं, धीरे धीरे अभ्यास से आप ऐसा करने में सफल होंगे। इसके बाद धीरे धीरे से वापस सामान्य अवस्था में आ जाएं।

• थोड़ा रुक कर फिर से इसे दोहराएं, आप 3-4 बार इसे कर सकते हैं

• अगर शुरुआत में आपको यह करने में परेशानी हो रही हो तो आप इसे दीवार का सहारा लेकर कर सकते हैं और और धीरे धीरे दीवार की मदद लेने की आदत छोड़ दें

अर्ध हलासन करने के लाभ | Benefits of Ardhahalasana in Hindi : 

ardhahalasan karne ke fayde : अर्धहलासन खाना पचाने की ताकत को बढ़ाता है और मोटापे से लड़ने में मदद करता है तथा इससे पेट की चर्बी भी कम होती है। ये आसन आंतों को ताकतवर बनाता है। जिन लोगों को गैस और कब्‍ज की परेशानी है उन रोगियों के लिए यह आसन काफी फायदेमंद है।

अगर नाभि टल गई तो 2-3 मिनट तक इस आसन को करें इससे नाभि अपनी जगह बैठ जाती है। अगर कमर में दर्द रहता है तो इस आसन को बारी बारी एक एक पैर से करना चाहिए, इससे कमर को ताकत मिलती है और इस आसन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी और भीतर की मसल्‍स ताकतवर बनती हैं। पैरों का सो जाना और उनका झनझनाना भी इस आसन से कम हो जाता है।

सावधानियां : जिनको सर्वाइकल स्पॉण्डिलाइटिस, उच्च रक्तचाप, कमर में दर्द, रीढ़ में अकड़न इत्यादि हो, उन लोगों को इस आसन को नहीं करना चाहिए। अगर आपको चक्कर आता हो तो इसे ना करें। ह्रदय रोग से पीड़ित व्यक्ति भी इसे ना करें। गर्भवस्था एवं menopause में इस योग को करने से बचें।

 

10. पवनमुक्तासन – Pawanmuktasana

पवनमुक्तासन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – पवन (Pawan) और मुक्त (Mukta)। इसमें पवन का अर्थ ‘हवा’ (Air) और मुक्त का अर्थ ‘छोड़ना’ (Release) है। पवनमुक्तासन एक रिलैक्सिंग मुद्रा है जो सभी के लिए उपयुक्त है। पवनमुक्तासन को यह नाम इसलिए दिया गया है क्यूंकि यह आपके पाचन तंत्र में जो भी अधिक वायु होती है, उसे निकालने में मदद करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।

How to do Pawanmuktasan in Hindi

पवनमुक्तासन करने का तरीका | How to do Pawanmuktasan in Hindi

• कमर के बल लेट जाएं और अपने बाजुओं को शरीर के साइड में रखें और रिलैक्स रहें, इस समय गहरी साँस लेते रहे

• अब सांस छोड़ते हुए अपने घुटनों को अपनी छाती की ओर लाएं और अपनी जांघों को अपने पेट तक लाते हुए हाथों से दबाएं, फिर से गहरी सांस लें

• सांस छोड़ते समय अपने सिर को फर्श से थोड़ा ऊपर उठाएं और अपनी ठुड्डी से घुटनों को छूने की कोशिश करें

• गहरी और लंबी सांस लेते हुए इस आसन में 30-40 seconds तक बने रहें

• धीरे-धीरे सिर, कंधों और पैरों को वापिस शुरुआती मुद्रा में ले आयें

• इस आसन के 2-3 बार करें और फिर रिलैक्स करें

पवनमुक्तासन करने के लाभ | Benefits of Pawanmuktasan in Hindi : 

pawanmuktasan ke fayde  : पवनमुक्तासन फैट बर्न करके वजन कम करने में मदद मदद करता है, इससे स्पाइन की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है और रक्त संचार में सुधार होता है। पवनमुक्तासन पीठ की निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत करता है और रीढ़ की हड्डी में लचक बढ़ाता है।

यह पेट और पाचन अंगों की मालिश करता है और पेट में गैस और कब्ज को हटाने में बहुत प्रभावी है। महिलाओं में यह श्रोणि की मांसपेशियों और प्रजनन अंगों की मालिश करता है और नपुंसकता, बाँझपन और मासिक धर्म की समस्याओं के उपाय में काफी लाभकारी है।

सावधानियां : उच्च रक्तचाप, हर्निया, स्लिप डिस्क, हृदय की समस्या, गर्दन और पीठ में दर्द या चोट से पीड़ित लोगों को इसे नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, महिलाओं को गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान पवनमुक्तासन के अभ्यास से परहेज करना चाहिए। आमतौर पर अधिकतर आसनों का अभ्यास खाली पेट ही किया जाते हैं, लेकिन पवनमुक्तासन को खाली पेट करने से बचें। अगर आपको पेट के अल्सर (Stomach Ulcer) की समस्या है तो आपको पवनमुक्तासन नहीं करना चाहिए।

 

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