पीरियड के कितने दिन बाद महिला प्रेग्नेंट होती है? गर्भ धारण कैसे करते हैं? पीरियड के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है? प्रेग्नेंट कैसे होते हैं? पीरियड के कितने दिन बाद महिला प्रेग्नेंट हो सकती है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आपको मैं इस ब्लॉग में देने वाली हूँ क्यूंकि आज के ब्लॉग में हम जानेंगे गर्भधारण कब और कैसे होता है-When and How does Pregnancy Occur.
जैसा की आप सब जानते है किसी भी औरत के लिए माँ बनना उसकी ज़िन्दगी का बहुत ही प्यारा और खूबसूरत अनुभव होता हैI इसके एहसास मात्र से ही ना केवल होने वाली माँ बल्कि उससे जुड़े सभी लोग भी बहुत उत्साह के साथ उस आने वाले मेहमान की तैयारी में लग जाते हैं।
धरती पर आदमी और औरत में से एक नए जीवन को जन्म देने की शक्ति और साहस भगवान ने केवल औरतों को ही दी है। हर औरत चाहती है की वो एक सुन्दर, और स्वस्थ बच्चे को जन्म दे। माँ बनना किसी भी औरत के लिए बहुत ही अद्भुत अनुभव है।
गर्भधारण के लिए शुक्राणु को अंडे से मिलने की जरूरत होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो जब निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार में जाता है तब गर्भधारण होता है। वास्तव में यह प्रक्रिया बहुत जटिल नहीं है लेकिन बहुत आसान भी नहीं है। लेकिन यह निषेचन और गर्भधारण कैसे होता है यह सवाल अक्सर मन में आ ही जाता है। तो चलिए अब जान ही लेते हैं की गर्भधारण कब और कैसे होता है-When and How does Pregnancy Occur.
गर्भधारण कब और कैसे होता है-When and How does Pregnancy Occur
महिला गर्भवती कब और कैसे होती है (When does Pregnency Occur)
गर्भधारण करने के कई चरण होते है। गर्भवती होना वास्तव में एक कठिन प्रक्रिया है। इसमें शुक्राणुओं (पुरुषों का वीर्य) और अंडाणुओं (मादा अंडे) की आवश्यकता होती है। शुक्राणु बहुत ही सूक्ष्म कोशिकाएं होती है जो अंडकोष (testicles) में बनते हैं, जिन्हे हम अपनी आँखों से नहीं देख सकते। शुक्राणु, वीर्य बनाने के लिए अन्य द्रवों के साथ मिलता है जो सम्भोग के दौरान लिंग से बाहर निकलता है।
आप जितनी भी बार सम्भोग करते हैं हर बार करोड़ों की संख्या में शुक्राणु निकलते हैं लेकिन गर्भधारण के लिए केवल एक ही शुक्राणु उत्तरदायी होता है। संभोग के दौरान मिलने वाले आनंद के साथ-साथ शरीर में तनाव भी बढ़ रहा होता है, जो कि चर्मोत्कर्ष पर पहुंचकर समाप्त होता है। चर्मोत्कर्ष पर पहुंचना भी एक महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है।
पुरुषों में चर्मोत्कर्ष शुक्राणुओं से भरपूर वीर्य को योनि में डालता है और यह करीब 10 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से ग्रीवा की तरफ जाता है। वीर्यपात की तेजी शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने के लिए एक अच्छी शुरुआत देती है। गर्भधारण के लिए महिला का चर्मोत्कर्ष पर पहुंचना जरुरी नहीं है। गर्भाशय के हल्के संकुचन भी शुक्राणु को आगे ले जाने में मदद कर सकते हैं, मगर ये संकुचन चर्मोत्कर्ष पर पहुंचे बिना भी होते हैं।
बहुत से दंपत्ति यह सोचते हैं कि क्या संभोग की कोई विशेष अवस्था गर्भधारण के लिए बेहतर होती है। इस बात का निश्चित जवाब किसी के पास नहीं है। अंडे, अंडाशय (ovary) में रहते हैं और हर महीने मासिकधर्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोनों का स्राव इन्हीं में से कुछ अण्डों के तैयार होने पर होता है।
अंडाणु के तैयार होने का मतलब है कि वह शुक्राणु के साथ संयोग कर सकता है। ये हार्मोन गर्भाशय (uterus) की परत को भी मोटा बनाते हैं जिससे औरतों का शरीर गर्भधारण करने के लिए तैयार हो जाता है।
मासिक चक्र (लगभग 28 दिन) के दौरान आधे समय बाद (14 दिन बाद) एक अंडाणु, अंडाशय से निकलता है जिसे ओव्यूलेशन कहते हैं और फिर यह डिंबवाही नलिका (fallopian tube) के माध्यम से पूरे गर्भाशय में भ्रमण करता है।
डिंबवाही नलिका (fallopian tube) में यह 12-24 घंटे रहता है और किसी शुक्राणु से संयोग करने के लिए इंतज़ार करता है। जब कोई शुक्राणु आस पास नहीं होता तो यह मासिक धर्म के रक्तस्राव के साथ योनि मार्ग से बहार निकल जाता है।
जब वीर्य, योनि में आता है तो शुक्राणु, अंडे की तलाश में इसी फैलोपियन ट्यूब में तैरते हैं। ये 6 दिनों तक अंडे से संयोग करने का इंतज़ार करते हैं उसके बाद नष्ट हो जाते हैं। जब शुक्राणु कोशिका अंडे से मिलती है तो इस प्रक्रिया को निषेचन कहा जाता है।
निषेचन तुरंत नहीं होता है क्योंकि शुक्राणु सम्भोग के बाद फैलोपियन ट्यूब में 6 दिनों तक रहता है इसलिए निषेचन में भी यह इतना ही समय लेता है। यदि शुक्राणु अंडे से संयोग कर लेता है तो फिर यह निषेचित अंडा फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय में आ जाता है और फिर यह अन्य कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है।
ये कोशिकाएं एक गेंद का आकार ले लेती हैं जिसे ब्लास्टोसिस्ट (blastocyst) कहते हैं। ब्लास्टोसिस्ट 2-3 दिन तक गर्भाशय में रहते है। अगर यह गर्भाशय की दीवार में चिपक जाती है तो इस प्रक्रिया को आरोपण (implantation) कहते हैं और इस समय से गर्भावस्था की शुरुआत हो जाती है।
भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट के अंदर और गर्भनाल (placenta) ब्लास्टोसिस्ट के बाहर कोशिकाओं से विकसित होती है। जब निषेचित अंडा गर्भाशय से लगता है तो यह गर्भावस्था हार्मोन मुक्त करता है जो गर्भाशय से अन्य रक्त स्राव को होने से रोकता है। यही कारण है कि गर्भधारण करने के बाद मासिक चक्र रुक जाता है।
यदि अंडा शुक्राणु से संयोग नहीं कर पाया है या निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार पर आरोपित नहीं होता है तो गर्भाशय में बनी मोती परत मासिकधर्म के दौरान बाहर निकल जाती है। अगर कुछ अंडे निषेचित हो जाते हैं लेकिन गर्भाशय की दीवार में आरोपित नहीं हो पाते तो वो भी इसी तरह मासिक चक्र में शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
संभोग के बाद जब आप आराम करते हैं तब शुक्राणु अपना काम शुरू करते है
संभोग के बाद जब आप आराम करने लगते हैं तब आपके शरीर के अंदर काफी कुछ चल रहा होता है। उन लाखों शुक्राणुओं ने डिंब को ढूंढ़ने की तलाश शुरु कर दी होती है और ये यात्रा इतनी आसान नहीं होती। इसमें सबसे पहली रुकावट ग्रीवा का श्लेम हो सकता है, क्यूंकि ग्रीवा की दिवार एक जाली की तरह होती है जो शुक्राणु को अपने अंदर आने नहीं देती।
लेकिन अगर आपके ओवलूशन का समय चल रहा होगा, जिन दिनों में आपके गर्भधारण करने की क्षमता ज्यादा होती है, तब ये श्लेम ढीले पड़ जाते है जिससे मजबूत शुक्राणु इसको पार कर सकते है। लाखों शुक्राणुओं में से केवल कुछ ही अंडे तक पहुंच पाते है। बाकि रस्ते में ही मर जाते है।
जब सबसे मजबूत शुक्राणु अंडे तक पहुंच जाता है, तो डिंब में तत्काल बदलाव आता है और वो अपने ग्रीवा की दिवार को फिर से जालीदार बना लेता है ताकि कोई और शुक्राणु अंदर प्रवेश ना कर सके। यह एक सुरक्षा कवच की तरह होता है, जो कि पहले शुक्राणु के सुरक्षित भीतर पहुंचते ही तुरंत डिंब को पूरी तरह ढक लेता है।
शुक्राणुओं को काफी लंबी यात्रा तय करनी होती है। शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने के लिए लगभग 45 मिनट से 12 घण्टे तक का टाइम लगता है। संभोग के बाद अगर शुक्राणुओं को फैलोपियन ट्यूब में अंडा नहीं मिलता तो भी वो आपके भीतर 7 दिनों तक जीवित रहते है।
इसका मतलब ये हुआ की अगर आप इन 7 दिनों में अगर आपका ओवुलेशन होता है अर्थात ओवरी से एक परिपक्व अंडा बहार निकलता है तो आपके गर्भधारण की सम्भावना काफी बढ़ जाती है।
मासिकधर्म के बंद होने के बाद गर्भवती होने की पक्की खबर मिलने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं। मासिकधर्म के रुकने के बाद या गर्भावस्था के कुछ अन्य लक्षण महसूस होने पर आप घर पर ही गर्भावस्था की जाँच कर सकते है।
अगर आप गर्भवती हैं, तो आपको बहुत-बहुत बधाई हो। आपकी जिंदजी की एक शानदार यात्रा की शुरुआत में आपका स्वागत है।
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