Implantation Bleeding Kab Hoti Hai? इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स में क्या फर्क होता है?

Implantation Bleeding Kab Hoti Hai | When does implantation bleeding occur? इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स में क्या फर्क होता है(What is the difference between implantation bleeding and periods?)? अगर आप गर्भवती हैं, तो इसका पता इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग से चल सकता है।

इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग क्या होती है (What Is Implantation Bleeding)? यह नार्मल पीरियड्स से अलग होती है। कंसीव करने के 10 से 14 दिनों के अंदर जो रक्‍तस्राव होता है, उसे इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग कहते हैं, ।

इसमें फर्टिलाइज एग गर्भाशय की अंदरूनी लाइनिंग से जुड़ने लग जाता है। एग की इस मूवमेंट की वजह से हल्‍की ब्‍लीडिंग या स्‍पॉटिंग हो सकती है, जो कि पूरी तरह से सामान्य है और इसके लिए किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। सामान्य रूप से लगभग चार में से एक गर्भवती महिलाओं को इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग हो सकती है और यह मासिक धर्म से बिलकुल अलग होती है।

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इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण

इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक होती है। इसमें हल्‍की ऐंठन, मूड स्विंग्‍स, सिरदर्द, मतली, ब्रेस्‍ट को छूने पर दर्द और पीठ के निचले हिस्‍से में दर्द महसूस होता है। इसके अलावा मतली, पेट फूलने और थकान की शिकायत भी हो सकती है।

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स के बीच में क्या फर्क होता है?

जो महिलाएं प्रेग्नेंसी प्लान कर रही होती हैं, वह ब्लीडिंग को लेकर काफी कन्फ्यूज रहती हैं। महिलाएं यह जानना चाहती हैं कि जो ब्लीडिंग हुई है, वह पीरियड्स के कारण है या इम्प्लांटेशन के कारण हैं। आपको बता दूँ की इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स में काफी फर्क होता है। अगर आप ध्यान से देखें तो आप इस चीज पता खुद से लगा सकती हैं कि जो ब्लीडिंग हुई है वो इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग है या पीरियड्स।

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इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्यों होती है (Why does implantation bleeding occur?)?

पीरियड्स और इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के बीच में 1-2 नहीं बल्कि Almost 8-10 Differences होते हैं जिससे कि आप पता लगा सकती हैं कि आपको जो ब्लीडिंग हो रही है वो इंप्लांटेशन ब्लीडिंग है या फिर पीरियड है। पर इस चीज का पता लगाने से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग क्यों होती है और पीरियड्स क्यों होते हैं? जब आप यह जान लेंगे कि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग का क्या कारण होता और पीरियड्स का क्या कारण होता है, तो आप खुद से differentiate कर पाएंगी कि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कैसी होती है और पीरियड्स कैसे होते हैं। तो सबसे पहले इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के बारे में बात करते हैं।

जैसा की नाम से ही पता लग रहा है Implant यानि प्रत्यारोपण। इंप्लांटेशन ब्लीडिंग का मतलब है जब कोई चीज Implant (प्रत्यारोपण) हो रही है यानि कि चिपक रही है। तो जब एक Fertilized Egg यानि कि एक छोटा सा बेबी बच्चेदानी (Utrus) की दीवार पर जाकर चिपकता है, जब एक छोटा सा एम्ब्रियो इंप्लांट (embryo Implant) करता है। इम्प्लांट करते समय वह Utrus की Wall पर थोड़ा गड्ढा जैसा सा बनाता है।

जैसे इसे एक एक सिंपल से example से समझते हैं, अगर हमे किसी छोटे से पौधे की एक Sampling से पूरा पेड़ उगाना है तो हम क्या करते हैं? हम पौधे को जमीन के ऊपर रख नहीं देते बल्कि थोड़ा गड्ढा खोदते हैं। गड्ढा खोदकर हम वहां पर वह छोटा सा पौधा दबाते हैं फिर वापस मिट्टी से कवर कर देते हैं ताकि उसकी जड़ें आराम से मिट्टी में फैल सके और वह ग्रो हो सके।

उसी प्रकार से जो फर्टिलाइज्ड एग होता है यानि जो छोटा सा एम्ब्रियो होता है, वह बच्चेदानी की दीवार में हल्का सा गड्ढा बनाता है और वहां जाकर वह चिपक जाता है। चिपकते समय यानि इंप्लांट होते समय हल्का सा गड्ढा बन जाता है। उसके कारण कभी कभी और सिर्फ किसी किसी को ही ब्लीडिंग होती है, जिसे हम इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं। क्यूंकि इस इम्प्लांटेशन में सिर्फ एक मामूली सा गड्ढा बनता है इसलिए इंप्लांटेशन ब्लीडिंग भी ज्यादा नहीं होती।

पीरियड्स क्यों होते हैं (Why do periods occur?)? 

अब बात करते हैं पीरियड्स की, पीरियड्स क्यों होते हैं? पीरियड्स इसलिए होते हैं, जब किसी भी मेंस्ट्रुअल साइकल में हॉर्मोन्स का लेवल धीरे धीरे बढ़ता है। Actually पीरियड्स में एस्ट्रोजन का लेवल पहले बढ़ता है और फिर प्रोजेस्ट्रोन का लेवल बढ़ता है। फिर जब प्रोजेस्ट्रोन का लेवल कम होना शुरू होता है तो बच्चेदानी की दीवार झड़ने शुरू हो जाती है। जिसके कारण पीरियड्स आते हैं।

तो पीरियड आने का कारण यह होता है कि हॉर्मोन्स का लेवल कम हो जाने के कारण जो बच्चेदानी की दीवार झड़ती है उसके कारण पीरियड्स आते हैं।

तो अभी आपको पीरियड्स और इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्यों होते हैं उसके बारे में पता लग गया होगा, इंप्लांटेशन ब्लीडिंग जो हल्का सा गड्ढा खोदा जाता है, जो फर्टिलाइज एक छोटा गड्ढा बना रहा है, उसके कारण होता है और पीरियड्स होते हैं क्योंकि बच्चेदानी की दीवार झड़ रही होती है। अब बात करते हैं की इन दोनों को कैसे पहचाने यानि कैसे पता करे की जो ब्लीडिंग हो रही है वो पीरियड्स है या फिर इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग है।

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स में की अंतर है (Difference Between Implantation Bleeding and Periods)?

1. पहली महत्वपूर्ण बात ये की आमतौर पर इंप्लांटेशन ब्लीडिंग काफी लाइट होती है यानि काफी कम होती है, जबकि जो पीरियड होते हैं वह Proper Flow की तरह होते हैं। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग बहुत हल्की फुल्की होती है। यानी कि प्रॉपर फ्लो ना होकर हल्की फुल्की स्पॉटिंग या हल्की फुल्की ही ब्लीडिंग होती है।

जबकि पीरियड अगर शुरू भी हल्की फुल्की स्पॉटिंग या ब्लीडिंग से होती है तो वह धीरे धीरे प्रॉपर फ्लो में कन्वर्ट हो जाती है। जबकि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कभी भी प्रॉपर फ्लो में कन्वर्ट नहीं होती। तो अगर प्रॉपर फ्लो हो रहा है इसका मतलब है की वह इंप्लांटेशन ब्लीडिंग है ही नहीं। वह आपके पीरियड हैं जो शायद थोड़े समय से जल्दी आ गए हैं।

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2. दूसरी महत्वपूर्ण बात ये की इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग जो होती है उसका जो कलर होता है, वह आमतौर पर Pinkesh या Brown होता है। जबकि जो आपके पीरियड्स होते हैं, वह बिल्कुल Bright Red कलर या Maroon कलर? आप इसे Dark Red भी Consider कर सकते हैं। तो अभी आपको समझ में आया की पीरियड्स ब्लीडिंग और इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के कलर में भी difference होता है। इंप्लांटेशन ब्लीडिंग पिंक, ब्राउन कलर जबकि पीरियड डार्क रेड, मरून या ब्राइट रेड कलर के होते हैं।

3. इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का जो टाइमिंग होता है, वह भी पीरियड्स ब्लीडिंग के टाइमिंग से थोड़ा अलग होता है। इंप्लांटेशन ब्लीडिंग उस टाइम पर होती है जब एंब्रियो इंप्लांट करता है तो टेक्निकली उसका जो टाइमिंग है, वह आपके पीरियड से 6-8 दिन पहले होता है, जबकि पीरियड अपने टाइम पर आते हैं या फिर जो पीरियड का टाइम होता है, उसके आसपास या 1-2 दिन आगे-पीछे भी हो जाता है। जिन महिलाओं का साइकल रेग्युलर है वो लोग इस तरह से differentiate कर सकती हैं।

4. इंप्लांटेशन ब्लीडिंग जो होगी वह ज्यादा लंबी नहीं चलती है। आमतौर पर यह 1-2 दिन या 1-2 घंटों में भी खत्म हो जाती है। कभी कभी ज्यादा से ज्यादा 2-3 दिन भी लग सकते हैं। लेकिन ये rare cases में 2-3 दिन दिन जा सकते हैं। जब आपके पीरियड होते हैं तो वह ज्यादा लंबा टाइम चलते हैं। वह चार दिन, पाँच दिन, छह सात दिन भी चल सकते हैं। तो इंप्लांटेशन क्लेडिंग का जो duration है वह कम होता है और पीरियड का duration ज्यादा होता है।

5. इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के अंदर जो दर्द होता है, जो lower abdominal pain होता है, जिसे कि हम इम्प्लांटेशन पेन कहते हैं, वह पीरियड्स के pain के मुकाबले काफी कम होता है। इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के अंदर जो दर्द होता है वह लोअर डोमन में क्रैम्प जैसा होता है। लेकिन वह दर्द काफी माइल्ड (mild) यानि हल्का होता है।

जबकि जो पीरियड pain होते हैं वह ज्यादा strong cramps होते हैं। इंप्लांटेशन ब्लीडिंग क्रैम्प्स और पीरियड्स ब्लीडिंग क्रैम्प्स की location same होती है। यानी कि दोनों के दोनों lower abdominal में होते हैं। लेकिन इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के क्रैम्प्स काफी हलके (mild) होते हैं।

6. इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में दर्द के साथ प्रेग्नेंसी के दूसरे सिम्टम्स भी पाए जाते हैं। जैसे कि आपको जी घबरा सकता है या उल्टी जैसा लग सकता है, थकान लग सकती है, Mood Swing हो सकते हैं। फालतू का गुस्सा आना, रोना आना, चिड़चिड़ापन होना, ब्रेस्ट में पेन होना, यूरिन बार बार होना। ये चीजें इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के साथ पाई जाती हैं, लेकिन पीरियड्स ब्लीडिंग के साथ ये सभी लक्षण दिखाई नहीं देते।

यहाँ मैं एक चीज बताती चलू की जरुरी नहीं है की इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में ये सारे लक्षण दिखाई देंगे ही देंगे। कभी कभी ये लक्षण दिखाई नहीं भी देते हैं पर आप प्रेग्नेंट हो सकती है। बस इन लाक्षाओं से आप ये अंदाजा लगा सकती है की आपके अंदर इम्प्लांटेशन के चान्सेस ज्यादा हैं।

7. इंप्लांटेशन ब्लीडिंग ऑन ऑफ चलती है यानी कि वह रेगुलर फ्लो में नहीं होती है। जबकि पीरियड्स आपके रेगुलर फ्लो की तरह चलते हैं। एक बार शुरू हुए तो बीच में रुकेंगे नहीं बल्कि चलते रहेंगे। कभी कभी ऐसा भी होता है की पीरियड्स ब्लीडिंग कुछ देर के लिए रुक जाती है लेकिन फिर प्रॉपर फ्लो की तरह आने लगती है। जबकि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग ऑन ऑफ या फिर स्पॉटिंग जैसा ही होता है। एकदम रेगुलर और प्रॉपर फ्लो जैसा नहीं होत।

और एक बेहद महत्वपूर्ण बात ये है की जो पीरियड्स में क्लॉट्स होते हैं, वह कभी भी इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में नहीं आते हैं। अगर आपको क्लॉट्स आ रहे हैं यानी कि खून के थक्के जैसे निकल रहे हैं तो वह कभी भी इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में count नहीं होंगे। वह हमेशा आपके पीरियड के अंदर ही काउंट होता है। ब्लीडिंग में क्लॉट्स का प्रेजेंस यह रूल आउट कर देता है कि यह यह इंप्लांटेशन ब्लीडिंग नहीं है। वह आपके पीरियड्स ही है।

तो अगर आप प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं तो इन Differences से आप आसानी से पता लगा सकती है की अगर आपको ब्लीडिंग हो रही है तो वो इंप्लांटेशन ब्लीडिंग है या फिर यह आपके पीरियड्स हैं।

उम्मीद करती हूँ आपको आज का यह लेख implantation bleeding kab hoti hai, इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग क्या होती है? इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स में क्या फर्क होता है? पसंद आया होगा। इस लेख के जुड़े किसी भी तरह के सवाल और सुझाव के लिए आप मुझे कमेंट कीजिये और पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिये।

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fertilization के लगभग आठ से नौ दिन बाद प्रत्यारोपण (Implantation) होता है, हालांकि यह ओव्यूलेशन के छह दिन पहले और 12 दिन बाद तक हो सकता है।

First Trimester में Bleeding कई कारणों से हो सकती है। कभी कभी आपको वजाइना में संक्रमण के कारण, कभी कभी असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से संक्रमण के कारण, या भ्रूण के गर्भाशय की दिवार से अलग होने के कारण, या कई अन्य कारणों से भी ब्लीडिंग हो सकती है। कारण भले ही इनमे से कोई भी हो आपको लापरवाही बिलकुल नहीं करनी है आपको सीधा अपने gynecologist से संपर्क करना है ताकि वो सही सुझाव और उपाय बता सके। 

इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग पीरियड्स ब्लीडिंग से अलग होती है और इसमें हर महिला को कम या ज्‍यादा रक्‍तस्राव हो सकता है। इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग में हल्‍के गुलाबी से गहरे भूरे रंग का रक्‍तस्राव होता है और इसमें खून के थक्‍के नहीं आते हैं। इसमें ज्‍यादा ब्‍लीडिंग नहीं होती है बल्कि बस हल्‍की स्‍पॉटिंग होती है या बहुत कम रक्‍तस्राव होता है। आमतौर पर इसके लिए पैड लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है।

इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग में तेज़ दर्द नहीं होता लेकिन हल्‍की ऐंठन महसूस होती है। यह प्रेग्‍नेंसी का सामान्‍य हिस्‍सा है जिससे आपको घबराने की बिलकुल भी जरुरत नहीं है। इससे मां या बच्‍चे को कोई नुकसान नहीं होता है। अगर आपको हल्‍की ब्‍लीडिंग हो रही है और इसके साथ दर्द नहीं है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर आपको खून के थक्‍के आ रहे हैं, पेल्विक हिस्‍से में दर्द या ऐंठन हो रही है तो यह किसी समस्‍या का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में आपको तुरंत डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए।

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग को थोड़ी मात्रा में हल्के धब्बे या रक्तस्राव के रूप में परिभाषित किया गया है। यह आमतौर पर गर्भधारण के लगभग 10 से 14 दिन बाद होता है। इम्प्लांटेशन रक्तस्राव आम है, और यह आमतौर पर किसी समस्या का संकेत नहीं है। ऐसा माना जाता है कि प्रत्यारोपण रक्तस्राव तब होता है जब निषेचित अंडा गर्भाशय की परत से चिपकता है।

बेहतर और कन्फर्म नतीजों के लिए आपको इंप्लांटेशन के 7 दिन बाद तक रुकने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे पहले प्रेग्नेंट होने पर भी आपको रिजल्ट नेगेटिव ही मिलेंगे।

इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग को रोकने के लिए कोई ट्रीटमेंट नहीं है क्‍योंकि यह हेल्‍दी प्रेग्‍नेंसी का संकेत है। ज्‍यादातर मामलों में महिला को सैनिटरी पैड तक इस्‍तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर आपको ब्‍लीडिंग के लिए पैड लगाने की जरूरत पड़ रही है, तो हो सकता है कि यह इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग ना हो। इंप्‍लांटेशन पूरा होने तक शरीर एचसीजी हार्मोन रिलीज नहीं करता है। इसलिए इंप्‍लांटेशन ब्‍लीडिंग के खत्‍म होने के बाद ही आपको प्रेग्‍नेंसी टेस्‍ट करना चाहिए।

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