वैसे तो कामयाबी और सफलता पर कई किताबें और कहानियां लिखी गयी हैं लेकिन आज के इस ब्लॉग में मैं आपसे हमारे जीवन में इस्तेमाल होने वाले और हमारी ज़िन्दगी बदलने वाले 3 जादुई शब्द – Life Changing Three Magical Words के बारे में बताने वाली हूँ, जिन्हे अपनी ज़िन्दगी में इस्तेमाल करने के बाद आप अपने काम में सफल जरूर होंगे।
क्या आप जानना चाहते हैं की वो जिंदगी बदलने वाले 3 जादुई शब्द (3 life changing magical words) कौनसे हैं? क्या आप जानना चाहते हैं की अपनी ज़िन्दगी कैसे बदलें (how to change life in hindi) और वो जादुई शब्द कौन से हैं जिनसे आप अपनी ज़िन्दगी बदल सकते हैं (magic words that will change your life), अगर आप यह जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।
मुझे यकीन है की आप सभी को वो 3 जादुई शब्द सिखाये गए होंगे। क्या आप जानते हैं की वो तीन जादुई शब्द क्या है? आप बोलेंगे इसमें क्या है यह तो सबको पता है – Please, Sorry और Thank you, लेकिन आपको बताते चले की आप बस कुछ हद तक ही सही है, आप इन शब्दों का इस्तेमाल तो करते हैं पर क्या यह शब्द अपने दिल से बोलते हैं?
क्या यह सब बोलने का एहसास आपके मन को होता है की आपको यह बोलना है या बस बोलने के लिए बोल देते हैं ताकि सामने वाले को बुरा ना लगे। तो चलिए Youthinfohindi के आज के ब्लॉग में हम बात करते हैं हमारे जीवन में इस्तेमाल होने वाले इन तीन जादुई शब्दों के बारे में।
ज़िन्दगी बदलने वाले 3 जादुई शब्द – Life Changing Three Magical Words
कहने को तो यह तीनो शब्द जादुई है। आप इन तीनो शब्दों को बोल सकते है, लेकिन अगर ये शब्द आपके दिल से आ रही है, अगर जादू आपके भीतर हो रहा है और शब्द बहार आएं तो यह बहुत अच्छी बात है।
जादू से मेरा मतलब है की इन तीनो शब्दों का इस्तेमाल आप जब भी करते हों तो उसके इस्तेमाल से पहले आपके दिल में क्षमा, आभार और प्रार्थना वाली भावना होनी चाहिए, तभी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करे तो ये बहुत अच्छी बात है।
लेकिन विडम्बना यह है की आजकल लोगों में ऐसा कोई जादू है ही नहीं, उनके पास सिर्फ शब्द है। अगर आपके पास अधिकार की भावना है लेकिन आप कहते है Please, तो इसका ना तो कोई मतलब है और ना ही कोई फायदा। आप कहते है क्या यह मुझे मिलेगा Please, और बिना सामने वाले की इज़ाज़त के आप वैसे भी उस चीज को उससे ले लेते हैं।
आप किसी को लात मार देते है फिर Sorry बोल देते है। आप हर किसी से जो चाहे वो ले लेते है फिर उसको Thank You बोल देते है।
इनमे से कोई भी शब्द आपके दिल से नहीं निकलती बल्कि आप बस बोलने के लिए बोल देते है ताकि सामने वाले को बुरा ना लगे और आप अपनी मनमानी करते रहे।
दरअसल बचपन से हमारे विद्यालयों में इसी तरह से सिखया जाता है की आप इन 3 जादुई शब्द का इस्तेमाल कीजिये और बस आपके लिए सब कुछ आसान हो जाएगा।
जबकि होना यह चाहिए, इन 3 जादुई शब्दों से यही पता लगना चाहिए की आपके पास अधिकार की कोई भावना नहीं है। बल्कि आप समझते है की वास्तव में इस संसार में जो कुछ भी है, यह सब कुछ भी आपका नहीं है। यहां तक की अगर आपको एक गिलास पानी भी चाहिए तो भी आपको Please कहना पड़ता है।
अगर आप इसको इस तरह से देखते है की वास्तव में यह पानी या खाने का एक निवाला भी आपका नहीं है बल्कि सौभाग्य से आपको मिला है, इसलिए आप इसे मांगने के लिए कहते है Please, तो ये भावना आपके दिल से होगी।
आप चाहे कुछ भी करें, आप शायद किसी को चोट पंहुचा रहे हों, आप शायद किसी चीज के ऊपर जाने में या अनजाने में पैर रख रहे हों, और कोई आपको ऐसे करते हुए देखता है तो आप कह देते है Sorry, क्या हुआ आपको लगी तो नहीं।
जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए अगर आप जानबूझ कर कुछ गलत कर रहे है, किसी को चोट पहुँचा रहे है और अगर आपने sorry भी बोला तो उसका कोई फायदा नहीं जबतक की ये भावना, ये माफ़ी या क्षमा मांगने की भावना आपके दिल से ना निकली हो। और Thank You आपको इसलिए कहना चाहिए क्यूंकि आपको अपने राह में आई हर चीज के लिए उस ईश्वर का आभार प्रकट करना है।
यह जीवन, हवा, पानी, खाना यहां तक की आपकी एक एक साँस इत्यादि के लिए अगर आप उस ईश्वर का तहे दिल से धन्यवाद् करते है तो ये वाकई आपके दिल से निकली हुई बहुत ही अच्छी बात है। यह सारे शब्द कई और तरीकों से भी अभिव्यक्त किये जा सकते है।
आजकल तो ऐसा है की जिसे इंसान के भीतर का जादू होना था वो केवल इंसानों के बर्ताव तक सिमित रह गया है। नैतिकतावादी समाज की यही शोकपूर्ण (tragedy) बात है, की वो सारी सही चीजे करते है पर उनके भीतर कुछ सही नहीं होता।
उन्हें लगता है की वो इन 3 जादुई शब्दों का इस्तेमाल करते है तो सब हमसे बहुत खुश है, हम बहुत अच्छे है, जबकि ऐसा नहीं है ये तीनो शब्द सिर्फ आपके बोलचाल और बर्ताव में है, क्यूंकि यह शब्द आपके दिल से नहीं निकलते, आप बस इन्हे सामने वाले को खुश करने के लिए बोल देते हैं।
आपका बर्ताव किसी की चेतना, किसी के विकास या किसी के रूपांतरण (conversion) को तय नहीं करता। अगर आपको एक आध्यात्मिक विकास (spiritual growth) का मतलब पता है, तो आप एक समावेशी और समझदार (inclusive and sensible) इंसान बन जाते है। अपनी समावेशिता के कारण हो सकता है की आप कई अच्छी चीजे करें।
अगर आपकी कोमलता और आपका प्यार भरा स्वाभाव आपकी समावेशिता से उभर रहा है तो यह बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन अगर यह सिर्फ एक फार्मूला है जिसे आपने सीखा है ताकि आप इसको इस्तेमाल करके अपनी मन चाही चीजें पा सकते है तो आपका यह बर्ताव सही नहीं है, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।
अगर आप समाज में रहना चाहते है तो आपको अपने बर्ताव को नियंत्रित रखना होगा क्यूंकि इससे आपके आस पास के लोगों को भी फर्क पड़ता है।
हम अच्छे बर्ताव के रूप में जिस चीज की उम्मीद कर रहे है, उसका मतलब कुछ खास शब्दों का प्रयोग करना नहीं है, ना ही कुछ खास चीजे करना और कुछ खास चीजे नहीं करना है। बल्कि हमे बस ये तय करना है की हम कौन है।
हम औरो की तरह ही है या उनसे अलग है। आपके सामने जब जैसी परिस्थिति आये आपको वैसा बर्ताव करना चाहिए ना की सदैव एक ही जैसा बर्ताव रखना चाहिए।
जरुरी नहीं है की किसी की आध्यात्मिक (spiritual) प्रगति उसके बर्ताव से आंकी जाये। दुनिया में इस तरह के भी लोग है जो सोचते है की हम आध्यात्मिक है तो हर किसी को हमे समझना चाहिए ना की हम किसी को समझे। ऐसे लोग अजीबो गरीब चीजे करते हैं, उनकी जो मर्जी हो वो वही करते हैं और सबसे उम्मीद करते हैं की हर कोई उन्हें समझे।
आध्यात्मिक प्रक्रिया का मतलब है – की आपकी पहचान अपनी भौतिक प्रतिक्रिया (physical reaction) से नहीं है बल्कि आपकी पहचान उस आयाम पर चली गई है जो भौतिक नहीं है। जब आपकी पहचान भौतिक नहीं रहती फिर चीजों को करने का आपका कोई विशेष तरीका नहीं रहता आप उसे वैसा करेंगे जैसा जरुरी होगा।
जैसे जहाँ प्यार चाहिए वहां प्यार और जहाँ कठोरता की जरुरत है वहां कठोरता। परिस्थिति की मांग जैसी भी हो आप उसी तरह प्रतिक्रिया (Response) देंगे क्यूंकि आपकी पहचान अपनी शारीरक और मानसिक प्रक्रिया के साथ नहीं है बल्कि आपकी पहचान आप जो है उसके भौतिक आयाम से परे चली गई है।
आपके पास एक आज़ादी होती है आप जैसा चाहे वैसा बर्ताव करें। सभ्य बर्ताव का मतलब है आप डटे हुए है एक खास तरीके से बर्ताव करने के लिए। अपनी आज़ादी से आपको जब अच्छे बर्ताव की जरुरत होती है तो आप अच्छा बर्ताव करते है, जब बुरा बनने की जरुरत होती है आप बुरा बनते है, जैसे बर्ताव की जरुरत होती है आप उसी के अनुसार पेश आते है।
मान लीजिये की आप सड़क पर गाड़ी चला रहे हैं और भैसों का एक झुण्ड वहां चला आ रहा है। आप उन भैसों को जाकर कहिये Please. Please हट जाओ मुझे गाड़ी चलानी है, लेकिन वो भैसें वहां से नहीं हटेंगी, बस वैसे ही चलती रहेगी।
आपके हाथ जोड़ने या Please कहने से उनको कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन आप उनको बोलेंगे Hey हटो तो वो थोड़ा हिलेंगे, आप छड़ी उठा कर Hey हटो कहेंगे तो वो हट जाएंगे।
उन भैसों को यह समझ नहीं आता की आप ये क्या Please, Please बोले जा रहे हैं। अभी आप भैसों के साथ बुरा बर्ताव करने की कोशिश नहीं कर रहे है क्यूंकि अगर भैसों को पता होता की मीठे शब्द क्या होते है तो आप बस वो कहते और वो रास्ते से हट जाती। आप भैसों से मीठी बात कहते हैं तो उसे समझ में नहीं आता।
तो भैसों को यह समझ में आना चाहिए की अभी उनका आपके रास्ते पर खड़ा होना आपको पसंद नहीं है। आपको उसे समझाना होगा की उसको अभी उस रास्ते पर नहीं होना चाहिए जिस पर आपको जाना है। आपको उसकी पिटाई नहीं करनी है पर आपको थोड़ा शोर तो मचाना ही होगा। वरना वो नहीं हिलेगी क्यूंकि उसे आपका Please समझ नहीं आता।
किसी बच्चे से आप एक तरीके से बात करेंगे, किसी बड़े से दूसरी तरह से, किसी अपने से किसी और तरीके से, किसी पराये से किसी और ढंग से। हमारा बर्ताव परिश्थिति की मांग के अनुसार होता है, ना की हमारी मर्जी के हिसाब से।
लेकिन आपने खुद को जमा लिया है की मैं ऐसे ही बर्ताव करूँगा, यहां तक की परिस्थिति उसके लिए अनुकूल ना हो फिर भी आप वही बर्ताव करते हैं जो आपका मन करता है, इसका कोई तुक नहीं है। कोई भी काम जो उस परिस्थिति के लिए उचित नहीं है, फिर भी आप उसे कर रहे है तो वो बेतुका काम है।
भगवान श्री कृष्ण ने कहा था “योगस्थः कुरु कर्माणि”, यानि पहले खुद को योग में स्थापित कीजिये। आप कोई काम खुद को योग में स्थापित कर के कीजिये लेकिन अपने अलग इंसान होने की भावना से नहीं बल्कि सृष्टि के साथ अपनी एकरूपता के साथ रहकर। इसका मतलब है की आप पूरी तरह से एकरूपता में है, फिर जहाँ जैसे बर्ताव की जरुरत होगी आप वहां वैसा ही बर्ताव करेंगे।
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उम्मीद करती हूँ आपको आज का विषय ज़िन्दगी बदलने वाले 3 जादुई शब्द – Life Changing Three Magical Words अच्छे से समाज आ गया होगा। दोस्तों कोई भी बर्ताव बस ऊपर के मन से ना करें अपने भीतर से करें क्यूंकि ऊपरी मन से किया गया काम बस दिखावा ही कहलाता है और अगर आप इसे दिल से करते हैं तो सब जगह आपकी प्रशंसा होती है और आप सफलता की राह में आगे भी बढ़ते रहते हैं।
आज की पोस्ट कैसी लगी अपने सुझाव मुझे कमेंट करके जरूर बताये और इस पोस्ट को शेयर जरूर करें ताकि औरों को भी इन तीन जादुई शब्दों का सही अर्थ मालूम चल सके।
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Great post
Thanks