वसंत पंचमी का पर्व हर साल बड़ी ही धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। पर क्या आपके कभी ये सोचा है की आखिर क्यों मनाया जाता है बसंत पंचमी का त्योहार (Vasant Panchmi Kyun Manate hain) या फिर बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है? आज के इस लेख में हम इसी विषय में जानेंगे की बसंत पंचमी का मतलब क्या होता है? बसंत पंचमी का पर्व क्यों मनाया जाता है? और बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा क्यों की जाती है?
बसंत पंचमी को और भी कई नामों से जाना जाता है, जैसे की वसंत पंचमी, श्रीपंचमी, ऋषि पंचमी, सरस्वती पूजा इत्यादि। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन पिले वस्त्र पहने जाते हैं। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और अन्य कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है।
यह एक ऐसा हिंदू पर्व है जो जीवन में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है, इसी वजह से इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस पर्व से होली के पर्व की शुरुआत भी होती है। ऐसा भी माना जाता है की इस दिन सरस्वती पूजन करने से देवी सरस्वती हमें बुद्धि प्रदान करती हैं।
वसंत पंचमी वर्ष का वह समय होता है जब खेतों में सरसों के पीले फूल खिलने लगते हैं और वातावरण बहुत ही खूबसूरत दिखने लगता है। यह त्यौहार मनाते तो सभी हैं पर बहुत कम लोग ही जानते हैं की Vasant Panchmi Kyun Manate hain इसलिए मैंने आज का यह लेख लिखा है ताकि सबको इस बात की जानकरी हो सके की बसन्त पंचमी क्यों मनाई जाती है।
आइये अब विस्तार से जानते हैं की वसंत पंचमी क्या है, वसंत पंचमी का मतलब क्या है, वसंत पंचमी क्यों मानते हैं, वसंत पंचमी का महत्व क्या है, वसंत पंचमी तिथि 2023, वसंत पंचमी की कथा, वसंत पंचमी शुभ मुहूर्त और वसंत पंचमी पूजा विधि क्या है।
वसंत पंचमी क्या है – What is Basant Panchami in Hindi 2023 | बसंत पंचमी का मतलब क्या होता है?
‘वसंत’ शब्द का अर्थ है बसंत और ‘पंचमी’ का अर्थ है पांचवें दिन। यह पर्व माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है, इसी वजह से इसे वसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस पर्व से होली के पर्व की शुरुआत भी होती है। इस दिन स्कूल और कॉलेजों में माँ सरस्वती की पूजा होती है। इसलिए वसंत पंचमी के दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
वसंत पंचमी वर्ष का वह समय होता है जब खेतों में सरसों के पीले फूल खिलने लगते हैं और वातावरण बहुत ही खूबसूरत दिखने लगता है। शायद इस वजह से ही बसंत पंचमी के दिन पिले वस्त्र पहने जाते हैं। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और अन्य कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है।
यह एक ऐसा हिंदू पर्व है जो जीवन में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसा भी माना जाता है की इस दिन सरस्वती पूजन करने से देवी सरस्वती हमें बुद्धि प्रदान करती हैं। बसंत पंचमी का शुद्ध हिंदी नाम “वसंत पंचमी” है लेकिन अधिकतर जगहों पर इसे सामान्य भाषा में बसंत पंचमी ही बोला जाता है जिस वजह से बसंत पंचमी नाम सबसे अधिक लोकप्रिय है।
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बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है – Vasant Panchmi Kyun Manate hain
हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था।
ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन वसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।
देवी सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।
ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है – प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।
अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है।
पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी और तभी से इस वरदान के फलस्वरूप भारत देश में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है।
विभिन्न समुदायों के लिए वसंत पंचमी का अलग-अलग महत्व है और इस वजह से लोग विभिन्न कारणों से वसंत पंचमी मनाते हैं। विद्यार्थियों के लिए यह समय पढाई का सबसे अच्छा समय माना जाता है, विद्वान और कला प्रेमी इस दिन माँ सरस्वती की पूजा कर उनसे उनके ज्ञान और कला में बढ़ोत्तरी की प्रार्थना करते हैं।
वसंत पंचमी का महत्व | बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है
यूं तो माघ का पूरा मास ही उत्साह देने वाला होता है, परन्तु वसंत पंचमी का पर्व हमारे लिए कुछ खास महत्व रखता है। बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सरस्वती मां की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है इसलिए इस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
वसंत ऋतु को भारत में पाई जाने वाली 6 ऋतुओं में से सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं क्योंकि वसन्त ऋतु के आते ही प्रकृति में एक नई सी उमंग आ जाती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा करने और उन्हें पीले फूल चढ़ाने का विधान है। इतना ही नहीं ये भी मान्यता है की इस दिन यदि आप पीले वस्त्रों में माता का पूजन करते हैं और भोग में पीली खाद्य सामग्री चढ़ाते हैं तो इससे आपकी सम्पूर्ण मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
बसंत पंचमी के दिन कोई भी शुभ काम करने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है। इस दिन शादी विवाह जैसे कार्यक्रम भी बिना मुहूर्त के संपन्न हो सकते हैं। इस दिन को शुभ और मांगलिक कार्य करने के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। वहीं कलाकारों में इस दिन का विशेष महत्व है। कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार, नृत्यकार अपने उपकरणों की पूजा के साथ मां सरस्वती की वंदना करते हैं।
2023 में बसंत पंचमी कब है | वसंत पंचमी 2023 कब मनाई जाती है
बाकि त्योहारों की तरह बसंत पंचमी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नहीं बल्कि भारतीय हिंदी कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन हर साल बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती प्रकट हुई थीं। इस दिन को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। वहीं अगर हम इसे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार देखें तो इस साल 2023 में बसंत पंचमी का त्यौहार 26 जनवरी ,गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।
बसंत पंचमी पूजा 2023 के तारीख व कैलेंडर
त्यौहार का नाम | दिन | तारीख |
बसंत पंचमी सरस्वती पूजा | गुरुवार | 26 जनवरी 2023 |
बसंत पंचमी 2023: सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त | बसंत पंचमी पूजा समय
- माघ मास की पंचमी तिथि आरंभ : 25 जनवरी 2023, दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से
- माघ मास की पंचमी तिथि समापन : 26 जनवरी 2023 प्रातः 10 बजकर 28 मिनट तक
- पूजा का शुभ मुहूर्त: 26 जनवरी 2023 प्रातः 7 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक
चूंकि उदया तिथि में बसंत पंचमी 26 जनवरी को पड़ेगी, इसलिए इसी दिन यह पर्व मनाना शुभ होगा और सरस्वती पूजन का लाभ मिलेगा।
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बसंत पंचमी 2023: सरस्वती पूजा की विधि | वसंत पंचमी पूजा विधि
वैसे तो वसंत पंचमी के दिन स्वर की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है लेकिन अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग मा न्यताओं के अनुसार वसन्त पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। कुछ जगहों पर किसान सरसों की खेती के फलने-फूलने के लिए पूजा करते हैं तो कई लोग इस दिन विद्या, कला और विज्ञान की बढ़ोत्तरी के लिए सरसवती माता से प्रार्थना करते हैं।
अगर हम वसंत पंचमी की पूजा विधि की बात करें तो लोग वसंत पंचमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ़ वस्त्र पहनते हैं। वैसे तो कोई भी साफ वस्त्र पहने जा सकते हैं लेकिन पिले रंग के वस्त्र को धारण करना लोग शुभ समझते हैं।
इसके बाद एक साफ़ चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर माता स्वरस्वती की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद माता की तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें साफ़ पीले रंग के वस्त्रों से सुसज्जित करें। माता को पीले फूल, अक्षत्, हल्दी , पीला गुलाल, धूप, दीप, आदि अर्पित करें तथा माता को पीले फूलों की माला से सजाएं। मां सरस्वती को हल्दी का तिलक लगाएं और उनका पूजन करें।
सरस्वती जी की आरती करें और भोग में पीले खाद्य सामग्री जैसे पीले चावल, बेसन के लड्डू, पीली मिठाई आदि अर्पित करें। इस दिन आप पूजन के पश्चात हवन भी कर सकते हैं और हवन के बाद प्रसाद का वितरण करें। अगर आप इस विधि के अनुसार बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का पूजन करते हैं और माता को पीली चीजों का भोग लगाते हैं तो उनकी कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है।
हम एक ऐसे देश के निवासी है जहां पर धार्मिक मान्यताओं का बोलबाला है और यही कारण है कि जहां एक तरफ अन्य देशों की संस्कृतियां लुप्त होती जा रही हैं वहीं हमारी भारतीय संस्कृति आज भी बरकरार है।
ऐसे कई सरे भारतीय त्यौहार हैं जिनके बारे में लोगों को पूर्ण जानकरी नहीं है। इसलिए मेरे इस लेख Vasant Panchmi Kyun Manate hain के माध्यम से मैं बस अपने देश के त्योहारों में से एक त्यौहार वसंत पंचमी का महत्व और बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है के बारे में बताना चाहती हूँ।
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मुझे उम्मीद है की आपको आज का यह लेख Vasant Panchmi Kyun Manate hain | बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है (Basant Panchami in Hindi2023) जरुर पसंद आया होगा। आज का लेख आपको कैसा लगा, कमेंट करके जरूर बताएं और ऐसे ही कई तरह के लेखो के लिए हमसे Contact Us या Social Media के साथ जुड़े रहे।
बसंत पंचमी कब मनाई जाती है?
यह पर्व हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है, इसी वजह से इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस पर्व से होली के पर्व की शुरुआत भी होती है।
बसंत पंचमी में किनकी पूजा की जाती है?
बसंत पंचमी में विद्या, ज्ञान और स्वर की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
बसंत पंचमी का मतलब क्या होता है?
'वसंत' शब्द का अर्थ है बसंत और 'पंचमी' का अर्थ है पांचवें दिन। यह पर्व माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है, इसी वजह से इसे वसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस पर्व से होली के पर्व की शुरुआत भी होती है। इस दिन स्कूल और कॉलेजों में माँ सरस्वती की पूजा होती है। इसलिए वसंत पंचमी के दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
बसंत पंचमी के दिन किसका जन्म हुआ था?
मान्यता के अनुसार इस दिन ज्ञान, विद्या, वाणी, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था।
2023 में बसंत पंचमी कब है?
बाकि त्योहारों की तरह बसंत पंचमी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नहीं बल्कि भारतीय हिंदी कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन हर साल बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। वहीं अगर हम इसे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार देखें तो इस साल 2023 में बसंत पंचमी का त्यौहार 26 जनवरी ,गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।