Implantation Bleeding Kya Hoti Hai (इंप्लांटेशन ब्लीडिंग क्या होती है) | क्या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग नॉर्मल है?

Implantation Bleeding Kya Hoti Hai (What is Implantation Bleeding) क्या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग Normal है या Abnormal है? क्या इसकी चिंता करने की जरूरत है? क्या इंप्लांटेशन ब्लीडिंग में कोई ट्रीटमेंट की जरूरत है? इन सब चीजों के बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे।

इंप्लांटेशन ब्लीडिंग क्या होती है? What is Implantation Bleeding?

अगर कोई औरत प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही है और उसे पीरियड्स date से पहले या पीरियड्स डेट्स पर ब्लीडिंग होने लगे, तो वो इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हो सकती है। सबसे पहले इंप्लांटेशन ब्लीडिंग को समझते हैं को आखिर ये इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होती क्या है?

इंप्लांटेशन ब्लीडिंग – जैसा कि हमें नाम से पता चलता है इम्पलांट होने के समय होने वाली ब्लीडिंग यानी कि जब एम्ब्रियो यानि जो छोटा सा बेबी होता है, वह बच्चेदानी की दीवार पर चिपकता है। चिपकते समझ वह बच्चेदानी की दिवार पर एक छोटा सा गड्ढा बनता है। उस समय होने वाली जो ब्लीडिंग है, उसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं।

नॉर्मली स्पर्म और एग आपस में मिलकर एम्ब्रियो बनाते हैं, स्पर्म और एग को मिलकर एम्ब्रियो बनने का जो काम है, वह फैलोपियन ट्यूब में हो जाता है। वैसे आप सभी लोगों को आइडिया होगा ही कि मादा प्रजनन प्रणाली (Female Reproductive System) में एक यूट्रस होता है यानी कि बच्चेदानी होती है। उसके साथ में दो ट्यूब्स होती हैं, जिन्हें फैलोपियन ट्यूब कहा जाता है और उनके साइड में दो अंडाशय होते हैं, जिन्हें ओवरीज कहते हैं।

तो यह जो फर्टिलाइजेशन का प्रोसेस है यानी कि अंडा और स्पर्म के मिलकर जो एम्ब्रियो बनने का प्रोसेस फेलोपियन ट्यूब में ही हो जाता है, फिर वह फेलोपियन ट्यूब के द्वारा बच्चेदानी के अंदर ट्रांसफर होता है और बच्चेदानी के अंदर आकर फिर वह चिपकता है। तो यह जो चिपकने वाला काम है यानि इम्प्लांट होने वाला जो काम है। उस समय कई महिलाओं को थोड़ी बहुत स्पॉटिंग या ब्लीडिंग होती है, जिसे हम इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं।

इंप्लांटेशन ब्लीडिंग लगभग 25% प्रेगनेंसी में पाई जाती है। यानी कि हर 4 में से एक प्रेगनेंसी में यह ब्लीडिंग होती है। यह ब्लीडिंग काफी कम अमाउंट में होती। आपके जो नॉर्मल पीरियड आते हैं यह उसकी तरह नहीं होती उससे काफी कम होती है। यह ब्राउन कलर की, डार्क ब्लैक कलर की या हल्के पिंक कलर की होती है। पीरियड्स की तरह फ्रेश रेड कलर यानि Bright Red color की नहीं होती है और इसमें किसी प्रकार के क्लॉट्स वगैरा नहीं निकलते हैं।

यह काफी लाइट ब्लीडिंग होती है और कुछ घंटे या ज्यादा से ज्यादा एक दो दिन में ही अपने आप ही रुक जाती है। नॉर्मली जब पीरियड्स आते हैं तो अगर वो काम भी होते हैं तो कुछ घंटों में वो प्रॉपर फ्लो में आने लगते हैं। कुछ महिलाओं को शुरुआत की ज्यादा ब्लीडिंग से होती है।

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इंप्लांटेशन ब्लीडिंग में cramps कम आते हैं यानी कि पेन भी कम ही होता है। इस प्रकार की ब्लीडिंग की कोई भी चिंता करने की जरूरत नहीं होती, ना ही इसके लिए कोई ट्रीटमेंट लेने की जरूरत रहती। यह किसी भी प्रकार से खतरनाक नहीं होता और यह प्रेगनेंसी को किसी भी प्रकार से कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।

आमतौर पर यह ब्लीडिंग तब होती है जब आप कंसीव करती हैं यानी कि अंडा और स्पर्म मिलकर जब फर्टिलाइज होता है यानि embryo बनता है, उसके लगभग 7 से 14 दिन बाद देखी जाती है। तो ये लगभग जब आपके पीरियड्स आने की डेट होती है, उसी डेट के आस पास ही इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग भी होती है, तो most of the time महिला को यही लगता है कि उसका पीरियड आ गया है, लेकिन पीरियड काफी काफी लाइट है, माइल्ड है या कम है।

महिला को यही लगता है कि उसका नॉर्मल पीरियड आ गया है। महिला को पता ही नहीं चलता कि वह प्रेग्नेंट हो गई है। महिला को ऐसा लगता है कि पीरियड आया था लेकिन पीरियड्स में कभी कभी कम ब्लीडिंग होती है तो महिला यह मान लेती है उसे पीरियड्स ही हुए हैं।

इससे जो प्रॉब्लम होती है वह यह होती है कि फिर जब अगले महीने जो पीरियड आने की डेट होती है उस समय जाहिर ही बात है की दुबारा से इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग तो होगी ही नहीं। तो जब महिला को पीरियड्स नहीं आता है तब महिला चेक करती है और तब उसे पता चलता है कि प्रेगनेंसी है।

उस समय महिला को यह लगेगा की चलो प्रेगनेंसी हो भी गयी है तो कम वीक की यानी कि पाँच हफ्ते की प्रेग्नेंसी हुई है लेकिन असल में ये आठ नौ हफ्ते की प्रेग्नेंसी हो चुकी होती है। यानि की प्रेग्नेंसी के आठ नौ हफ्ते निकल चुके होते हैं। तो कहने का मतलब यह हुआ की इस सबसे कन्फ्यूजन ये क्रिएट होता है कि महिला जब अपनी एक्सपेक्टेड डेट चेक करने जाती है या जब यह पता करने जाती है कि कितने वीक या मंथ की प्रेग्नेंसी हुई है, तो उसे लगता ऐसा है कि कम वीक की प्रेग्नेंसी हुई है। लेकिन असेल में वह उससे ज्यादा हफ्ते की प्रेग्नेंसी हो चुकी होती है, क्योंकि यह चार हफ्ते जो उसको लगा कि पीरियड आ गया है असल में पीरियड्स नहीं इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग थी। इसलिए वह चार हफ्ते आठ हो जाते हैं यानि महिला Already प्रेग्नेंट हो चुकी होगी है।

तो अगर आप प्रेग्नेंसी प्लान कर रहे हैं, उस टाइम पर अगर आपको ब्लीडिंग हो रही है और आपकी ब्लीडिंग लाइट है, बिल्कुल माइल्ड है तो ब्लीडिंग ख़तम होने के १-२ दिन बाद एक बार प्रेगनेंसी टेस्ट जरूर करके देख लीजिए। क्योंकि हो सकता है वह इंप्लांटेशन ब्लीडिंग हो और आप अपना हॉर्मोनल सपोर्ट चालू रख पाएं।

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के बारे में सामान्यतः यह उन महिलाओं को जानना ज्यादा जरूरी है जो प्रेग्नेंसी की प्लानिंग कर रही हैं या ट्रीटमेंट ले रहीं हैं। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग को वह कई बार गलती से ऐसा समझ लेती हैं कि पीरियड आ गया और प्रेग्नेंसी नहीं हुई है। जबकि प्रेग्नेंसी शुरू हो चुकी होती है और वह अपना जो सपोर्ट सिस्टम, जो उनको हॉर्मोन की दवाइयां लेनी होती है वो समय से नहीं ले पाती है।

तो अगर आपका भी पीरियड लाइट आ रहा है यानी कि सामने से कम है और क्रैम्प्स या pain वगैरा भी कम हैं और बहुत कम समय के लिए ब्लीडिंग नहीं हुई है तो आप एक बार प्रेगनेंसी टेस्ट जरूर करके देख लीजिए। हो सकता है यह आपका पीरियड ना हो बल्कि एक इंप्लांटेशन ब्लीडिंग हो।

इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण – Symptoms of Implantation Bleeding

इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक होती है। इसमें हल्‍की ऐंठन, मूड स्विंग्‍स, सिरदर्द, मतली, ब्रेस्‍ट को छूने पर दर्द और पीठ के निचले हिस्‍से में दर्द महसूस होता है। इसके अलावा मतली, पेट फूलने और थकान की शिकायत भी हो सकती है।

इंप्लांटेशन ब्लीडिंग का कलर कैसा होता है?

इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग पीरियड्स ब्लीडिंग से अलग होती है और इसमें हर महिला को कम या ज्‍यादा रक्‍तस्राव हो सकता है। इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग में हल्‍के गुलाबी से गहरे भूरे रंग का रक्‍तस्राव होता है और इसमें खून के थक्‍के नहीं आते हैं। इसमें ज्‍यादा ब्‍लीडिंग नहीं होती है बल्कि बस हल्‍की स्‍पॉटिंग होती है या बहुत कम रक्‍तस्राव होता है। आमतौर पर इसके लिए पैड लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है।

इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कितने दिन तक होती है

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