जैसे ही एक बच्चे का जन्म होता है वैसे ही एक औरत का माँ के रूप में जन्म होता है। हर नयी नयी माँ बानी महिला चाहती है की वो अपने बच्चे की हर तरह से पूरी देखभाल करे ताकि उसका बच्चा स्वस्थ और हमेशा हँसता खेलता रहे। माँ अपने शिशु की हर मुमकिन देखभाल करना चाहती है, उसमे से एक देखभाल है उसके शिशु के आँखों की। आज के ब्लॉग में हम जानेंगे की क्या बच्चों की आँखों में काजल लगाना सुरक्षित है – आयुर्वेद Vs डॉक्टर्स – Is it Safe to apply Kajal on Babies Eyes (Ayurveda Vs Doctors)।
हम पेरेंट्स के मन में बच्चे की अच्छी परवरिश और उनका अच्छे से ख्याल रखने की चिंता हमेशा सताती है ऐसे में काजल लगाने से जुड़े सवाल जैसे is kajal safe for babies, apply kajal on babies, kajal for babies eyes, is kajal good for babies, kajal for newborn baby मन में आना आम बात है। मैंने इस पोस्ट में इन्ही सब सवालों के जवाब देने की कोशिश की है।
आज का विषय उन मायों के लिए बेहद जरुरी जो इस सोच में पड़ी रहती है की बच्चो को काजल लगाना सही है या नहीं? क्या बेबी को काजल लगा सकते हैं? बच्चे को काजल लगाने के नुकसान क्या क्या है? बच्चे को काजल लगाने के फायदे (is kajal good for baby eyes) क्या क्या हैं? तो चलिए जानते हैं की बच्चो को काजल लगाना (safe to apply kajal to babies) आयुर्वेद और डॉक्टर्स के मुताबिक सही है या नहीं।
हम अक्सर अपने बड़े बुज़ुर्गों को कहते हुए सुनते है की बच्चो को आँखों में काजल लगाओ उसकी आँखें बड़ी लगेगी, बच्चा बुरी नज़र से बचेगा, बच्चे की आँख में कोई गन्दगी नहीं जा पाएगी वगैरह वगैरह। कई सालों से ऐसा होता चला आ रहा है लोग बच्चो को काजल लगाते ही आ रहे है।
लेकिन आजकल के माता पिता को यह चिंता बहुत सताती है की क्या बेबी को काजल लगा सकते हैं (is kajal safe for newborn baby), और वो बच्चों को काजल लगाने से घबराते हैं क्यूंकि उन्हें डॉक्टर्स ऐसा करने से मना करते हैं। पर क्या कभी सोचा है की इसके पीछे की वजह क्या क्या है? बच्चे को काजल लगाने से डॉक्टर्स क्यों मना करते हैं?
क्या बच्चों की आँखों में काजल लगाना सुरक्षित है – आयुर्वेद Vs डॉक्टर्स : Is it Safe to apply Kajal on Babies Eyes (Ayurveda Vs Doctors)
बच्चों की आँखों में काजल लगाना सुरक्षित हैं या नहीं (is it safe to apply kajal to babies) इस बात को हम दो तरीके से समझेंगे उसके बाद आपको जो सही लगे आप वो कीजिये क्यूंकि माता-पिता होने के नाते आपको ही पता है की आपके बच्चे के लिए क्या सही है। हम यहां आयुर्वेद vs डॉक्टर्स के पहलुओं को जानेंगे।
कितना सही है बच्चो की आँखों में काजल लगाना – आयुर्वेद की दृष्टि से
हमारा शरीर पांच तत्वों जैसे जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु से मिलकर बना है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर का स्वास्थ्य जिन तीन चीजों पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है वो है वात पित्त और कफ। ये तीनों अगर शरीर में संतुलित अवस्था में हैं तो आप स्वस्थ हैं और अगर इनमें से किसी का भी संतुलन बिगड़ा तो शरीर में ढेरों रोग उत्पन्न होने लगते हैं।
हमारी आँखें कफ का केंद्र है, सबसे बड़ा कफ का केंद्र है सिर, दूसरे नंबर पर कान और तीसरे नंबर पर आँख। आँख के 99% रोग कफ के रोग है। जैसे मोतियाबिंद, कॉर्निअल रोग (corneal disease), कांचबिंदु (vitreous), ग्लूकोमा (glaucoma), सफ़ेद मोतियाबिंद (Cataract), या आपकी आँखें लाल हो रही है ये सब कफ की बीमारिया है। इसलिए बच्चो की आँखों की विशेष देखभाल करनी चाहिए ताकि चश्मा ना लगे।
तो अब सवाल यह उठता है की कफ को रोकने के लिए आँखों के साथ क्या करें क्यूंकि आप बच्चो के सिर पर और कान में तो तेल लगा सकते है पर आँखों में तेल नहीं डाल सकते हैं। तेल और आँखों का कोई मेल नहीं है क्यूंकि आँखों में एक फ्लूइड रहता है और अगर तेल आँखों की इस फ्लूइड में गया तो बहुत गंभीर समस्या उत्त्पन्न हो सकती है। इसलिए आँखों के लिए देसी गाय का घी ठीक है।
अगर आप बच्चो की आँखों में देसी गाय का घी लगा सकते है तो ये बहुत अच्छी बात है। देसी गाय का घी कफ को शांत करता है। लेकिन हर जगह देसी गाय का घी उपलब्ध होना इतना आसान नहीं क्यूंकि जो घी देसी बोलकर बाज़ारों में बेचा जाता है दरअसल वो देसी नहीं होता है।
देसी गाय का मतलब है लंबी सींग और बड़े कूबड़ वाली साहीवाल, गिर, लाल सिंघी या सिंघी गाय। ये गायें दूध भले ही काम देती है पर इनका दूध और घी इत्यादि बहुत फायदेमंद होता है।
वाग्भट जी के अनुसार कफ को शांत करने वाली एक और चीज है वो है काजल। काजल मतलब कार्बन, कार्बन कफ को शांत करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। इसलिए बच्चो की आँखों में नियमित रूप से काजल होना ही चाहिए। वाग्भट जी ने इसके लिए एक बहुत ही सुन्दर शब्द इस्तेमाल किया है ” सौवीर अंजन”।
सौवीर अंजन अर्थात काजल, इन दोनों शब्दों को मिलाने से सैवीरांजन बनता है। वाग्भट जी ने सौवीरांजन बनाने की विधि भी बताई है। उसे बनाने के लिए गाय का दूध और दारु हल्दी की जरुरत होती है। ये काजल देसी गाय का दूध देसी गाय का दही दारू हल्दी और ऐसी 5 से 7 वस्तुएं मिला कर बनाई जाती है।
बच्चो को नियमित रूप से आँखों में काजल, कान में तेल, सिर और शरीर पर तेल की मालिश, ये तीनो चीजे उनके लिए आवश्यक है। इसके अलावा बच्चो के कफ को शांत करने के लिए दूध बहुत आवश्यक है, दुरी चीज मक्खन/लोनी, मट्ठा, तीसरी चीज देश घी, उसेक बाद तेल और उसके बाद जो भी साधारण खाना वो खाते है। इसके अलावा गुड़ भी बच्चो के लिए बहुत आवश्यक है। ये सभी चीजे कफ को शांत करने में मदद करती है।
कितना सही है बच्चो की आँखों में काजल लगाना – डॉक्टर्स की दृष्टि से
आजकल अगर आप बच्चो को डॉक्टर के पास ले जाते है तो वो आपको बच्चो को काजल लगाने से मना करते है। कइयों को तो यह सुन कर गुस्सा भी आता है की डॉक्टर्स उनको काजल लगाने से मना कर रहे। कई लोग तो डॉक्टर के पास बच्चो को ले जाते हुए काजल पोंछ देते है बाद में फिर से लगा देते हैं।
पर क्या आप जानते है की डॉक्टर्स आपको बच्चो को काजल लगाने से क्यों मना करते है? चलिए जानते है:
1. सभी डॉक्टर बच्चो को काजल लगाने के एकदम खिलाफ है उसका सबसे पहला कारण है की जो वजह लोग डॉक्टर्स को बताते है की वो बच्चो को काजल क्यों लगा रहे है, उसका सबूत आज तक चिकित्सा विज्ञान (Medical Science) में नहीं मिला है।
चिकित्सा विज्ञान में ये बिलकुल साबित नहीं हुआ की बच्चो को काजल लगाने से आँखें बड़ी हो जाएगी, उनको नज़र नहीं लगेगी, उनकी आँखों की रौशनी अच्छी रहेगी या उनकी आँखों में गन्दगी नहीं जाएगी।
2. बच्चो को काजल लगाने से मना करने का डॉक्टर्स का दूसरा कारण ये है की जब आप बच्चे को काजल लगाते है तो या तो आप काजल अपनी ऊँगली से लगाएंगे या फिर फिर चीज से। बच्चो की आँखें बल्कि बड़ो की भी आँखें बहुत नाज़ुक होती है।
अगर आप काजल लगाने के लिए अपने हाथ का इस्तेमाल करते है तो आप कितना भी अच्छे से अपने हाथ, उँगलियों और उस चीज को जिससे आप काजल लगाते है, को धो ले उसपे गन्दगी रह ही जाती है। जिससे बच्चे की आँखों को कोई संक्रमण (Infection) होने का खतरा रहता है।
किसी चीज की मदद से अगर आप बच्चे को काजल लगाते है तो हो सकता है की उस चीज की धार तेज़ हो या वो गलती से बच्चे की आँखों के लग जाये।
इसलिए साफ सफाई को ध्यान में रखते हुए भी डॉक्टर्स बच्चे को काजल लगाने से मना करते है।
3. तीसरा कारण यह है की जब हम बड़े भी काजल लगाते है तब कोई काजल अगर हमे सूट नहीं करती, उससे हमे धुंधला दीखता है या आँख में दर्द होता है, पानी आता है या कोई और परेशानी होती है तो हम तो अपना काजल बदल बदल कर लगा लेते है पर बच्चे तो बहुत चोट होते है वो अपनी परेशानी कैसे बताएंगे। बच्चे अगर इन परेशानियों की वजह से रोते है पर हम समझ नहीं पाते।
हम बच्चो को खाना, पानी दूध, डाइपर, उनका सोना, सब देख लेते है पर हमारे बच्चो को आँखों से जुडी कोई परेशानी भी हो सकती है यह बात हम बड़े नहीं समझ पाते। तो ऐसा देखा गया है की बच्चे को परेशानी होती है माता पिता समझ नहीं पाते और बच्चे की आँखों में संक्रमण हो जाता है, जो बच्चो की आँखों के लिए घातक साबित हो सकता है।
4. अगला कारण यह है की जब आप बच्चे को काजल लगाते है और फिर जब उसको धोते है तो आप उसे दो तरीके से धोते है। उसे साफ करने के आप किसी कपड़े या रुई की मदद लेंगे या फिर नहाते समय उसे साबुन या फेश वाश से धोयेंगे।
लेकिन कई काजल जल्दी छूटते नहीं है और ऐसे में अगर आप उसे साफ करने के लिए कपड़े या रुई का इस्तेमाल करेंगे और इसे साफ करने के लिए ज़रा भी जोर लगाएंगे तो इससे बच्चे की आँखों को नुकसान पहुंच सकता है।
अगर आप बच्चे को नहलाते समय काजल निकालते है उस वक़्त काजल का थोड़ा सा भी हिस्सा अगर आँख में रह जाता है तो वो आँख से नाक में जाएगा और किसी नस को जाम कर सकता है। यह भी आपके बच्चे के लिए खतरनाक है। तो काजल के ठीक से साफ ना होने की वजह से भी डॉक्टर्स काजल लगाने के बिलकुल खिलाफ हैं।
5. पांचवा सबसे बड़ा कारण यह है की जो काजल व्यावसायिक रूप से उत्पादित (commercially produced) होते हैं उसमे लेड (Lead) नाम का एक पदार्थ होता है जो की मानव शरीर के लिए बहुत की खतरनाक होता है, खासकर बच्चो के लिए।
इसे शरीर के किसी भी अंग में ज्यादा समय तक कही लगाने या रखने से यह हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुँचाती है। लेड की वजह से अनीमिया, दिमाग का कम विकसित होना, IQ कम होना इत्यादि परेशानियाँ हो सकती है। इसलिए डॉक्टर्स काजल लगाने से मना करते है।
इसके अलावा अगर आप घर में भी जो काजल बनाते है उसके लिए आपने जिन चीजों का इस्तेमाल किया है वो प्राकृतिक तथा जैविक (नेचुरल and Organic) है या नहीं इसका प्रमाण भी ना मिल पाने के कारण भी डॉक्टर्स आपको काजल के लिए मना करते है।
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हमारे बच्चो की आँखें या पुरे के पुरे बच्चे ही बहुत नाज़ुक होते है। हम उनके ऊपर कोई भी चीज इस्तेमाल करने से पहले कई बार सोचते है, उनके लिए हर कदम फूंक फूंक के रखते है। हर बच्चे को किसी न किसी चीज से एलर्जी हो सकती है।
तो सिर्फ एक परंपरा को बनाये रखने के लिए बच्चे की आँखों में ऐसी कोई भी चीज लगा देना जिसके पीछे कोई सही कारण नहीं है, ये तो कोई सही बात नहीं हुई ना। यह चीजे डॉक्टर्स के मुताबित बिलकुल भी सही नहीं है इसलिए वो हमेशा बच्चो की आँखों में काजल लगाने से मना करते है।
हमारे बच्चे पूरी तरीके से हम पर ही निर्भर रहते है। वो अपनी हर परेशानी हमे नहीं बता सकते, बस रो सकते है। इसलिए हमे ही उनका ध्यान रखना है। अगर आप डॉक्टर्स की माने तो बच्चो की आँखों में काजल बिलकुल ना लगाए और अगर लगाना ही है तो आप सौवीरांजन काजल बना कर लगाए।
अगर यह बनाना मुमकिन ना हो लेकिन अपनी परंपरा का भी पालन करना है तो आखों के बजाये बच्चों के कान के पीछे या तलवे के निचे या सिर पर एक टिका लगा दे बस, इससे ज्यादा कही भी काजल लगाने की जरुरत नहीं है।
इस ब्लॉग में मैंने सौवीरांजन काजल के बारे में बताया है। यह काजल आपको ऑनलाइन मिल जायेगा या फिर इसे बनाने की विधि भी ऑनलाइन मिल जाएगी। अगर आपको ना मिले और चाहते है की मैं आपसे सौवीरांजन काजल बनाने की विधि शेयर करू तो मुझे कमेंट बॉक्स में कमेंट करें। मैं अपने अगले ब्लॉग में उसे बताने की पूरी कोशिश करुँगी।
मेरी आज की पोस्ट क्या बच्चों की आँखों में काजल लगाना सुरक्षित है – आयुर्वेद Vs डॉक्टर्स – Is it Safe to apply Kajal on Babies Eyes (Ayurveda Vs Doctors) आपको कैसी लगी, अपने comments में जरूर बातएं। पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे शेयर जरूर करें।
Excellent and nice article. Thanks for sharing
Thanks for ur compliment
Very much informative
सोविर अंजन काजल वागभट्ट जी ने जो बताया है कृपया उसको बनाने की विधि भी बता दीजिए
सोविर अंजन काजल banane ki exact vidhi to nahi pata mujhe par wo online milta hai aapko chahiye to main link de sakti hun.