अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप ही शुभ फल प्रदान करने वाली तिथि है। ये हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है। स्वयं सिद्ध तिथि पर सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, उद्योग का आरंभ करना अत्यंत शुभ फलदाई माना जाता है।
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का अत्यंत महत्व है। यह वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। आज अक्षय तृतीया है। मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया पर कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। जिसके लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती। अक्षय तृतीया का फल अक्षय यानी कि कभी न मिटने वाला होता है। अक्षय तृतीया पर दान पुण्य का भी अत्यंत महत्व है। इस दिन किए गए दान पुण्य का कई गुना फल प्राप्त होता है।
अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है, अबूझ मुहूर्त यानी इस दिन कोई भी काम ग्रह स्थिति और शुभ मुहूर्त देखकर नहीं किया जाता। पूरा दिन ही शुभ मुहूर्त माना गया है। ऐसा क्यों है कि इस तिथि को अक्षय यानी जिसका कभी क्षरण ना हो, जो हमेशा कायम रहे, कहा जाता है। इसके पीछे कई पौराणिक मान्यताएं हैं। ये तिथि भगवान परशुराम के जन्म से लेकर गंगा के धरती पर आने और कृष्ण-सुदामा के मिलन तक से जुड़ी है।
अक्षय तृतीया मनाने के चार कारण :
भगवान परशुराम का जन्म
अक्षय तृतीया को सबसे ज्यादा भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। परशुराम उन आठ पौराणिक पात्रों में से एक हैं जिन्हें अमरता का वरदान मिला हुआ है। इसी अमरता के कारण इस तिथि को अक्षय कहते हैं, क्योंकि परशुराम अक्षय हैं। भगवान परशुराम के जन्म के अलावा भी कुछ और पौराणिक घटनाएं हैं, जिनका अक्षय तृतीया पर घटित होना माना जाता है।
महाभारत लिखना शुरू किया
सनातन धर्म में महाभारत को पांचवे वेद के रूप में माना जाता है। महर्षि वेदव्यास ने अक्षय तृतीया के दिन से ही महाभारत लिखना शुरू किया था। महाभारत में ही श्रीमद्भागवत गीता समाहित है और अक्षय तृतीया के दिन गीता के 18वें अध्याय का पाठ करना शुभ माना जाता है।
मां गंगा का अवतरण
अक्षय तृतीया के दिन ही स्वर्ग से पृथ्वी पर माता गंगा अवतरित हुई थी। माता गंगा को पृथ्वी पर अवतरित कराने के लिए राजा भागीरथ में हजारों वर्ष तक तपस्या की थी। मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया पर गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
माता अन्नपूर्णा का जन्मदिन
अक्षय तृतीया के दिन माता अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है। माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से भोजन का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन गरीबों को भोजन कराने का विधान है। साथ ही देश भर में भंडारे भी कराए जाते हैं।