क्या आप अपने मन में आने वाले नाजारात्मक विचारों से परेशान है? क्या आपको भी यह चिंता सताते है की नकारात्मक विचारों से दूर कैसे रहें? अपनी Negative Thinking को दूर कैसे करें? अपने दिमाग में आने वाले नकारात्मक सोच से छुटकारा कैसे पाए और नकारात्मक विचारों से दूर कैसे रहें? इस पोस्ट में मैं आपको बुरी सोच से छुटकारा पाने का उपाय और नकारात्मक सोच से छुटकारा पाने के उपाय बताने जा रही हूँ। आज का हमारा विषय है नाकारात्मक विचारों को मन से कैसे निकालें? क्या ये इतना आसान है? – How to get rid of Negative Thoughts? अगर आप सोचते हैं की नकारात्मक सोच से कैसे बचें तो आज की पोस्ट आपके काम आएगी इसलिए अंत तक इस पोस्ट के साथ बने रहें।
जब किसी के अंदर नकारात्मकता होती है तो उसके मन में ऐसे सवाल आते ही है की नकारात्मक विचार क्यों आते हैं, नकारात्मक विचारों को कैसे रोकें, नकारात्मक विचार कैसे दूर करे, नकारात्मक विचार कैसे हटाए? अगर आप भी इन सब सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं तो आप सही जगह पर हैं। आज के पोस्ट में मैंने नकारात्मकता को दूर करने के उपाय बताये हैं।
दोस्तों हमारा जीवन शरीर और मन के मेल से मिलकर बना होता है, इन दोनों में से एक के भी बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं रहता। हमारा मन हमारे शरीर को दिशा देता है। मन में जैसे विचार आएंगे शरीर उसी दिशा में काम करेगा। इसलिए हमारा मन स्वस्थ होना चाहिए उनमे कभी भी नकारात्मक विचार नहीं आना चाहिए।
नकारात्मक विचार हमारी कामयाबी में सबसे बड़ी बाधा है। नकारात्मक विचारों से से छुटकारा पाए बिना जीवन मे किसी भी प्रकार की सफलता हासिल करना लगभग असंभव है, चाहे आप जॉब करते हों, बिज़नेस करते हों या आप विद्यार्थी हों, सभी जगह आप सफल तभी होंगे जब आप नकारात्मकता को छोड़ कर सकारात्मक बनेंगे।
नकारात्मकता हमारे कैरियर, हमारे संबंध, हमारे घर-परिवार, व्यवसाय और जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है। धीरे-धीरे यह हमें अवसाद की ऐसी अंधी सुरंग में ले जाती है, जहां हम स्वयं को भी देखने में असमर्थ और असहाय-सा पाते हैं। यह हमारे मस्तिष्क के लिए उसी तरह हानिकारक है जिस तरह शरीर के लिए डायबिटीज।
नकारात्मक व्यक्ति आंतरिक रूप से शांत नहीं रह पाता है। जब भी किसी व्यक्ति के भीतर नकारात्मक विचार जन्म लेना शुरू करते हैं तो उसके स्वभाव और व्यवहार में कुछ अलग तरह के लक्षण और संकेत नजर आने लगते हैं।
नाकारात्मक विचारों को मन से कैसे निकालें? क्या ये इतना आसान है? – How to get rid of Negative Thoughts? Is it that easy?
बताइये दोस्तों क्या लगता है आपको? क्या नकारात्मकता को छोड़ कर सकारात्मक सोचना इतना आसान है?
लोगों को लगता है की वो नकारात्मक विचारों को मन से हटा कर सकारात्मक विचारों को अपने जीवन में अपना सकते है। पर ऐसा कभी नहीं हो सकता क्यूंकि आप जितनी तेज़ी से किसी चीज से दूर भागने की कोशिश करेंगे वो चीज उतनी ही तेज़ी से आपकी तरफ भागेगी।
जैसे मान लीजिये अगर मैं आपसे कहूं की आप जबरदस्ती अगले 10 Seconds तक किसी बन्दर के बारे में मत सोचिये, बन्दर का विचार भी अपने मन में मत लाइए, पर होगा ये की आप खुद को बंदरों से घिरा पाएंगे।
हमारे मन का यही स्वाभाव है। हमारे मन की गाड़ी के तीनो पैडल रेस बढ़ाने वाले है और ब्रेक या क्लच इसमें है ही नहीं, आप जो भी दबाएंगे ये और तेज़ भागेगा। ऐसे मन के लिए नैतिक और धार्मिक शिक्षकों ने सिखाया है की बुरी चीजों के बारे में मत सोचिये।
आप कभी ये मत सोचिये की मैं बुरे और नकारात्मक विचार मन से हटाना चाहता हूँ क्यूंकि आप जो हटाना चाहेंगे वो आपका गुण बन जाएगा। वो हमेशा आपके ऊपर हावी रहेगा। इंसानी मन इन दुनिया का सबसे ज्यादा जटिल Computer है सभी Super Computers भी इसी मन से निकले है। अगर ऐसा है तो क्या ये जरुरी नहीं है की हम इस मन के काम करने के तरीके को समझे।
हमारे मन में कोई घटा या भाग नहीं होता होता सिर्फ जोड़ और गुणा होता है। अगर आप इससे कुछ हटाना चाहेंगे तो ये कहेगा एक बार और कर लेते है फिर ये आखिरी होगा और हर बार यही होता रहेगा।
मन के साथ ज्यादा जबरदस्ती करेंगे तो वही काम करने का कई गुणा ज्यादा मन करेगा जिससे आप दूर भाग रहे है। ऐसे मन में आप अच्छा और बुरा पहचान कर उन्हें हटाने या जोड़ने की कोशिश ना करे। सबसे पहले आपको ये सोचना होगा की आपका ये शरीर, आपका ये मन आपकी सेवा के लिए ही है।
आपका जीवन महत्वपूर्ण है, शरीर और मन वे साधन है जिन्हे हमारी सेवा करनी चाहिए। अगर आप किसी गाड़ी में बैठे है तो उसे वही जाना चाहिए जाना आप जाना चाहते है। अगर वो अपने हिसाब से चलने लगे तो उसका क्या फायदा होगा, उससे केवल आपको परेशानी ही होगी
फ़िलहाल दुर्भाग्य से ज्यादातर मनुष्य, इंसानी मन की इस बेहतरीन सम्भावना को एक परेशानी, एक समस्या की तरह अनुभव कर रहे हैं। आपका मन सबसे सुन्दर चीज है बस जरुरत है केवल आपको इसके काम करने के तरीके को समझने की, अगर आप अपनी आखें बंद कर लें तो आपको कुछ नहीं दीखता पर आप मौजूद होते है।
आप अपनी आँखों की खिड़की से बाहर देखते हैं, पर आँखें बंद कर लेने पर आपका अस्तित्व खो नहीं जाता, आपका अस्तित्व तब भी होता है। आप अपने विचारों और भावनाओं से परे भी मौजूद हैं, तो जो जीवन आपको मिला है उसका अनुभव पुरे मन से कीजिये।
ऐसा क्यों है की आप अपने होने के महत्वपूर्ण पहलु को अपने जीवन में आने ही नहीं दे रहे। फ़िलहाल हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलु यही है की आप और मैं इस समय जीवित है। मैं क्या सोच रही हूँ, आप क्या सोच रहे है, ये महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि ये महत्वपूर्ण है की आप अपने भीतर बुनियादी जीवंतता पर ध्यान केंद्रित करे।
जब आप ऐसा करेंगे तब आप देखेंगे की आप और आपकी विचार प्रक्रिया के बिच एक दुरी आ गई है। अपनी मानसिक और शारीरिक प्रक्रिया से दुरी बना लेना, यही आपके कष्टों का अंत है क्यूंकि इंसान केवल दो तरह के कष्टों से गुज़रता है शारीरक कष्ट और मानसिक कष्ट।
जब आप खुद के, मन के और शरीर के बिच दुरी बना लेते हैं तो आपके दुखों का अंत हो जाता है। नहीं तो अगर आप ये सोचते रहेंगे की मैं बुरे विचार हटा कर सिर्फ अच्छे विचार रखूँगा, जो जान लीजिये ऐसा कभी भी नहीं हो पाएगा। क्यूंकि आप कोई विचार हटा नहीं सकते बस कुछ समय के लिए उसे टाला जा सकता है।
जब आपके मन में बुरे विचार आने लगे और आप राम-राम, शिव-शिव करने लगे तो ये सिर्फ उन विचारों से बचना हुआ उसे ख़तम करना नहीं। जिस पल आप इसे रोकने की कोशिश करते है उस समय ये रुक तो जाते है पर उससे दुगनी तेज़ी से वापस आते है नहीं तो वो आपके सपनों में वापस आएंगे।
सबसे पहले आपको ये समझना होगा की आपका गुस्सा, नाराज़गी या आपका जो डर है या जो भी नकारात्मकता आप पैदा करते है वो हमेशा दूसरों के प्रति होता है। पर हमे समझना चाहिए की हम ये ज़हर खुद पी रहे हैं और दूसरे की मरने की उम्मीद कर रहे है। जीवन ऐसे नहीं चलता। अगर ज़हर मैं पी रही हूँ तो मैं ही मरूंगी कोई और नहीं।
ज़हर से मेरा मतलब आपके खून के भीतर नकारात्मक विचारों से है। आप गुस्सा, नाराज़गी या डर से खुद के भीतर ज़हर पैदा कर रहे है, खुद को ज़हर पीला रहे है। क्या आप ये ज़हर पीना चाहते है? आप कहेगें नही। फिर आप पूछेंगे की मैं क्या करूँ जो ऐसा ना हो? आपका ये सवाल एक तरह की मज़बूरी से आ रहा है।
इसलिए आप कुछ मत कीजिये बस आराम से बैठिये और बस जीवन प्रक्रिया पर ध्यान दीजिये। आपके दिल की धड़कन या आपकी सांसे, आपके जीवन की अनुभूति, या आप कितने संवेदनशील या बोध पाने की ताकत रखते है उसी के हिसाब से खुद का ध्यान इसमें लगाएं।
अपने जीवन का कुछ समय इस पर लगाइये, धीरे धीरे आप देखेंगे की आप और आपने जो आपने जो मन में इकठ्ठा किया है उनमे दुरी आ गई है। जो आपने इकठ्ठा किया है वो चीजे हैं आपकी शारीरक प्रक्रिया और मानसिक सम्भावना या मानसिक अस्त व्यवस्थता। अपने जीवन की इस अस्त व्यवस्थता को सुधारें और अपने जीवन का पूरा अनुभव लें।
खुद से प्यार करें दूसरों से नफरत नहीं। दिन की शुरुआत अच्छे विचारों से करें, आप जरूर अपने भीतर की नकारात्मकता को मिटा पाएंगे। आशा करती हूँ मेरा आज का ब्लॉग नाकारात्मक विचारों को मन से कैसे निकालें? क्या ये इतना आसान है? – How to get rid of Negative Thoughts? Is it that easy? आपको पसंद आया होगा और आप इसे पढ़ कर अपने जीवन की नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल पाएंगे।
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Thanks for article. Keep it up
Thanks
Thoughtful post