Makar Sankranti Kyu manate hai:मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है? जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

Makar Sankranti 2025: भारत देश में हर साल 2000 से भी ज्यादा त्यौहार मनाये जाते है और हिंदू धर्म में सूर्य देवता से जुड़े कई प्रमुख त्‍योहारों (Makar Sankranti Kyu manate hai) को मनाने की परंपरा है, जिनमे से एक त्यौहार मकर संक्रांति भी है। भारत के सभी त्योहारों के सिर्फ परंपरा या रूढि बातें नहीं होती है बल्कि हर एक त्यौहार के पीछे ज्ञान, विज्ञान, कुदरत, स्वास्थ्य और आयुर्वेद से जुड़ी कई साडी बातें छुपी होती है। 

हिन्‍दू धर्म में महीने को दो पक्षों में बांटा गया है: कृष्ण पक्ष और शुक्‍ल पक्ष। ठीक इसी तरह से वर्ष को भी दो अयनों में बांटा गया है: उत्‍तरायण और दक्षिणायण। यदि दोनों को मिला दिया जाए तो एक वर्ष पूरा हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्‍तरायण गति प्रारंभ हो जाती है इसलिए मकर संक्रांति को उत्‍तरायण भी कहते हैं।

Why Makar Sankranti is celebrated: सनातन धर्म में मकर संक्रांति का अत्यधिक महत्व है। यह उत्सव प्रतिवर्ष सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन साधक गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान और ध्यान करते हैं। इसके साथ ही सूर्य देव की पूजा और उपासना भी की जाती है।

हिन्‍दू धर्म की मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्‍णु ने असुरों का अंत कर उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। इसलिए इस मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्‍मकता को समाप्‍त करने का दिन भी मानते हैं। उत्‍तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्‍मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्‍नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों को विशेष महत्‍व दिया जाता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है और मकर संक्रांति के पीछे की कहानी क्या है? अगर नहीं, तो आइए इस लेख में जानते हैं की Makar Sankranti Kyu manate hai. तो पहले जानते हैं की संक्रांति क्या है?

 

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संक्रांति क्या है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने या गोचर करने को संक्रांति कहा जाता है। वैसे तो संक्राति साल में 12 बार हर राशि में आती है, लेकिन मकर और कर्क राशि में इसके प्रवेश का विशेष महत्व है क्यूंकि इसके साथ बढती गति के चलते मकर में सूर्य के प्रवेश से दिन बड़ा तो रात छोटी हो जाती है, जबकि कर्क में सूर्य के प्रवेश से रात बड़ी और दिन छोटा हो जाता है।

इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और देवलोक में दिन आरंभ होता है। हिंदू धर्म में ऐसे अनेक कारण बताए गए हैं जिनकी वजह से मकर संक्रांति का सभी 12 संक्रांतियों में विशेष महत्व है। श्रमद्भगवतगीता में भी मकर संक्रांति को बेहद शुभ बताया गया है।

मकर संक्रांति क्या है?

जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति के त्योहार को भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस त्यौहार को पोंगल, खिचड़ी, संक्रांति और उत्तरायण आदि नामों से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति बेहद खास इसलिए भी मानी जाती है, क्योंकि इस दिन से खरमास समाप्त हो जाता है और खरमा के समाप्त होने से शादी-विवाह या अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। अब जानते हैं की मकर संक्रांति मनाने का क्या कारण है?

Makar Sankranti Kyu manate hai (मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं) | मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?

जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे सूर्य का संक्रमण काल कहा जाता है। इस दिन को ही मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। देश के कई हिस्सों में मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहते हैं।

मकर संक्रांति की कहानी (Makar Sankranti Story) : भारत देश की लगभग हर त्यौहार के पीछे कई सारी कहानियां हैं, ऐसे ही मकर संक्रांति के पीछे भी कई सारी कहानियां है।

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्‍वयं उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्‍वामी है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पवित्र गंगा नदी का भी इसी दिन धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं।

इसके अलावा इस विशेष दिन की एक कथा और है जो भीष्म पितामह के जीवन से जुडी हुई है। उनको यह वरदान मिला था कि उन्हें अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी। जब वो बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने सूर्य के उत्‍तरायण होने पर ही स्‍वेच्‍छा से शरीर का परित्‍याग किया था। इसका कारण यह था कि उत्‍तरायण में देह छोड़ने वाली आत्‍माएं या तो कुछ काल के लिए देवलोक में चली जाती है या पुनर्जन्‍म के चक्र से उन आत्‍माओं को छुटकारा मिल जाता है। जबकि दक्षिणायण में देह छोड़ने पर आत्‍मा को बहुत काल तक अंधकार का सामना करना पड़ सकता है।

स्‍वयं भगवान श्री कृष्‍ण ने भी उत्‍तरायण का महत्‍व बताते हुए कहा है कि उत्‍तरायण के 6 मास के शुभ काल में जब सूर्य देव उत्‍तरायण होते हैं और पृथ्‍वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्‍याग करने से व्‍यक्ति का पुनर्जन्‍म नहीं होता है और ऐसे लोग सीधे ही ब्रह्म को प्राप्‍त होते हैं। इसके विपरीत जब सूर्य दक्षिणायण होता है और पृथ्‍वी अंधकार मय होती है तो इस अंधकार में शरीर त्‍याग करने पर पुन: जन्‍म लेना पड़ता है।

अनेक स्थानों पर इस त्‍योहार पर पतंग उड़ाने की परंपरा प्रचलित है। लोग दिन भर अपनी छतों पर पतंग उड़ाकर हर्षोउल्‍लास के साथ इस उत्सव का मजा लेते हैं। विशेष रूप से पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। पतंग उड़ाने के पीछे धार्मिक कारण यह है कि श्रीराम ने भी पतंग उड़ाई थी। गुजरात व सौराष्‍ट्र में मकर संक्रांति पर कई दिनों का अवकाश रहता है और यहां इस दिन को भारत के किसी भी अन्‍य राज्‍य की तुलना में अधिक हर्षोल्‍लास से मनाया जाता है।

मकर संक्रांति मानाने का वैज्ञानिक कारण (Makar Sankranti Significance) 

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। ठंड की वजह से सिकुड़ते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां के पर्व त्योहार का संबंध काफी कुछ कृषि पर निर्भर करता है। मकर संक्रांति ऐसे समय में आता है जब किसान रबी की फसल लगाकर खरीफ की फसल, धान, मक्का, गन्ना, मूंगफली, उड़द घर ले आते हैं। किसानों का घर अन्न से भर जाता है। इसलिए मकर संक्रांति पर खरीफ की फसलों से पर्व का आनंद मनाया जाता है।

मकर संक्रांति हर साल 14 या 15 जनवरी को ही मनाया जाता है क्यूंकि यह वह दिन होता है जब सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है। हिन्दूओं के लिए सूर्य एक रोशनी, ताकत और ज्ञान का प्रतीक होता है। मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह त्यौहार एक नए तरीके से काम शुरू करने का प्रतीक है। 

विदेशों में मकर संक्रांति के त्यौहार के नाम | Makar Sankranti Festival in out of India States

भारत के अलावा मकर संक्रांति दुसरे देशों में भी प्रचलित है लेकिन वहां इसे किसी और नाम से जानते है जैसे की, नेपाल में इसे माघे संक्रांति कहते है। नेपाल के ही कुछ हिस्सों में इसे मगही नाम से भी जाना जाता है। थाईलैंड में इसे सोंग्क्रण नाम से मनाते है। म्यांमार में थिन्ज्ञान नाम से जानते है। कंबोडिया में मोहा संग्क्रण नाम से मनाते है। श्री लंका में उलावर थिरुनाल नाम से जानते है। लाओस में पी मा लाओ नाम से जानते हैं।

भले ही मकर संक्रांति को अलग अलग नाम से मनाया जाता है लेकिन इसके पीछे छुपी भावना सबकी एक है वो है शांति और अमन की। सभी इसे अंधेरे से रोशनी के पर्व के रूप में मनाते है। इस लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद् मकर संक्रांति की आपको ढेरों बधाई!

 

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आशा है आज का लेख Makar Sankranti Kyu manate hai:मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है? आपको पसंद आया होगा। आज का लेख Makar Sankranti Kyu manate hai आपको कैसा लगा, कमेंट करके जरूर बताएं और ऐसे ही कई तरह के लेखो के लिए हमसे Contact Us या Social Media के साथ जुड़े रहे।

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