Jivitputrika Vrat 2023: हिंदू धर्म में ना केवल विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं बल्कि व्रत-उपवास भी रखे जाते हैं। हर व्रत और त्यौहार का अपना-अपना महत्व होता है। ऐसी ही एक व्रत परंपरा है जितिया व्रत। इस व्रत को महिलाएं पुत्र प्राप्ति और उसकी लंबी आयु की कामना के लिए करती हैं। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका मतलब है कि वे भोजन और पानी दोनों से परहेज करती हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जितिया त्योहार तीन दिनों तक चलता है और अनुष्ठान स्नान के साथ शुरू होता है। दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और तीसरे दिन व्रत तोड़ा जाता है। इस वर्ष जितिया पर्व एक शुभ संयोग में पड़ रहा है।
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि इस व्रत के दौरान महिलाएं पुत्र प्राप्ति या उसकी लंबी उम्र सुनिश्चित करने की आशा से निर्जला व्रत रखती हैं। जितिया व्रत 24 घंटे से ज्यादा चलने वाला बेहद चुनौतीपूर्ण व्रत माना जाता है। इस व्रत में पानी का सेवन नहीं किया जाता है।
इस साल जितिया व्रत 5 अक्टूबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक चलेगा। 5 अक्टूबर को अनुष्ठान स्नान किया जाएगा। 6 अक्टूबर को निर्जला उपवास रखा जाएगा और 7 अक्टूबर को उपवास तोड़ा जाएगा। इस व्रत के दौरान जीवित वाहन देवता की पूजा की जाती है और केवल विवाहित महिलाएं ही इस व्रत को करने की पात्र होती हैं।
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जितिया का शुभ मुहूर्त
पंडित नंदकिशोर मुदगल ने बताया कि जितिया व्रत 5 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। इस दिन अष्टमी तिथि (चंद्र कैलेंडर का आठवां दिन) के साथ निर्जला व्रत शुरू होगा। 6 अक्टूबर को सुबह 4 बजे अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी और इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। यह व्रत अगले दिन 7 अक्टूबर तक जारी रहेगा। महिलाएं 7 अक्टूबर को सुबह 10:20 बजे तक व्रत में रहेंगी। सुबह 10:21 बजे व्रत का पारण किया जा सकता है। इस साल जितिया व्रत कुल 28 घंटे तक चलेगा।
क्या खाकर करें पारण?
हर व्रत के बाद अगले दिन व्रत खोलने की प्रथा होती है। व्रत तोड़ने के बाद ही व्रत पूरा माना जाता है। जितिया का व्रत 7 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 21 मिनट पर खोला जाएगा। आप मीठा शर्बत पीकर व्रत तोड़ सकती है। इसके अलावा जितिया व्रत में झिंगा (झींगा) की सब्जी खाने का भी महत्व है। इसलिए आप चावल या रोटी के साथ झिंगा की सब्जी खाकर व्रत खोल सकते हैं।
Jitiya Vrat Katha Aur Mahatav:
जितिया व्रत का महत्व क्या है
जितिया व्रत को विशेषकर संतान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को रखने से मान्यता है कि संतान की दीर्घायु होती है और वह तेजस्वी, ओजस्वी, और मेधावी होती है। शास्त्रों के अनुसार, जितिया व्रत करने वाली महिला के बच्चे की रक्षा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण करते हैं, इसलिए इस व्रत का विशेष महत्व होता है।
जितिया व्रत कथा
पूर्वांचल में मनाया जाने वाला जितिया पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत का रिश्ता महाभारत काल से है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जितिया व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी है। इस कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध के दौरान, अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मार दिया था। इस पर, भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी शक्तियों से उस संतान को जीवित किया। उसके जन्म के बाद, इस पुत्र का नाम जीवितपुत्रिका रखा गया था। माना जाता है कि इसके बाद से ही जितिया या जीवितपुत्रिका व्रत को रखने की परंपरा शुरू हुई थी।