अगर आप भी जानना चाहते हैं की पॉटी ट्रेनिंग क्या है (what is potty training), बच्चों को किस उम्र से पॉटी ट्रेनिंग देनी चाहिए (Potty training age), बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने के फायदे क्या हैं और बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग कैसे दे सकते है (how to potty train your child) इत्यादि। तो आज के मेरे इस लेख बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग कैसे दें और कब दें – How and When to start Potty Training to Kids को अंत तक जरूर पढ़ें।
बच्चे की परवरिश मां-बाप के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं वैसे वैसे मां-बाप की जिम्मेदारियां भी बढ़ने लगती हैं और बढ़ते बच्चों को कई बातें सिखानी पड़ती हैं जैसे भूख लगने पर कैसे बताना है, सू-सू या पॉटी आने पर कैसे बताना है, कोई चीज चाहिए तो कैसे बताना है, किसी को मारना पीटना नहीं है, सबके साथ कैसे खेलना है, इत्यादि।
छोटे बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इससे उनमें अच्छी आदतें आती हैं और उन्हें पता लगता है की पॉटी कैसे करते हैं (how to do potty)। बच्चों को ये ट्रेनिंग देने के लिए आपको यह पता होना चाहिए कि बच्चों को किस उम्र से पॉटी ट्रेनिंग देना चाहिए (baby potty training age) और पॉटी ट्रेनिंग कैसे देनी शुरू करनी चाहिए (when to start potty training to a baby)।
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने और संतुलित दिनचर्या का पालन करने के लिए उन्हें कई बातें सिखाना जरूरी होता है। ऐसी ही एक सीख Potty Training भी है। इसलिए आज के इस लेख में मैं आपके लिए कुछ ऐसे Tips लेकर आई हूँ जिनकी मदद से आप आसानी से अपने बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग दे सकते हैं।
बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग कैसे दें और कब दें – How and When to start Potty Training to Kids
पॉटी ट्रेनिंग (शौच प्रशिक्षण) देने का मतलब क्या होता है -What does potty training mean
बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग कैसे दें और कब दें – How and When to start Potty Training to Kids में आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं की पॉटी ट्रेनिंग (शौच प्रशिक्षण) देने का मतलब क्या होता है।
पॉटी ट्रेनिंग (शौच प्रशिक्षण) देने का मतलब
बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग (Bachchon Ko Potty Training) या टॉयलेट ट्रेनिंग (Toilet Training) देने का मतलब होता है, बच्चों का उनके शरीर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ जैसे मल-मूत्र आदि के संकेतों को समझना।
साथ ही यह समझना भी की यह सारी प्रक्रिया सही समय पर और सही तरीके से करना भी जरूरी है। अन्य शब्दों में टॉयलेट या पॉटी ट्रेनिंग बच्चों को मूत्राशय और बाउल कंट्रोल (Bowel Control) सिखाने की प्रक्रिया है। साथ ही उन्हें यह समझाना है कि Toilet Seat का प्रयोग कैसे किया जाता है।
मेरे हिसाब से पॉटी ट्रेनिंग के लिए आदर्श रूप से (ideally) कोई भी गाइडलाइन्स, कोई रूल बुक या कोई भी सही तरीका जो एक दम परफेक्ट हो, यह आपको कोई भी नहीं बता सकता। आप जितने भी पेरेंट्स या डॉक्टर्स से बात करेंगे वो सब आपको यही कहेंगे की पॉटी ट्रेनिंग एक अनुभव है और यह जरुरी नहीं है की जो तरीका आपके लिए काम कर रहा है वही तरीका दूसरों के लिए भी काम करे।
यह भी हो सकता है की आपने पॉटी ट्रेनिंग का एक दम सही और बेस्ट तरीका सीखा हो लेकिन फिर भी वो आपके बच्चे पर काम ना करे और आपको खुद ही कोई तरीका अपना कर अपने बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देना पड़े।
बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग कब और कैसे दें | Bachchon Ko Potty Training Kaise De |बच्चों को टॉयलेट ट्रेनिंग कैसे दे
Toilet training age – सामान्यतः पॉटी ट्रेनिंग तब देना शुरू करना चाहिए जब बच्चे या तो बोलना शुरू कर देते है या फिर बैठना शुरू कर देते हैं। बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देने के लिए पेरेंट्स को उन्हें सिखाना पड़ता हैं।
इसलिए बच्चे susu या potty के लिए बोलना तभी सीखेंगे जब आप उनके इशारों को समझ कर उन्हें इसकी ट्रेनिंग देंगे। हर बच्चे का susu-potty के लिए बताने का तरीका अलग होता है।
कुछ बच्चे उछलने – कूदने या डांस टाइप करने लगते है, कुछ बच्चे अपना पैर ऊपर कर लेते हैं, कुछ बच्चे अजीब सी आवजें निकालने लगते है और सबसे सामान्य है की बच्चे फाट यानि पादू मारना शुरू कर देते है।
बच्चों के इन इशारों से आप समझ सकते है की आपके बच्चे को पॉटी आई है। इसलिए बच्चे को potty training देने से पहले पेरेंट्स की ट्रेनिंग होती है की वो अपने बच्चों के इन इशारों को कैसे समझ सकते हैं।
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बच्चों की पॉटी ट्रेनिंग कब शुरू करनी चाहिए या पॉटी ट्रेनिंग कब देनी चाहिए | Bachchon Ki Potty Training kab shuru karni chahiye
Toilet training for toddlers – इस प्रक्रिया का पहला कदम है अपने बच्चे के पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार होने के संकेतों को समझना। अगर बच्चा इस चीज के लिए तैयार ना हो तो आप ट्रेनिंग के दौरान हताश हो सकते हैं।
पॉटी ट्रेनिंग के लिए सही समय के बारे में जानना बहुत जरुरी जरूरी है। सामान्यतः बच्चे पॉटी ट्रेनिंग के लिए लगभग 18 महीने से 3 साल की उम्र के बीच तैयार हो सकते हैं। इस उम्र तक आते आते बच्चे खुद भी संकेत दे सकते हैं कि उनके डाइपर को बदलने की आवश्यकता है। इस प्रक्रिया के लिए बच्चे की औसत उम्र 27 महीने है।
इसलिए आप अपने बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग 1.5 वर्ष से 2 साल के बीच शुरू कर सकते हैं। कुछ बच्चे पॉटी ट्रेनिंग के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं जबकि कुछ समय लेते हैं। इसलिए ऐसे मामलों में कभी भी अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से नहीं करनी चाहिए। इससे ना सिर्फ माता-पिता बल्कि बच्चा भी तनाव में आ सकता है।
कैसे समझे की बच्चा पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार है | potty training ke liye bachcha kab taiyar hota hai
Toilet training for kids (poop training) – अगर आपका बच्चा टॉयलेट सीट पर बैठ रहा है और उसने चलना शुरू कर दिया है, वो खुद से अपनी पैंट काे उतार और उसे वापस पहन पा रहा हो, उसे आपके निर्देश समझ आते हों, पॉटी या सुसु आने पर वो आपको संकेतों या बोलकर बता सकता हो तो इसका मतलब है कि आपका बच्चा पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार है।
अगर आपका बच्चा Susu Potty के लिए अभी नहीं बताता तो उसे सिखाएं की उसे कैसे बताना चाहिए।
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पॉटी ट्रेनिंग के लिए क्या इस्तेमाल करें | Baby Potty Seat or Normal Seat |can we train babies on potty seat
Potty Training Seats for Babies – बच्चों को potty training देने के लिए आप चाहें तो पॉटी सीट का इस्तेमाल कर सकते हैं पर मेरी राय में अगर एक बार बच्चे को इसकी आदत लग गयी तो इसे छुड़ाना भी आपके लिए एक और काम (Task) बढ़ जाएगा।
इसलिए जब आपका बच्चा इशारा देने लगे, बोलना शुरू कर दे या बैठना शुरू कर दें या जब भी आप उसे पॉटी ट्रैंनिंग देने की सोच रहे हों तो आप उसे सीधा उसे उसी पॉटी सीट की आदत लगाए जिसे वो आगे भी इस्तेमाल करने वाला है।
बच्चा अगर खुद पॉटी सीट पर बैठने लायक नहीं है तो आप उसे पकड़ कर बैठिये ताकि बच्चा आराम से पॉटी कर सके। ऐसा करने से बच्चे के मन में यह शुरू से बैठ जाएगा की उसे यही पर पॉटी करना है।
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पॉटी ट्रेनिंग के लिए एक प्रक्रिया बनाये | Create a process around the whole potty activity
बच्चे सामान्यतः रोज़ाना सुबह और शाम में पॉटी करते है और कुछ बच्चे दिन में कई बार भी पॉटी करते हैं। इसलिए अपने बच्चे को पॉटी ट्रैंनिंग देने के लिए आप उसे एक समय की आदत लगाएं। बच्चे को सुबह के समय में उठाने और उठने के बाद थोड़ा गरम पानी पिलाने की आदत लगाए।
मैंने अपने बच्चे को ये आदत लगा रखी है। वो जब भी सुबह उठता है मैं उसे एक छोटे से गिलास में एक गिलास गरम पानी, निम्बू के रस की कुछ बूंदें डालकर देती हूँ। वो उसे पूरा पीता है और उसके 10-15 मिनट्स के बाद उसे पॉटी आ जाती है।
अगर आपका बच्चा रात को पॉटी करता है तो आप उस समय भी यही रूल फॉलो कर सकते हैं लेकिन आप इसे बच्चे को सुलाने से कम से कम एक घंटा पहले कीजिये। ऐसा इसलिए क्यूंकि हो सकता है की आपने उसे गरम पानी तो पीला दिया है लेकिन उस समय उसे पॉटी नहीं आएगी।
लेकिन क्यूंकि आप उसे पॉटी के लिए ले कर गए थे और बच्चे ने पॉटी करने की कोशिश भी की थी तो हो सकता है की थोड़ी देर बाद उसे पॉटी आ जाये। इसलिए आप यह प्रक्रिया उसे सुलाने से एक घंटा पहले करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
अक्सर जब बच्चों का पेट साफ नहीं रहता तो वो नींद में कभी पैर ऊपर करते रहते है या फाट मारते रहते हैं या फिर वो ठीक से सो नहीं पाते। इसलिए अगर आप बच्चे की सुबह शाम पॉटी करने की आदत लगवा देते हैं तो बच्चे को भी उसकी आदत हो जाएगी और रात को सोते समय भी वो आराम से सो भी पाएंगे।
कोशिश करते रहे | Keep Trying Because Babies learn through Repetition
चाहे पॉटी ट्रेनिंग हो या फिर कोई और काम, जो आप बच्चों को सिखाना चाहते हैं उसके लिए सबसे पहले पेरेंट्स को बहुत मेहनत करने और dedicated रहने की जरुरत होती है।
आप same चीज same टाइम पर रोज़ाना बच्चों को सिखाएंगे तो वो सीखेंगे भी और उनको वो सब काम सही समय पर करने की आदत भी लग जाएगी। एक ही चीज को बार बार सिखाने से बच्चे ज्यादा से ज्यादा 15-20 दिन में उसे सिख लेते है और उन्हें वही सब करने की आदत भी हो जाती है।
Engagement है जरुरी |Engage your Child – make it an engaging activity
बच्चे जितनी जल्दी किसी काम को करने के लिए उत्साहित रहते हैं उतनी ही जल्द वो शांत भी हो जाते हैं। इसलिए जब आप बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग दे रहे होते हैं तो बच्चे को उसमे एंगेज रखने के लिए आपको कोई fun एक्टिविटी कर सकते हैं। जैसे की कोई कहानी सुनाना, फनी सा फेस बनाना, जहाँ बच्चे पॉटी करते हैं उसके आस पास की चीजों के बारे में बात करना, इत्यादि।
ताकि बच्चों को उस काम में भी मज़ा आये और वो इस पॉटी के काम को भी मजे के साथ कर सके। इसके साथ आप बच्चों को flush करना भी सीखा दीजिये क्यूंकि इसमें भी बच्चों को मज़ा आता है। बच्चों को लगता है की अचानक से इतना सारा पानी आया और सारा पॉटी को बहा कर ले गया, आप इस बात को एक fun way में भी सीखा सकते हैं।
बच्चे को शाबाशी दें |Motivate your child to follow the routine
बार बार कोशिश करने के बाद भी जब बच्चा पॉटी ना कर रहा हो और अचानक एक बार वो potty seat पर पॉटी कर लेता है तो बच्चों को बहुत सारा शाबाशी दें, उसे इनाम दें। बच्चों में एक लालसा (craving) होती है की वो कुछ भी करें तो उसके आस पास के लोग खुश हो जाएं, उसके लिए तालियां बजाएं, उसकी तारीफ करें।
तो जब पहली बार बच्चा potty seat पर पॉटी पर पॉटी कर ले तो उसके लिए ऐसा जरूर करें और बार बार करते रहे ताकि उसे लगे की वो बहुत अच्छा काम कर रहा है।
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उम्मीद करती हूँ की मेरे आज के पोस्ट बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग कैसे दें और कब दें – How and When to start Potty Training to Kids में आपको शिशु पॉटी ट्रेनिंग की संपूर्ण जानकारी मिल गयी होगी और आप समझ गए होंगे की बच्चों को पोटी ट्रेनिंग कैसे दे और बच्चों को वॉशरूम जाना सिखाने यानि पॉटी ट्रेनिंग के उपाय क्या क्या हो सकते हैं।
इस लेख में आपने जाना कि बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देना कितना जरूरी है। साथ ही मैंने आपको यह बताया गया कि potty training के दौरान आपको किन बातों पर ध्यान देना चाहिए। पॉटी ट्रेनिंग की प्रक्रिया लंबी हो सकती है इसलिए बच्चों को डांटे नहीं बल्कि बहुत प्यार से ट्रेनिंग दें। यह बिलकुल उम्मीद ना करें की वो 1-2 दिन में सब सिख जायेंगे।
उन्हें जल्दी सब कुछ सिखाने की कोशिश बिल्कुल भी ना करें। उन्हें इसे सीखने के लिए पर्याप्त समय लेने दें। थोड़ा संयम बनाये रखें क्यूंकि माता-पिता के संयम बरतने से बच्चा जल्दी ही सबकुछ सीख सकता है। आज का लेख आपको कैसा लगा अपने विचार मुझे कमेंट करके जरूर बताएं। पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर करना ना भूलें।